रांची। रांची की रहने वाली प्रिया एक गरीब परिवार से है लेकिन यह गरीब उसके सपने को पूरे करने में आड़े नहीं आएगी। या यूं कहे कि वह अपनी गरीबी को अपने लक्ष्यों को पाने में रूकावट नहीं बनने दे रही है। प्रिया मैनेजमेंट की पढ़ाई करना चाहती थी लेकिन परिवार आर्थिक रूप से सक्षम नहीं था। लेकिन प्रिया ने ठान लिया कि उसे मैनेजमेंट करना ही है। जैसे तैसे परिवारवालों ने पैसे का इंतजाम कर उसे कोलकाता भेज जहां उसने सॉल्ट लेक के एक मैनेजमेंट स्कूल में दाखिला ले लिया।
दाखिला तो हो गया लेकिन उसके बाद एक बड़ी चुनौती इतने बड़े शहर में अपना खर्चा-पानी उठाने की थी। परिवार इसमें कोई मदद नहीं कर सकता था तो प्रिया ने एक ऐसा आइडिया निकाला जिससे वह पढ़ाई भी जारी रखे और अपना खर्च भी उठा पाए। उसने अपने एक दोस्त की सलाह पर किताबें बेचकर कमाने का फैसला किया। समय की परेशान के कारण उसने रात में बिना किसी झिझक के किताबें बेचने का निर्णय लिया।
उसके एक दोस्त ने कमीशन के आधार पर किताबें बेचने की जगह बताई थी। प्रिया ने उस संगठन से बात की तो उसके बाद वह शाम को क्लास के बाद किताबें लेकर पाठकों के पास पहुंचने लगी। वह उल्टादंगा में ढाबों के आसपास किताबें बेचती हैं।
रात के समय घर से निकलकर यह काम करने के बारे में प्रिया ने कहा ‘मैं डरती नहीं हूं। ढाबों पर परिवार के साथ लोग आते हैं। पुलिस भी गश्त क रती है और अब तो ढाबे वाले मुझे जानते हैं। कुछ बुरे लोगों के कारण घर से निकलना और अपने सपने को पूरा करने के लिए काम करना तो नहीं छोड़ सकती?’
प्रिया ने यह भी कहा ‘देर रात जब घर लौटती हूं तो उस रूट के कई बस ड्राइवर मुझे लिफ्ट दे देते हैं।’
साभार- http://naidunia.jagran.com/ से