Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeप्रेस विज्ञप्तिस्वामी विवेकानंद की जयंती पर 26 जनवरी तक चलेगा युवा चेतना पखवाड़ा

स्वामी विवेकानंद की जयंती पर 26 जनवरी तक चलेगा युवा चेतना पखवाड़ा

कोटा। राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा के डॉ एस.आर .रंगानाथन कन्वेंशनल हाल मे आध्यात्मिक संत एवं राष्ट्रीय गौरव स्वामी विवेकानंद जी की 161 वी जयंती पर व्याख्यानमाला कार्यक्रम का आयोजन किया गया |

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफ़ेसर डॉ शशि प्रकाश चौधरी सेवानिवृत्त  प्राचार्य राजकीय महाविधालय, मुख्य अतिथि: जितेन्द्र निर्मोही, वरिष्ठ साहित्यागार, विशिष्ठ अतिथि रामेश्वर शर्मा “रामू भैया“ वरिष्ठ साहित्यकार, मुख्य वक्ता एवं बीज व्यक्तव्य प्रोफ़ेसर के.बी. भारतीय सेवानिवृत्त प्राचार्य राजकीय महाविधालय पिडावा, मंच संचालन प्रेम शास्त्री ,स्वागत भाषण डॉ दीपक कुमार श्रीवास्तव संभागीय पुस्ताकालय अध्यक्ष, कार्यक्रम समनव्यय डॉ शशि जैन एवं परामर्शदाता डबली कुमारी ने किया।

स्वागत भाषण मे डॉ दीपक कुमार ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत करते हुये स्वामी जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुये कहा, -राष्ट्रीय गौरव बढ़ाने मे स्वामी जी का स्थान सर्वोपरी हे शायद इयसलिए ही सुभाष चंद बोस ने कहा था, – स्वामी विवेकानद आज जीवित होते तो मे आज उनके चरणो मे बेठा होता , ऐसा ही गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टेगोर ने कहा, –भारत को जानना हे तो स्वामी विवेकानद को पढ़ो।

मुख्य अतिथि जितेन्द्र निर्मोही ने विवेकानंद के बारे में बोलते हुए कहा कि उनका कहना थाअगर कोई चित्रकार दत्तचित होकर चित्र बनाता है कोई रसोईया दत्तचित होकर रसोई बनाता है तो इससे बेहतर निष्काम कर्म क्या हो सकता है। उनका कहना था सहभाव तो सनातन धर्म है। अस्पर्शता बाद में आई है। सनातन धर्म की पहचान चरित्र और संस्कार है। लोक धर्म से सीधे सीधे जुड़ा हुआ है।

मुख्य वक्ता के बी भारतीय ने विवेकानंद की जीवनी को संक्षिप्त परिचय देते हुए।वेद,वेदांग और उपनिषदों के उद्धरणों को स्पर्श करते हुए जीव और ब्रह्म के बारे में बताया। उन्होंने कहा छंदोउपनिषद में आत्मा को सर्वोपरि है।

अध्यक्षता करते हुए कहा कि विवेकानंद बीसवीं शताब्दी के सबसे बड़े चिंतक वामपंथी धारणा जिसे क्रांति कहते हैं उसे विवेकानंद कर्म की पराकाष्ठा बताते हैं। इस देश में पीछली सदी में जो नरेंद्र थे उनका काम दूसरे नरेंद्र कर रहे हैं। हमारे यहां पुरातन काल से मंदिर संस्कृति स्थापित रही, उसको विदेशी आक्रांताओं ने नष्ट किया।अब मंदिर संस्कृति का पुनः उदय हो रहा है। सनातन मनुष्यता की धरोहर है।

इस अवसर पर युवा साहित्यकार माधव शर्मा सहित 7 श्रेष्ठ साहित्य जगत के व्यक्तित्व –डॉ प्रभात कुमार सिंघल, विजय जोशी, रघुनन्दन हटीला, डॉ वैदेही गौत्तम, डॉ कृष्णा कुमारी, योगीराज योगी एवम डॉ शशि जैन को शॉल, श्रीफल, मेडल एवं माल्यार्पण कर सम्मानित किए गए।

इस अवसर पर आर.एस. सौलंकी द्वारा वैदिक गणित चार्ट प्रद्रशनी का आयोज्न किया गया तथा वेदीक गणित का आमुखीकरण कार्यशाला भी प्रदान की गई।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार