वुहान महामारी ने चीनी शासन का असली चेहरा उजागर कर दिया है। यह पूरे विश्व के लिए “वेक-अप कॉल” है जो महामारी से जूझ रहा है। एपोक़ टाइम्स ने कोविड-19 वायरस का सटीक नाम सुझाया है – “सीसीपी वायरस”। यह नाम चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) को उसके झूठ और धोखाधड़ी के लिए जवाबदेह ठहराता है।
सीसीपी अधिकारियों को दिसंबर के शुरुआत में ही वुहान में वायरस संक्रमण का पता चल गया था, लेकिन उन्होंने छह सप्ताह तक इस सूचना को छिपा कर रखा और उन डॉक्टरों को चुप करा दिया जिन्होंने इसके बारे में ध्यान आकर्षित कराना चाहा। इस बीच सीसीपी वायरस चीन के बाहर दूसरे देशों में फैल गया। आज करीब 20 लाख लोग इसके संक्रमण का शिकार हैं और एक़ लाख से अधिक की मृत्यु हो चुकी है। क्या चीन की लापरवाही, कवरअप और अंडर-रिपोर्टिंग ने दुनिया को खतरे में नहीं डाल दिया है?
सीसीपी वायरस से प्रभावित अधिकांश देश अब चीन निर्मित उत्पादों पर निर्भर हैं। चीन दुनिया के मसीहा के रूप में उभरना चाहता है, उनकी चुप्पी के बदले में चिकित्सा आपूर्ति दे कर। यह दुनिया के लिए “वेक-अप कॉल” है और सीसीपी को जवाबदेह ठहराने का समय आ गया है।
चीनी कम्युनिस्ट शासन के साथ व्यापार अनैतिक क्यों है?
पिछले 70 वर्षों में, सीसीपी ने चीन को एक के बाद एक मानव निर्मित त्रासदियों के हवाले किया है, जैसे महान अकाल, सांस्कृतिक आन्दोलन, तियानमेन स्क्वायर हत्याकांड, फालुन गोंग दमन, तिब्बत, शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकारों का दमन, आदि। चीन में सैकड़ों लेबर कैंप हैं जहाँ लाखों आध्यात्मिक और राजनैतिक समर्थक कैद हैं। इन कैदियों का शोषण कर उनसे खिलोने, कपड़े, देवी-देवताओं की मूर्तियाँ और अन्य उत्पाद बनवाये जाते हैं। यही कारण है कि ये इतने सस्ते होते हैं।
अब सबसे भयावह तथ्य …
पिछले कुछ वर्षों में चीन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंग प्रत्यारोपण के लिए पर्यटन केंद्र के रूप में उभरा है। आश्चर्यजनक यह है कि चीन में अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा अवधि बहुत कम है – केवल कुछ हफ्ते। जबकि दूसरे देशों में अनुकूल अंग मिलने में वर्षों लग जाते हैं। तो यह कैसे संभव है? यह अविश्वसनीय लगता है, किन्तु चीन में प्रत्यारोपण के लिए अंग न केवल मृत्युदण्ड प्राप्त कैदियों से आते हैं, बल्कि बड़ी संख्या में कैद फालुन गोंग अभ्यासियों व दूसरे अल्पसंख्यक धार्मिक व राजनैतिक कैदियों से आते हैं।
कनाडा के पूर्व स्टेट सेक्रेटरी डेविड किल्गौर और मानवाधिकार मामलों के वकील डेविड मातास की इस विषय पर जाँच से यह प्रकाश में आया है कि चीनी शासन, सरकारी अस्पतालों की मिलीभगत से, कैदियों के अवैध मानवीय अंग प्रत्यारोपण के अपराध में संग्लित है। इस अमानवीय कृत्य में हजारों फालुन गोंग अभ्यासियों की हत्या की जा चुकी है।
अब समय है, भारत के लोग निर्णय लें
महामारी के कारण निकट भविष्य में चीन की उत्पादन क्षमता कम होने की संभावना है। जापान अपने निर्माताओं को चीन से स्थानांतरित करने में मदद के लिए $ 2.2 बिलियन का निवेश कर रहा है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 200 अमेरिकी कंपनियां अपनी निर्माण इकाइयों को चीन से भारत स्थानांतरित करने की योजना बना रही हैं। यह भारत के लिए स्वयं को चीन के विकल्प के रूप में प्रस्तुत करने का अवसर है और चीन को सबक सिखाने का समय है।
यही समय है हम चीनी मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद और अन्य सामान न खरीदें। बॉलीवुड हस्तियां चीनी उत्पादों का विज्ञापन न करें। सरकार चीनी दूरसंचार उपकरण न खरीदे और ह्वावेई को 5G परीक्षणों की अनुमति न दे। अब भारत को अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने का समय आ गया है। अब समय है चीनी उत्पादों को ना कहने का।