हौसला गर आसमां जितना हो तो फिर रास्ते खुद ही बन जाते हैं। कुछ ऐसी ही मिसाल पेश की है मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले की एक बेटी ने। कुदरत ने इसे देखने का हुनर नहीं दिया। लेकिन, इस दृष्टिबाधित बालिका ने इसे अपनी कमजोरी नहीं समझी। स्वाभिमान इतना कि सरकारी मदद भी अपने पैरों पर खड़े होने के बाद वापस लौटा दी।
जोबट के कंदा गांव की रहने वाले गरीब परिवार की बेटी शारदा डावर ने बीएड की पढ़ाई के लिए कलेक्टर से सहायता मांगी थी। कलेक्टर शेखर वर्मा ने तुरंत 10 हजार रुपए की सहायता राशि डीडी के रूप में शारदा को दी। इस दौरान शारदा की नौकरी एक बैंक में लग गई। बैंक में नौकरी लगने के बाद शारदा ने अपने पिता से बात की और कलेक्टर ने जो सहायता राशि का डीडी दिया था उसे वापस करने की बात कही। गरीब परिवार ने बेटी की इस बात को सराहा और उसे कलेक्टर शेखर वर्मा के पास लेकर पहुंचे। कलेक्टर ने इस बालिका का सम्मान किया और मुंह मीठा कराया। शारदा का कहना है कि उन्होंने सहायता राशि इसलिए वापस कर दी ताकि उनके जैसी और लड़कियों की मदद प्रशासन द्वारा की जा सके। वर्मा ने शारदा से कहा है कि कभी जरूरत लगे तो बेझिझक उनके पास मदद के लिए आ सकती हैं।
ग्रामीणों ने भी शारदा के इस कदम की खूब सराहना की है। वे जल्द ही शारदा के सम्मान में एक कार्यक्रम करने वाले हैं। शारदा के इस कदम के बाद वे उन लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन गई हैं जो कि कठिन परिस्थितियों में हिम्मत हार जाती हैं।
साभार- http://www.patrika.com/से