आबू रोड। मीडिया पर ऊंगली उठाना आज फैशन सा बन चुका है। पर क्या सिर्फ मीडिया की आलोचना से समस्याओं के समाधान निकलकर सामने आएंगे अथवा इसके लिए नये व्यावहारिक विकल्प तलाशने होंगे। मीडिया की दिनोंदिन घटती विश्वसनीयता और कचोटने वाले वाले सवालों का हल खोजने की वैचारिक कवायद ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा आबू में आयोजित राष्ट्रीय मीडिया महासम्मेलन के कान्फ्रेंस हॉल में दूसरे दिन भी जारी रही। “समाधान केंद्रित मीडिया: आज की जरूरत” विषय पर पहले संवाद सत्र में वक्ताओं ने अपने जो अनुभवजनित विचार साझा किये उनका निचोड़ यही कहता है कि *मीडिया में छटपटाहट महसूस करने वालों को न्यूट्रल पत्रकारिता करने के बजाय अपना रुख़ वैकल्पिक संचार माध्यमों को अपनाने की ओर करना चाहिए।
राष्ट्रीय सहारा के संपादक देवकीनंदन मिश्रा ने इस बात पर चिंता जताई कि आज मीडिया में नकारात्मकता इस कदर हावी है कि सकारात्मक भाव पूरी तरह गुम हो चुका है। उन्होंने बेबाकी से माना कि *बड़े अखबारों की तुलना में खुद के स्वामित्व वाले छोटे समाचारपत्रों में काम करने की स्वतंत्रता अपेक्षाकृत अधिक है।
स्वतंत्र पत्रकार कनुभाई आचार्य ने एक बोधकथा के हवाले से अपनी बात रखते हुए कहा कि *गैरजिम्मेदार पत्रकारिता से हमारे देश की छवि खराब हो रही है।* उन्होंने बुद्धिजीवियों के संवेदनहीन हो जाने की प्रवृत्ति को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
‘अजमेर की मशाल’ की संपादक रसिका महर्षि ने इस बात पर असहमति दर्ज कराई कि मीडिया समस्याओं का कोई हल नहीं निकाल सकता। उन्होंने नारद को सृष्टि का प्रथम समर्थ पत्रकार बताते हुए कहा कि अपनी हिकमतअमली से वे लोक परलोक की समस्याओं का समाधान करने में सक्षम रहे क्योंकि जीवन में लोक कल्याण से इतर उनका कोई अन्य निहितार्थ नहीं था।
केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा में मीडिया के प्राध्यापक और इंडिया टुडे में काम कर चुके उग्र विचारों वाले मुखर पत्रकार बृज खण्डेलवाल (जिन्होंने कभी तटस्थ पत्रकारिता नहीं की) मानते हैं कि पत्रकारिता बुराइयों से लड़ने का हथियार है जिसे चलाने का कौशल सीखना पड़ता है। उन्होंने कहा कि *इन्टरनेट के आने के बाद अब मीडिया का समग्र लोकतंत्रीकरण (टोटल डेमोक्रेटाइजेशन) हो चुका है।*
इस संवाद सत्र में मध्यप्रदेश के राधावल्लभ शारदा और छग के मधुकर द्विवेदी सहित जम्मू कश्मीर में इग्नू के क्षेत्रीय निदेशक कमलेश मीणा, महाराष्ट्र के पूर्व सूचना एवं जनसंपर्क निदेशक देवेंद्र भुजबल और बह्माकुमारीज़ के सूरत वलसाड़ क्षेत्र की प्रभारी बीके रंजन दीदी ने भी अपने विचार रखे।