Saturday, November 23, 2024
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यूपीेए सरकार ऐसे तो देश ही बेच रही थी!

नई दिल्ली। भारत की टॉप इंटेलिजेंस एजेंसियां और पूर्व की कांग्रेस नीत यूपीए सरकार उस विवादास्पद इटैलियन कंपनी की ग्राहक थी जो हर तरह के फोन और डेस्कटॉप की जासूसी करने में सक्षम सॉफ्टवेयर को पूरी दुनिया में बेचती है। यह दावा इसी सप्ताह जारी ई-मेल में किया गया है और अब मशहूर साइट विकिलीक्स पर उपलब्ध हैक्ड ई-मेल्स में किया गया है।

हैकिंग टीम का कहना है कि वह वैध इंटरसेप्शन सॉफ्टवेयर बनाती है, जिसका दुनिया भर की पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियां इस्तेमाल करती हैं। लेकिन, इंटरनैशनल मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि मिलान स्थित इस कंपनी ने जासूसी औजार बेचे हैं। इनमें से कुछ ब्लैकबेरी, ऐंड्रॉयड और ऐपल फोन्स में पहले से ही लोड किए जा सकते हैं। कंपनी ने अपनी टेक्नॉलजी रूस, सऊदी अरब और कमजोर मानवाधिकार रेकॉर्ड वाली अन्य सरकारों को बेची है। रिपोर्टों में कहा गया है कि गिज्मोडो हैकिंग टीम 'अबतक की सबसे गंदी टेक कंपनियों में एक है।'

लीक्ड ई-मेल्स में बताया गया है कि हैकिंग टीम के ऐग्जिक्युटिव्स भारत गए जहां उन्होंने कथित तौर पर डेमो ऑर्गनाइज कर भारत सरकार के साथ-साथ आईबी तथा रॉ जैसी खुफिया एजेंसियों को दिखाया कि उनके टूल्स किस तरह फोनों को संक्रमित कर सकते हैं। इस इटैलियन कंपनी ने भारत से डील करने के लिए कथित तौर पर प्रायः इस्रायली कंपनी नाइस (एनआईसीई) के साथ भागीदारी की। इंटेलिजेंस अधिकारियों ने बताया, 'संदिग्ध आतंकवादियों के ई-मेल्स और उनके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे कंप्यूटर की मॉनिटरिंग क्षमता की जांच चलती रहती है।' उन्होंने कहा कि आईएस जैसे खूंखार आतंकी संगठनों द्वारा ऑनलाइन भर्तियों और इंडियन मुजाहिदीन द्वारा आतंकी हमले के ऑनलाइन निर्देश पकड़े जाने के आलोक में सर्विलंस सॉफ्टवेयर का खास महत्व है।

लेकिन, लीक हुए ई-मेल्स से ऐसा जान पड़ता है कि मोबाइल फोनों से जानकारी जुटाने के व्यापक उपयोग के लिए डेमोज दिए गए थे। एक ई-मेल में आंध्र प्रदेश पुलिस द्वारा इस तरह के सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी जुटाने के संबंध में चर्चा है। पिछले साल फरवरी में हैकिंग ऐग्जिक्युटिव्स ने एक वेबिनार की बात की थी, इनमें भारत के टॉप खुफिया और आतंकरोधी एजेंसियां रॉ, एनआईए और आईबी भी शामिल हैं। अगस्त 2011 में नाइस और हैकिंग टीम के ऐग्जिक्युटिव्स कैबसेक (कैबिनेट सेक्रेटैरियट) के लिए मौकों पर बातचीत कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कैबसेक को ऐसा खुफिया संगठन बताया था जो सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के अंदर काम करता है। इस बारे में ई-मेल में कहा गया है कि वह (कैबसेक) पहले से ही उनके ग्राहक हैं।

इसी तरह साल 2010 के ई-मेल में जिक्र है कि इटली स्थित भारतीय दूतावास में हैकिंग ऐग्जिक्युटिव्स से कहा जा रहा है कि वे दिल्ली जाकर रिमोट कंट्रोल सिस्टम वी6 स्पाइवेयर का डेमो सरकार के सामने दे। हालांकि, इस सॉफ्टवेयर का मकसद क्या है, इस मेल से साफ नहीं होता है। ई-मेल के मुताबिक पिछले महीने ही हैदराबाद स्थित कंसल्टिंग कंपनी के एक टॉप अधिकारी ने हैकिंग टीम से संपर्क किया था कि वह आंध्र प्रदेश पुलिस के लिए एक प्रस्ताव लाए, जिसे सेल्युलर इंटरसेप्शन हार्डवेयर चाहिए था। इसपर हैकिंग टीम ने उससे संपर्क करनेवाली कंपनी को दस लाख डॉलर का कोटेशन दिया।

साभार- टाईम्स ऑफ इंडिया से

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