कभी घर की चौखट से बाहर नहीं निकलने वाली महिलाएं अब भारतीय रेल का चक्का दौड़ाने में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। फौलादी रेल पटरियों की मरम्मत, टिकट चेकिंग, मालगाड़ी का गार्ड, स्टेशन मास्टर और गेटमैन जैसे जो कार्य पहले रेलवे में सिर्फ पुरुषों के ही बस के माने जाते थे, अब महिलाएं भी इन कठिन श्रमसाध्य कार्यों को सफलतापूर्वक कर रही हैं।
लखनऊ मंडल में तैनात ट्रैकमैन (महिला) कैलाशा हों, मालगाड़ी चलाने वाली राधारानी हों, चल टिकट परीक्षक प्रतिभा सिंह हों या फिर गेटमैन (महिला) कुमारी मिर्जा सलमा बेग हों, सबने अपने हौसलों से साबित कर दिया है कि अगर हिम्मत और लगन से किया जाए तो कोई कार्य मुश्किल नहीं।
उत्तर रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक (लखनऊ) अनिल कुमार लहोटी ने भाषा से कहा, पारंपरिक रूप से रेलवे में जो कार्य पुरुषों के ही बस के समझे जाते थे, उक्त महिलाओं ने ऐसे कार्यों को सफलतापूर्वक अंजाम देकर साबित कर दिया है कि वे किसी भी मामले में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। उन्होंने कहा, कभी सुना ही नहीं होगा कि टिकट चेकिंग कोई महिला कर रही है। ट्रेनों में किस किस तरह के यात्रियों से सामना होता है, आप भली भांति जानते हैं लेकिन वाराणसी में तैनात प्रतिभा सिंह ने 2014-15 में उत्कष्ट कार्य किया और बिना टिकट यात्रियों से 27 लाख रूपये से अधिक की आय रेलवे के राजस्व में जोड़ी और एक आदर्श प्रस्तुत किया।
लहोटी ने बताया कि सलमा बेग लखनऊ के निकट मल्हौर में गेटमैन (महिला) के पद पर तैनात हैं। महिला कर्मचारी होने के बावजूद वह दिन और रात की पाली में मालगाड़ियां एवं सवारी गाड़ियां पास करती हैं। महिला कर्मचारी होने के बावजूद अकेले ही गेट की ड्यूटी सफलतापूर्वक निर्वाह कर दूसरे कर्मचारियों के लिए मिसाल पेश करती हैं।
जैतीपुर में बतौर ट्रैकमैन (महिला) तैनात कैलाशा रेल पटरियों को दुरूस्त करने का कार्य करती हैं। इनमें रेल लाइन पर पड़ी गिटिटयों को ठीक से लगाना, स्लीपर को दुरूस्त करना शामिल है। ये अत्यंत शारीरिक श्रम वाले कार्य हैं लेकिन कैलाशा इन्हें बखूबी अंजाम देती हैं।
कुमारी सरिता शुक्ला आलमबाग में आलमनगर स्टेशन पर सहायक स्टेशन मास्टर पद पर तैनात हैं। महिला कर्मचारी होने के बावजूद वह दिन और रात की पाली में कार्य करते हुए औसतन 55 गाडियों की पासिंग एक पाली में करती हैं। आलमनगर स्टेशन लखनऊ मंडल का महत्वपूर्ण इंटरचेंज प्वाइंट है, जहां कार्य करते हुए सरिता बिना किसी दबाव के क्रू गार्ड मामले का प्रबंधन भी आसानी से करती हैं। इसके अलावा दैनिक यात्रियों के मुद्दे, सफाई व्यवस्था, पीआरएस-बुकिंग भी देखती हैं।
इन महिलाओं का मानना है कि हौसला हो तो कोई भी कार्य किया जा सकता है। अब ये जरूरी नहीं कि जिन क्षेत्रों मे केवल पुरुषों का वर्चस्व हुआ करता था, महिलाएं उनमें आगे नहीं आ सकतीं। रेलवे भी एक ऐसा क्षेत्र है, जहां महिलाओं ने कठिन और दु:साध्य समझे जाने वाले तकनीकी कार्य, कड़े श्रम से जुडे कार्य, यात्रियों को संभालने से लेकर गाडिम्यों के गार्ड और स्टेशन मास्टर तक की जिम्मेदारियों को सहजता से निभाया है।
लहोटी ने बताया कि नर्सिंग और रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) में भी महिलाओं की भूमिका काफी सशक्त है। अभी लखनऊ मंडल में आरपीएफ में 30 कांस्टेबल और दो महिला सब इंस्पेक्टर हैं, जिन्हें विशेष तौर पर महिला सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है।
साभार- दैनिक हिन्दुस्तान से