रायपुर,। कुछ कर गुजरने की चाह हो तो संभावनाएं भी खुद बन जाती है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर तैयार गौठान भी महिलाआंे के लिए नयी संभावनाओं के कई अवसर लेकर आए हैं। अर्थ उपार्जन और रोजगार की ये नयी संभावनाएं अब फलीभूत होते दिख रही हैं। एक छोटे से गांव बैहार की महिलाओं ने गौठान से मिले इस अवसर का लाभ उठाकर अपनी कर्मठता और उद्यमिता से एक अलग पहचान बनाई है। रायपुर से आरंग-सरायपाली होकर उडीसा जाने वाले नेशनल हाईवे के किनारे बसे बैहार की स्व-सहायता समूह की महिलाएं गौठान के गोबर से पर्यावरण अनुकूल सामान बनाकर कर न सिर्फ आर्थिक रूप से सबल हुई हैं,बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रही हैं।
गौठान अब गांव और महिलाओं के लिए तकनीकी हस्तांतरण केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे है। बैहार के गोठान में प्रशिक्षण लेकर समूह की महिलाएं गोबर और गौ मूत्र आधारित विभिन्न उत्पाद तैयार करना सीखा। अब महिलाएं गोबर का आकर्षक गमला, दीया, जैविक खाद, जैविक दवाइयों के साथ अगरबत्ती और एलोविरा युक्त साबुन का उत्पादन कर आर्थिक उपार्जन कर रहीं है। महिलाओं ने सब्जी उत्पादन कर 75 हजार रूपये की सब्जी, 5 हजार से अधिक संख्या में गोबर से गमले, 6 क्विंटल अगरबत्ती और 35 हजार रूपये के साबुन का विक्रय किया है। उन्होंने 14 क्विंटल गोबर खाद का निर्माण कर उनका विक्रय भी किया है।
समूह की महिलाओं ने बताया कि शासन की ‘नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी‘ योजना के तहत ग्राम पंचायत बैहार में 3 एकड़ जमीन में गौठान इससे लगे 10 एकड़ में चारागाह और 5 एकड़ जमीन में बाड़ी का निर्माण किया गया है। गौठान के प्रबंधन एवं संचालन की जिम्मेदारी गांव की ही महिला स्व-सहायता समूहों को दी गई है। गौठान के अन्दर महिलाओं को रूरल इण्डस्ट्रीयल पार्क की तरह विभिन्न कार्य करने का प्रशिक्षण और मार्गदर्शन भी दिया जा रहा है। अब गांव की महिलायें गौठान के गोबर से विभिन्न उत्पाद तैयार कर रही है। बैहार के गौठान में अमर ज्योति स्वसहायता समूह, आरती स्वसहायता समूह, एकता स्वसहायता समूह, मॉं अम्बे स्वसहायता समूह, जय मां शारदा, कुमकुम स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने अब आत्मनिर्भता की दिशा में कदम बढ़ाया है और अपने घर-परिवार के लिए संबल बन रही है।