एक खेल का मैदान,
आठ लडकियाँ रेस लगाने
के लिए खड़ी हैं..
और रेडी धाँय पिस्तौल की आवाज़ के साथ ही आठों लडकियां दौड़ पड़ती हैं..
सभी लड़कियाँ 5 या 6 मीटर आगे गई होंगी कि एक लड़की फिसल कर गिर जाती है और उसे
चोट लग जाती है..
दर्द के मारे वह लड़की रोने लगती है, बाकि की सातों लड़कियों को उसके रोने
की आवाज़ सुनाई पड़ती है..
और ये क्या ..??
अचानक वो सातों लडकियाँ रुक जाती हैं, एक पल के लिए वो सभी एक दूसरे को देखती हैं और सातोंं वापस उस घायल लड़की की तरफ दौड़
पड़ती हैं..
मैदान में सन्नाटा छा गया,
आयोजक परेशान,
अधिकारी हैरान !
तभी एक अप्रत्याशित घटना घटती है
वो सातों लडकियाँ अपनी घायल प्रतिभागी को उठा लेती हैं, और फिर चल पड़ती हैं उस तरफ जहाँ जीत की रेखा खीची गयी है..
एक साथ आठों लडकियाँ उस जीत की रेखा पर पहुँच
जाती है..
ये क्या लोगों की आँखों में आँसूं ?
क्यों ?
किसलिए ?
मित्रों ये रेस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ द्वारा आयोजित थी और वो आठों लडकियां मानसिक रूप से बीमार थी..
लेकिन जो इंसानियत जो मानवता, जो प्यार, जो खिलाड़ी भावना और टीम वर्क, जो समानता का भाव.. उन आठों ने दिखाया
वो शायद हम जैसे मानसिक रूप से विकसित और पूर्ण रूप से ठीक नही दिखा पाते..
क्योंकि,
हमारे पास दिमाग है उनके पास नही था,
हमारे पास ईगो है उनके पास नही था,
हमारे पास अकड़ है उनके पास नही थी..