अहिंसक प्रतिरोध, सत्यनिष्ठा लोकतंत्र के आदर्शों मूल्यों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण सहयोगी रहा है। राजनीतिक नेताओं का एक – दूसरे पर कीचड़ , झूठा आरोप – प्रत्यारोप की राजनीतिक कार्यशैली लोकतंत्र की मान – मर्यादा को आघात कर रही है। राजनीति नैतिकता , शुचिता, परंपरागत जीवन दर्शन की विधा है, लेकिन दुर्भाग्य की घटना है कि लोकतांत्रिक संस्कृति का मूल्य दिन – प्रतिदिन गिरता जा रहा हैं। राजनीतिक व्यक्तिवों ,नेतागण के चुनावी भाषण एक – दूसरे को चुनौती देने ,तरह-तरह के आरोप लगाने और व्यक्तिगत आक्षेप तक सीमित रह गया है।
प्रधानमंत्री देश/राज्य का नेता होता है ।वह पद ग्रहण करते ( तीसरी अनुसूची में शपथ लेने के बाद ) भारत का प्रधानमंत्री होते हैं ;भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया कि “भारत /इंडिया ( india)राज्यों का संघ होगा” ।प्रधानमंत्री 130 करोड़ भारतीयों के नेता है,वह 130 करोड़ जनसंख्या का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। लोकतंत्र में निर्वाचित व्यक्तित्व की कानूनी वैधता होती है ।मध्यप्रदेश राज्य के कांग्रेसी नेता राजा पटेरिया (बड़बोले नेता , गिरफ्तारी के बाद पलटू राम नेता) ने प्रधानमंत्री की हत्या की बात कह करके 130 करोड़ जनता की भावनाओं को आहत पहुंचाया है।लोकतांत्रिक संस्कृति जन सम्मान ,सदाचार एवं नैतिकता की योग होती है, लेकिन इन प्रत्त्यों ध्वनि दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है। लोकतांत्रिक संस्कृति की मजबूती बड़बोले एवं पलटूराम नेताओं के भाषा पर नियंत्रण से ही संभव हो सकता है, एवं इस दिशा में सराहनीय कदम/संहिता प्रत्येक राजनीति दल के शीर्ष नेतृत्व (हाईकमान स्तर) से ही हो सकता है। दुर्भाग्य की घटना है इन बड़बोले नेताओं ,व्यक्तियों एवं कार्यकर्ताओं की कार्यवाही में आत्मीय लगाव( व्यक्तिगत प्यार) मंदक के रूप में हावी हो जाता है।
नेताओं (माननीय जी) के चुनावी भाषण एक- दूसरे को चुनौती देने, तरह-तरह के आरोप लगाने और व्यक्तिगत आक्षेप तक ही सीमित हो गए हैं। पलटू राम नेताओं के आगमन से राजनीति विमर्श का विषय ना होकर झूठी आंकड़ों, व्यक्तिगत चरित्र पर आक्षेप का विषय होती जा रही है। चुनाव के दौरान राजनीति नीतियों, विकास और मुद्दों की राजनीति होती है; जो आज भी ब्रिटेन (संसदीय लोकतंत्र की जननी, संवैधानिक राजतंत्र की जननी )एवं संयुक्त राज्य अमेरिका (आधुनिक राजनीतिक दलों का जनक ,आदर्श लोकतंत्र का प्रतिमान, डोनाल्ड ट्रंप अपवाद स्वरूप) प्राथमिक स्तर से अंतिम दौर तक नीतियों विकास एवं चुनौतियों की लड़ाई हैं
राजनीति में चुनाव व्यक्ति, कार्य, विकास एवं उपलब्धियों का मुख्य परीक्षा होता है; इस मुख्य परीक्षा के निष्पादन(performance) का मूल्यांकन जनता – जनार्दन करती हैं। चुकी चुनावी लड़ाई के दौरान जनता- जनार्दन नेताओं (माननीय जी) के भाषण व बयानों के प्रति रुचि प्रदर्शित करती है, इसलिए मीडिया भी महत्व देती है( मेरे लेख को कई समाचार पत्र वाले छापने से मनाही कर दिए ;क्योंकि मैं व्यक्तिगत या सार्वजनिक जीवन में चापलूसी, झूठ ,धोखा व्यक्तित्व पूजा एवं गणेश परिक्रमा का प्रशंसक नहीं हूं)
भारत के लोकतंत्र का दुर्भाग्य है कि जनता को उन प्रत्याशियों की क्षमताओं व योग्यताओं का पूर्व – परीक्षा नहीं हो पाता है, जो किसी योग्य जनप्रतिनिधि, सुशासन ,पारदर्शी ,उत्तरदाई एवं शासन संचालन करने वाले नेता जी में होना चाहिए ।आदर्श लोकतंत्र( जनता की सहभागिता 95% से ऊपर ),विकसित लोकतंत्र (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जीवन की स्वतंत्रता , सुख की साधना का अधिकार एवं सरकार की आलोचना का अधिकार), विमर्श लोकतंत्र( विकास ,मुद्दों एवं वादों पर चर्चा – परिचर्चा) में ऐसे शीलगुण का मापांक है ।
चुनावी आंकड़ों ,तथ्यों पर ध्यान दें तो प्रत्येक राजनीतिक दल में ऐसे नेताओं की जमात है, जो अपने तीखे और अतार्किक , अनैतिक एवं अशोभनीय भाषा के लिए लोकप्रिय हैं। ऐसे महान नेता है, जो अपने असंसदीय एवं रंगबाज बयानों के लिए जाने जाते हैं। ऐसे पलटू राम नेताजी अपने आकाओं को खुश करने के लिए बोलते हैं; क्योंकि मैंने इन नेताओं पर केस स्टडी(Case study) किया (गूगल सर्च इंजन के माध्यम से) तो पाया कि ये बहुत ही पढ़े-लिखे ,राजनीति में संवैधानिक पदों (तीसरी अनुसूची में ईश्वर/संविधान की शपथ लेने वाले) हैं।
राजनीति में पलटूराम ,बड़बोले नेता जी ,सार्वजनिक मंचों से अमर्यादित एवं असंसदीय भाषा बोलने वालों पर अंकुश होनी चाहिए; जिससे राजनीति भद्रजनों का खेल, राजनीति संतों का विचार ,राजनीति सेवा का मंच, जीवन- दर्शन में नैतिकता, मूल्य को प्रदर्शित करने वाले कला के तौर पर अपनी पहचान को बनाए रख सकें। फ्रीडम हाउस( गैर सरकारी – संगठन) की अद्यतन प्रतिवेदन के अनुसार संसार में 20% देशों /राज्यों में वास्तविक लोकतंत्र ,मूल्यों की राजनीति ,संरचनात्मक ऊर्जा वाली राजनीति, जनता के द्वारा निर्वाचित/ वैधता पूर्ण लोकतंत्र) है ;क्योंकि इन व्यवस्थाओं में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, भाषण की स्वतंत्रता ,सूचना प्राप्त करने की स्वतंत्रता, एकान्तता का अधिकार और सुख की साधना (जीवन का अधिकार+ स्वतंत्रता का अधिकार + पूजा/अर्चना (स्वतंत्र होकर करने का अधिकार), पलटूराम नेताओं पर नियंत्रण, सार्वजनिक मंचों से बड़बोले नेताओं को शीघ्र निष्कासन प्राप्त है।जिन नेताओं पर लोकतांत्रिक संस्कृति को सुरक्षित और संरक्षित करने का पुनीत व नैतिक कर्तव्य है; वही पलटू राम नेता व बड़बोले नेता लोकतंत्र की भावना /आत्मा का गला घोट रहे हैं।
(लेखक स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज,अलीपुर दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं)