ट्विटर के जरिए रेल यात्रियों की मदद की खबरें सुर्खियां बन रही हैं। चलती ट्रेन में बीमार बुजुर्ग के लिए इलाज का इंतजाम करना तो चाहे बच्चे को दूध पहुंचाने का मामला हो, बस एक ट्वीट पर मदद पहुंच जाती है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि यह सब कैसे होता है।
कैसे हो रहा है ये सब कुछ
रेल मंत्रालय की चौथी मंजिल पर कमरा नंबर-454। यह भारतीय रेलवे का ट्विटर कंट्रोल रूम हैै। कुल जमा 3 लोगों की टीम है, जो अपने-अपने कम्प्यूटर्स पर सक्रिय हैं। ये वही टीम है जो इन दिनों रेलवे की इमेज बदल रही है।
किसी भी रेल यात्री का ट्वीट आने के बाद ये टीम एक्टिव होती है और 5 मिनट के अंदर उस यात्री की प्रॉब्लम दूर करवाती है। इस रूम में एक नियम है कि एक पल को भी कम्प्यूटर स्क्रीन ऑफ नहीं होनी चाहिए। क्योंकि न जाने कब किस पैसेंजर की शिकायत आ जाए?
क्या कहते हैं अफसर
कंट्रोल रूम की निगरानी का काम देख रहे ईडी पीजी अनंत स्वरूप के मुताबिक एक दिन में करीब 5-6 हजार ट्वीट आते हैं। इनमें से 30 फीसदी रि-ट्वीट होते हैं। जबकि 20-30 फीसदी कमेंट आते हैं। टीम की निगरानी खुद रेल मंत्री करते हैं। रोज रात में उस दिन की रिपोर्ट लेते हैं। साथ ही मंत्रालय में आने के बाद ट्विटर पर सुबह आए गंभीर मामलों की जानकारी और उस पर लिए गए एक्शन पर चर्चा करते हैं। प्रभु खुद अपने ट्विटर हैंडल सुरेश प्रभु और रेलवे के ट्विटर हैंडल रेलमिनइंडिया पर नजर रखते हैं।
प्रभु के ट्विटर हैंडल को 4 लाख और रेलवे के हैंडल को 6 लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। रेलवे के एडीजी पीआर अनिल सक्सेना के मुताबिक इस टीम को निजी कंपनियों के साथ-साथ पीएमओ और विदेश मंत्रालय के सोशल मीडिया विंग से ट्रेनिंग दिलाई गई है।
कंट्रोल रूम 3 शिफ्ट में काम करता है। सुबह 6 से दोपहर 2 बजे और 2 से रात 10 बजे तक। रात 10 से सुबह 6 बजे तक का जिम्मा ईडी पीजी, जन शिकायत, ट्विटर सेल प्रमुख और रेल मंत्री के स्टॉफ के पास रहता है। सभी का ट्विटर अकाऊंट रातभर ऑन रहता है। रेलवे के 17 ज़ोनल प्रबंधक और 69 मंडल प्रबंधक भी ऑनलाइन रहते हैं। इन्हें पैसेंजर की तुरंत मदद के ऑर्डर दिए गए हैं।
ये है प्रभु की 3 लोगों की टीम
ट्विटर कंट्रोल रूम में निगरानी के लिए प्रभु के साथ तीन और लोगों की टीम है।
– ये हैं एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर जन शिकायत अनंत स्वरूप, स्पेशल ऑफिसर हनीस यादव और डायरेक्टर इंफो—पब्लिसिटी वेद प्रकाश।
– 1992 के आईआरपीएस अफसर अनंत स्वरूप का काम निगरानी का है और रात के समय जब सेल कार्य नहीं करता है तो उस समय ट्विटर पर निगाह रखना भी इनके जिम्मे है।
– ओएसडी हनीस यादव 2003 में आईआरएसएमई सेवा में सिलेक्ट हुए। यह मैकेनिकल इंजीनियरिग से जुड़ा था।
– यादव ने रेलवे के ही इंस्टीट्यूट से यह डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने रेलवे से इस्तीफा दिया और आईआईएम से एमबीए किया। वह पढ़ाई के लिए पेरिस और स्विट्जरलैंड भी गए।
– इसके बाद यादव ने ऑस्ट्रेलिया में कंसल्टेंसी फर्म मैकेंजी ज्वाइन की। जब प्रभु रेल मंत्री बने तो उनके पिछले और मौजूदा रिकॉर्ड, सोशल मीडिया पर पकड़ को देखते हुए उन्हें बतौर ओएसडी रेलवे में लाए।
– 1998 के आईआरटीएस अफसर वेद प्रकाश सोशल मीडिया के जानकार हैं और रेलवे के सोशल मीडिया सेल के प्रमुख हैं। रेलवे के ट्विटर सेल के चीफ भी यही हैं। किसी भी शिकायत, सुझाव या कमेंट पर एक्शन की सभी जिम्मेदारी प्रकाश के पास है।
साभार- पंजाब केसरी से