Thursday, December 26, 2024
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साहसिक ट्रैकिंग पर्यटन के लिए चुन सकते हैं इन खूबसूरत स्थानों को

कठिन रास्तों पर वन,वनस्पति,पक्षियों,नदियों,झरनों, पर्वतों के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारते हुए और लुत्फ उठाते हुए पैदल चलना ट्रैकिंग कहा जाता है। पहाड़ों पर या कठिन दीवार पर रस्से से ऊपर की और रॉक क्ललाइंंबिं कहा जाता है। कठिन और दुर्गम पहाड़ की लंबी दूरी पार कर पहाड़ की ऊंची चोटी तक पहुंचना पर्वतारोहण कहा जाता हैं। इसे लक्ष्य आधारित अभियान के रूप में पर्वतारोही पूर्ण करते हैं। अमूमन पर्वतरारोही दल पर्वतारोहण का अभियान चलाते हैं। ये तीनों ही गतिविधियां साहसिक पर्यटन के महत्वपूर्ण आयाम हैं। पर्यटन की जिज्ञासा को शांत कर रोमांचक आंनद प्रदान करने के साथ – साथ नई ऊर्जा का संचार कर ये तनाव मुक्त बनाने में सहायक हैं। साहस और हिम्मत हो तो ट्रेकिंग सभी उम्र के लोगों के लिए एक बेहतरीन अनुभव हो सकता है। भारत में अनेक पर्वतीय स्थल, घने जंगल, गुफाएं और वन्यजीव पार्क ट्रैकिंग की ख्वाइश रखने वालों के लिए आदर्श स्थल और पर्याप्त अवसर प्रदान करता हैं। पर्वतों की ऊंचाई पार के जब हम किसी देव दर्शन को जाते हैं तो कभी भी इस रोमांचक यात्रा को भूल नहीं पाते हैं।

अवकाश के पलों को केसे बिताएं हर एक की अपनी प्राथमिकता होती हैं परन्तु आज कल खास कर युवा वर्ग रोमांचित कर देने वाला ट्रैकिंग का विकल्प चुन ने लगे हैं। वे उन स्थानों का कार्यक्रम बनाते हैं जहां ट्रैकिंग के मनोरंजक पलों का आंनद ले सकें। आइए ! देखते हैं कुछ मनोरम स्थलों को जिन्होंने ट्रैकिंग में खास पहचान बनाई हैं और पर्यटन में पसंदीदा स्थल बन गए हैं। ट्रैकिंग मनोरंजन प्रधान होता है और कम या अधिक दूरी के लिए ट्रैकिंग पर जा सकते हैं। भारत के कुछ खास ट्रेगिंग स्थलों के बारे में आपको बताते हैं।

उत्तर भारत में ट्रेकिंग

उत्तरी भारत में पहाड़ियों की अधिकतम उपलब्धता होने के कारण पेशेवर और शौकिया पर्यटकों के लिए रॉक क्लाइंबिंग के लिए कई सुविधाएं उपलब्ध हैं। हिमाचल प्रदेश और उत्तरांचल इस दृष्टि से सिरमौर हैं। यहां लोकप्रिय ट्रैकिंग और रॉक क्लाइंबिंग स्थलों की अच्छी खासी फेहरिस्त हैं। विश्व विरासत में शुमार फूलों की घाटी का रमणीय दृश्य बेमिसाल है। यह रोमानी ट्रेक घनी पहाड़ियों, अल्पाइन के फूलों से घिरे हैं और हिम तेंदुए जैसी दुर्लभ प्रजातियों का निवास भी है। रोमांच के लिए उत्साहित लोग जम्मू-कश्मीर के जांस्कर में जमी नदी के बीच प्रसिद्ध चादर ट्रैक भी जा सकते हैं। हिमालयी चट्टान पर्वतारोही के बीच सबसे लोकप्रिय हैं। इसलिए, हिमाचल प्रदेश राज्य में मनाली, कुफरी, भरमौर, धर्मशाला, नारकंद और जिस्पा में कई चट्टानी चढ़ाई वाले क्षेत्र हैं जो शायद इस तरह के सबसे कठिन क्षेत्र हैं। उत्तरांचल राज्य के गढ़वाल हिमालयी क्षेत्रों में गंगोत्री एक और प्राकृतिक चट्टानी चढ़ाई स्थल है जो कठिनाइयों और जोखिमों से भरा है। लेकिन साहस का हिस्सा होने का जोखिम वास्तव में उत्साही लोगों को इसके प्रति आकर्षित करता है। दिल्ली में लाडो सराए, धौज (मुख्य शहर के बाहरी भाग) नामक स्थान पर हैं। बांध दामा झील भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध चट्टानों पर चढ़ने वाले स्थलों में से एक हैं।

फूलों की घाटी ट्रैक उत्तराखंड
फूलों की घाटी ट्रैक उत्तराखंड में मौजूद है और ये ट्रैक खूबसूरत ट्रैकिंग स्थल में आता है। उत्तराखंड में 55 किमी.लंबी फूलों की घाटी ट्रेक को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में जगह दी है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 3658 मीटर है। मानसून के मौसम के दौरान, पूरी घाटी रंगीन हिमालयी फूलों से रंगबिरंगे है जाती है। यहां का दृश्य किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता। यहां किसी उम्र के लोग ट्रैकिंग का मजा लेने के आ सकते हैं। इस जगह पर ट्रैकिंग करने का मजा जुलाई से सितंबर के बीच है।पास ही प्रसिद्ध हेमकुंड साहिब के सिख तीर्थ स्थल दर्शनीय है।

रूपकुंड ट्रेक, चमोली
उत्तराखंड के चमोली जिले में रूपकुंड ट्रेक लोहाजंग से 3200 मीटर की ऊंचाई पर शुरू होता है और रूपकुंड नामक झील तक जाता है, जो 5029 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ट्रैक की 53 किमी. दूरी को तय करने में 7 से 9 दिन का समय लगता हैं। इस दौरान हरे – भरे जंगल, नदियों का कल – कल करता पानी, हिमालय की नंदा देवी और नंदा घुंटी चोटियां, कई प्रजातियों के पक्षियों का कलरव , मन्दिर में देव दर्शन और रात्रि कैंपिंग ट्रैकिंग को अविस्मरणीय रूप से यादगार बना देती है। मई से अक्टूबर के मध्य का समय यहां ट्रैकिंग के लिए सर्वथा उपयुक्त है।

हम्पटा पास ट्रेक, हिमाचल प्रदेश
कुल्लू घाटी के गांव हम्पटा से शुरू होकर लाहौल और स्पीति घाटी के चटरू में समाप्त होता हुआ लोकप्रिय हम्पटा दर्रा ट्रेक लगभग 35 किमी लंबा है। इस ट्रैक को आप चार से पांच दिन में पूरा कर सकते हैं, इसकी ऊंचाई 4400 मीटर है। यहां के नजारे बेहद लुभावने और खूबसूरत होते हैं। इस ट्रैक के दौरान बर्फ से ढकी घाटियों, घने देवदार के जंगलों, फूलों के मैदानों, क्रिस्टल साफ पानी की धाराओं, हिमालयी एविफौना मन मोह लेते हैं और अंत में लाहौल- स्पीति पहुंच कर समाप्त हो जाता है। ट्रैक में चंद्र ताल पर रात्रि कैंप भी शामिल है। यहां ट्रैकिंग का सबसे अच्छा समय जून से नवंबर के बीच है। यह लंबी ट्रैकिंग उनके लिए सुनहरा अवसर है जो पहली बार ट्रैकिंग पर जा रहे हैं।

रूपिन पास ट्रैक, गढ़वाल
भारत में ट्रैकिंग के लिए सबसे अच्छे स्थानों में करीब 52 किमी. लंबा रूपिन पास ट्रैक गढ़वाल क्षेत्र में चुनौतीपूर्ण ट्रैक है । यह समुद्र तल से ऊंचाई 15,250 फीट है। यह ट्रैक उत्तराखंड के धौला से शुरू होता है और हिमाचल प्रदेश के सांगला में समाप्त होता है। घास के मैदान और बर्फ से ढकी पहाड़ियां, झरने, गांव ट्रैकिंग के आकर्षण हैं। इसे पार करने में करीब 7 दिन का समय लगता हैं।

राजमाची किला ट्रेक, महाराष्ट्र

जो लोग ट्रैकिंग के लिए नए-नए हैं उनके लिए भारत में कई ट्रैकिंग स्थल मौजूद हैं, और महाराष्ट्र भी उनमें से एक है। राजमाची ट्रैक लोनावाला से लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित है। इस ट्रैक की औसत अवधि एक दिन है और समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 3000 फीट है। इस ट्रैक की दूरी 14 किमी है और बेस कैंप उधेवाड़ी है। दौरान घाटी का अद्भुत नजारा, झरने, मंदिरों और प्राचीन बौद्ध गुफाओं, किलों का आकर्षण ट्रैकिंग को यादगार बना देते हैं। जून से सितम्बर का समय ट्रैकिंग के लिए अनुकूल है।

दक्षिण भारत में ट्रेकिंग
भारत के दक्षिणी हिस्से में पश्चिमी घाटों और दक्कन के पठारों को एक अलग पारिस्थितिकी और भौगोलिक सुविधाओं के रुप में पहचान बनाते हैं। पहाड़ों और फ्लैट हाइलैंड्स के साथ दक्षिण भारत में ट्रेकिंग और रॉक क्लाइंबिंग के लिए कई अद्भुत स्थान हैं। साहसिक पर्यटन ने यहां कई अज्ञात स्थानों को खोजा है जिससे दक्षिण में भी उत्तर भारत की तरह ट्रेकिंग का आकर्षण बढ़ गया है। बैंगलुरू,कूर्ग,चिकमंगलूर,तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश में अनेक पर्वतों पर रोमानी ट्रैक पर्यटकों के लिए ट्रेकिंग के अवसर प्रदान करते हैं। ट्रैकिंग के लिए इन शहरों को ही अपनी यात्रा का केंद्र बिंदु बनाया जा सकता हैं। ये सभी शहर रेल, हवाई और बस सेवाओं से जुड़े हैं और भोजन एवं ठहरने की हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध हैं। सम्पूर्ण दक्षिण भारत में ट्रैकिंग के लिए नवंबर से फरवरी के मध्य का समी सर्वथा अनुकूल होता है।

कर्नाटक में ट्रेकिंग
कर्नाटक में पेशेवर और शौकिया ट्रेकिंग, हाइकिंग और रॉक क्लाइंबिंग दोनों के लिए उपयुक्त स्थानों की कमी नहीं है।अधिकतम संख्या है।

रामादेवारा बेटा ट्रेक
बैंगलुरू से करीब 60 किमी दूर, रामादेवारा बेटा रामानगर टाउन के पास लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थलों में से एक है। यहां पर पहाड़ी क्षेत्र समुद्र तल से 3066 फीट ऊंचाई पर स्थित है और उत्साही लोग लंबी ट्रेकिंग और रॉक क्लाइंबिंग का मज़ा लेते हैं। ट्रेंकिग करने के लिए यहां ज्यादा पर्यटक आते हैं।

कुंती बेटा ट्रेक
बैंगलुरू से 123किमी.दूर एक और लोकप्रिय ट्रेकिंग गंतव्य कुंती बेटा समुद्र तल से 950 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। इस जगह पर ट्रेकिंग काफी मुश्किल है और विशेषज्ञ अनुभव की आवश्यकता है। यह पांडवपुरा नामक शहर में स्थित है, जिसका नाम महाभारत के पांडवों के नाम पर रखा गया है और माना जाता है कि पांडवों ने महाभारत के समय यहां का दौरा किया था।

सावनदुर्ग ट्रेक
बैंगलुरू से लगभग 60 किमी दूर, जंगल से ढकी हुई सावनदुर्ग पर्वत श्रृंखला ट्रेकिंग के लिए एक उत्तम जगह है। बिलिगुड्डा और करीगुड्डा के शिखर कर्नाटक राज्य में सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थलों में हैं। पूरी श्रृंखला समुद्र तल से 1226 मीटर ऊपर है और पहाड़ी की चोटी विशेष रूप से चढ़ाई और ट्रेकिंग के लिए आदर्श स्थान हैं। ट्रैकिंग का रास्ता बताने के लिए गाइड का होना जरूरी है।

रामानगर ट्रेक
बैंगलुरू से 50किमी.दूरी पर स्थित रामनगर ट्रैक आकर्षक पहाड़ी ट्रैक है जहां रस्सी के द्वारा चढ़ाई करना, रैपलिंग, टेर्किंग के लिए कई स्थान उपलब्ध है। यह स्थल सबसे ज्यादा पर्यटकों और व्यस्तम वाले ट्रेकिंग स्पॉट्स में से एक है। दिलचस्प है कि लोकप्रिय फिल्म शोले की यहां शूटिंग हुई थी।

मेकेदातु ट्रेक
बैंगलुरू से 98 किमी दूर, मेकेदातु चढ़ाई और ट्रेकिंग के लिए बहुत अच्छा विकल्प है। यह श्रीरंगपट्टन में मैसूर रोड पर स्थित है। करिंगट्टा पहाड़ी समुद्र तल से 2697 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां का ट्रेकिंग पॉइंट कावेरी नदी के पास है जो अपने आप में आकर्षण का केन्द्र है।

एंथर्गेंज ट्रेक

लोकप्रिय ट्रेकिंग में से एक है एंथर्गेंज जो बैंगलुरू से 68 किमी दूर स्थित है। एंथर्गेंज समुद्र तल से 1226 मीटर ऊंचाई पर है। यह ट्रेकिंग और लंबी पैदल यात्रा के लिए एक आदर्श स्थ ल है। यहां की गुफाओं और पहाड़ियों की श्रृंखला आनंददायक आकर्षक हैं।

स्कंदगिरी ट्रेक
बैंगलुरू से 70 किमी दूर सब से लोकप्रिय स्कंदगिरी ट्रेक खूबसूरत जगह है जो साहसिक पर्यटकों को लुभाती है। एक पहाड़ी की चोटी है जो घने घने जंगलों से ढकी हुई है। पर्यटक टिपू सुल्तान के किले की दीवारों के माध्यम से आठ किलोमीटर लंबी यात्रा का आंनद ले सकते हैं। पहाड़ियों के शीर्ष तक पहुंचने के लिए कोई विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है, लेकिन पहाड़ी ढलानों के माध्यम से घूमते हुए सतर्क आंखें निश्चित रूप से अप्रत्याशित दुर्घटनाओं को चकित करने में मदद करती है।

मधुगिरि
बैंगलुरू से 100 किमी.दूरी पर एशिया में दूसरा सबसे बड़ा मोनोलिथ, मधुगिरी 3030 फीट की ऊंचाई वाला एक लोकप्रिय पहाड़ी स्थ ल ट्रैकिंग के लिए एकदम उपयुक्त है। यह चोटी की ओर से एक चुनौतीपूर्ण सुखद ट्रेकिंग ट्रेल प्रदान करता है। इसकी चोटी पर गोपालकृष्ण मंदिर के खंडहर हैं। आसपास के क्षेत्र चोटी से आश्चर्यचकित कर देने वाले हैं। प्रकृति से जुड़ी ट्रेक की कुल लंबाई लगभग तीन किलोमीटर है।

अंतारा गैंज
बैंगलुरू से 65 किमी दूर स्थित, अंतारा गैंज कोलार जिले में एक पहाड़ है जिसके चारों ओर कई अच्छे ट्रेकिंग स्पॉट हैं। तीन किलोमीटर की लंबाई के साथ सीमा रॉक पर्वतारोहियों के लिए भी अच्छा विकल्प है। आसपास के जंगल ट्रेकिंग को थोड़ा और चुनौतीपूर्ण बनाते हैं।

कनकपुरा ट्रेक
बैंगलुरू से 55 किमी.दूरी पर खूबसूरत कनकपुरा पहाड़ी श्रृंखला कई लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थलों की पेशकश करती है। इसकी सीमा की सुंदर ट्रेकिंग को और अधिक सुखद बनाती है। यह जगह सभी प्रकार के ट्रेकर विशेष रूप से युवाओं के लिए आदर्श है। ट्रेकिंग ट्रेल की कुल लंबाई चार किलोमीटर है।

शिवगंगा
बैंगलुरू से 54 किमी. दूर शिवगंगा पहाड़ी शहर के पास होने से सबसे अधिक पर्यटक यहां जाते हैं। शिवगंगा शिखर समुद्र तल से 1350 मीटर ऊंचाई पर है। यह गंगा नामक बहने वाली धारा से घिरा हुआ है। यह जगह ट्रेकर्स और चट्टानी पर्वतारोही के लिए एक आदर्श स्थान है जो चोटी की ओर कई चुनौतियों की पेशकश करता है। यहां की ढलानें खड़ी हैं और शीर्ष पर पहुंचने में कठिन यात्रा करनी होती है। लेकिन पहाड़ी रेंज की प्राकृतिक सुंदरता के रहते 4 किमी.का ट्रैकिंग कब समाप्त हो जाता है पता नहीं चलता।

पहाड़ों की रानी कूर्ग
कूर्ग कर्नाटक राज्य की पहाड़ी रानी कही जाती है जो कई खूबसूरत और चुनौतीपूर्ण ट्रेकिंग स्थलों की पेशकश करती है। तंदियांदमोल कूर्ग में सबसे अद्भुत ट्रेकिंग स्थानों में से एक है जो बैंगलुरू शहर से 250 किमी दूर पर स्थित है। यह कोडागु में सबसे ऊंची चोटी है और ट्रेकरों के लिए आरामदायक मौसम के साथ एक सुंदर और शांत माहौल प्रदान करती है। सर्दियों के मौसम के दौरान इसकी मनोहरता अधिक भव्य हो जाती है। सुन्दर हरियाली, बहने वाली धाराएं, और आरामदायक हवा- ये सभी आठ किलोमीटर की ट्रेकिंग ट्रेक की यात्रा को चिरस्मरणीय बना देते है।

कुमार पाराता, कूर्ग
समुद्र तल से 1712 मीटर की दूरी पर स्थित, कुमार पर्वत सौंदर्य और चुनौतियों से भरा ट्रेकिंग गंतव्य है। शारीरिक रूप से सख्त ट्रेकरों के लिए यह ट्रैक कर्नाटक राज्य की सबसे खूबसूरत जगह का अनुभव प्रदान करता है। कुमाड़ा पर्वत राज्य की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है। 16 किमी ट्रेकिंग ट्रेक में सुन्दर जंगलों, संकीर्ण झरने, और असमान छूती चट्टानी पथ शामिल हैं। कुमार पाराता में ट्रेकिंग को पूरा करने के लिए दो-तीन दिन की आवश्यकता होती है और इसके लिए पेशेवर प्रशिक्षण साथ होना आवश्यक है।

भिमेश्वरी
भिमेश्वरी रिवे कावेरी और तीन खूबसूरत झरनों के बीच स्थित है। जिससे इसकी खूबसरती इसे और अद्भुद बना देती है। भिमेश्वरी में ट्रेकिंग एक आसान विकल्प है और किसी भी उत्साही पर्वतारोही को ही यह जगह आसानी से पंसद आ सकती है। जो भी आरामदायक मार्ग से घूमकर दिमागी शरीर को फिर से ऊर्जा से भरना चाहते है उन्हें यहां अवश्य ही ट्रेंकिग का लुत्फ उठाना चाहिए। भिमेश्वरी के पास पांच किलोमीटर का ट्रेकिंग-पथ है और यहां कैंपिंग, कयाकिंग और नदी राफ्टिंग भी अन्य आकर्षण हैं।

सिद्धारा बेटा
बैंगलुरू शहर से लगभग 100 किमी की दूरी पर स्थित मुख्य रूप से एक पक्षियों को देखने की प्रसिद्ध जगह सिद्धारा बेटा कर्नाटक के तुम्कर में एक ट्रेकिंग पॉइंट के रूप में भी लोकप्रिय है। हरियाली से लबरेज चट्टानी इलाका चार किमी लंबा ट्रेक उपलब्ध कराता है। ट्रैकिंग को औषधीय पौधे, रोमानी दृश्य , खूबसूरत फंवरा, प्राकृतिक गुफाएं और भगवान सिद्धेश्वर के एक प्राचीन मंदिर दिलचस्प बना देते हैं।

बाबा बुडांगिरी
पहाड़ी की चोटी जो पश्चिमी घाटों की दत्तागिरी रेंज का हिस्सा बाबा बुडांगिरी समुद्र तल से 6217 फीट पर स्थित एक ट्रेकिंग गंतव्य है। यह एक खूबसूरत पहाड़ी हिरणों और आश्चर्यजनक झरने के बीच आसान ट्रेकिंग स्थल है। मणिक्यधारा मन मोह लेती है। इस ट्रेक की कुल लंबाई 10 किलोमीटर है ।

मुलयांगिरी, चिकमंगलूर
मुलयांगिरी पश्चिमी घाटों की नीलगिरी सीमा का सर्वोच्च शिखर है। यह ट्रेकिंग, चढ़ाई और लंबी पैदल यात्रा का एक बड़ा अनुभव प्रदान करता है। यह एक और अद्भुत ट्रेकिंग स्पॉट है। चोटी तक पहुंचने में कम से कम दो दिन का समय लगता हैं, जिनमें से कुल सात किलोमीटर को मध्यम ट्रेकिंग के दस घंटे के साथ पूरा किया जा सकता है। पर्यटक कई प्राकृतिक गुफाओं और पथ पर नंदी की एक सुंदर प्रतिमा का भी आनंद ले सकते हैं।

नरसिम्हा पर्वत
नरसिम्हा पर्वत का ट्रेकिंग पथ अच्छे हरे जंगलों और नीले असमान,भूरी घासों के साथ घिरा हुआ होता है जो इसे सुंदरता प्रदान करती हैं। पहाड़ी और सूर्य का विंहगम दृश्य इस नजारे को अद्भुद बनाता है। यह चोटी पश्चिमी घाटों की अगुम्बे रेंज की सर्वोच्च शिखर पर है। बैंगलुरू से यह 350किम.दूरी पर स्थित है। दुर्गम ट्रैकिंग पुरा करने में अमूमन 10 घंटे का समय लगता है। कर्नाटक राज्य के अन्य ट्रैकिंग स्थलों में कोडाचाद्री शिमोगा , कुद्रमुख( चिकमंगलुर), एवं कम्पा भूप भी मुख्य हैं।

तमिलनाडु में ट्रेकिंग

भारत के दक्षिण भारतीय राज्यों में सागर और पहाड़ियों दोनों का प्राकृतिक संगम स्थित है। तमिलनाडु , आंध्र प्रदेश और केरल राज्यों में भी रोमांचकारी पर्यटकों के लिए बहुत सी जगह हैं जो उन्हें साहसिक गतिविधियों को करने का विकल्प प्रदान करती हैं। तमिलनाडु में ट्रेकिंग के लिए ये कुछ लोकप्रिय गंतव्य हैं।

उधगममंडलम (ऊटी)
नीलगिरी रेंज के उधगममंडलम में विभिन्न चुनौतियों के साथ चुनौतीपूर्ण पहाड़ी इलाकों और घने जंगलों के बीच कई ट्रेकिंग मार्ग उपलब्ध कराता है। जो पर्वतारोहियों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं।

सिरुवानी झरने
सिरुवानी या कोवाई कुत्रलम वाटरफॉल(झरना) चेन्नई से 535 किमी दूर और कोयंबटूर रेलवे स्टेशन से लगभग 36 किमी दूर पर स्थित है। यह सिरुवानी हिल्स के हिस्से में है। यहां की पहाड़ी ज्यादातर घने जंगल से ढकी हुई हैं। सिरुवानी बांध और मदवरायपुरम के पार से शुरू होने वाली चार किलोमीटर की ट्रेक में झरने तक पहुंचने की आवश्यकता होती है। यहां ट्रेक चुनौतीपूर्ण है।

पेरुमल शिखर
नीलगिरी रेंज ट्रेकिंग जैसे साहसिक यात्राओं के लिए कुछ बेहतरीन स्थानों की पेशकश करता है। पेरुमल शिखर एक ऐसी जगह है जो तमिलनाडु राज्य के सबसे लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थलों में से एक है। पेरुमल शिखर या पेरुमल मलाई शिखर कोडाइनकाल में स्थित है और यह कोयंबटूर शहर से 11 किमी दूरी पर है। इसकी ऊंचाई 2440 मीटर है। पेरुमल शिखर पर ट्रेकिंग चुनौतीपूर्ण है जिसके लिए विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। ट्रेकर में पास के खूबसूरत पन्नाकाडु गांव जाने के लिए समय निकाला जा सकता है। डॉल्फिन की नाक, थालययार झरना एवं इलागिरी हिल्स अन्य प्रमुख और आकर्षक ट्रैकिंग स्थल हैं।

आंध्र प्रदेश में ट्रेकिंग
भारतीय मिट्टी के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित, आंध्र प्रदेश राज्य में साहसिक साधकों को लुभाने के लिए कुछ महान ट्रेकिंग स्थल है। राज्य के कुछ महत्वपूर्ण स्थानों का उल्लेख नीचे दिया गया है:

अहोबिलम
अहोबिलम आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में लोकप्रिय ट्रेकिंग स्पॉट भी है। पहाड़ी की चोटी की ऊंचाई 327 मीटर ऊंची
है जो नल्लामाला के घने जंगल से ढकी हुई है। यहां दो मन्दिर भी दर्शनीय है। इस स्थान का पौराणिक महत्व है,भगवान विष्णु के नरसिम्हा अवतार के रूप में प्रहलाद को बचाने के लिए हिरण्यकसिपु को मारा था।

कदलिवानम गुफाएं
कदलिवानम गुफाएं प्राकृतिक गुफाएं हैं जो अक्का महादेवी गुफाओं से 12 किमी दूर और श्रीशैलम से 22 किमी दूर स्थित हैं। महादेवी सेव्स से ट्रेकिंग मार्ग कई पहाड़ियों के माध्यम से कदलिवानम की गुफाओं तक ट्रेकिंग उत्साही लोगों के लिए अच्छी जगह है। यहां कई मानव निर्मित और इस्तेमाल किए गए पाषाण-उपकरण पाए गए हैं जो पाषाण युग में मानव के अस्तित्व को साबति करते हैं। यहां गुफाओं के बगल में बहने वाली एक खूबसूरत नदी जगह को और अधिक आकर्षक बनाती है। यहां का ट्रेकिंग ट्रेल आसान है। यहां प्राकृतिक स्थान के ऐतिहासिक मूल्य का अनुभव करने की कोशिश कोई भी व्यक्ति कर सकता है।

तयडा प्रकृति शिविर
प्रकृति-प्रेमी और स्वंय की खोज करने वाले पर्यटकों के लिए तयड़ा प्रकृति ट्रेक अराकू से 40 किमी दूर और विज़ाग शहर से 70 किलोमीटर दूर स्थित है। यह छोटा जनजातीय गांव विजाग और अराकू के बीच घूमने वाले पूर्वी घाटों की पहाड़ियों पर स्थित है। प्रकृति के बीच यह ट्रेकिंग, रॉक क्लाइंबिंग और पक्षियों को देखने आदि का विंहगम दृश्य प्रदान करता हैं। प्रकृति शिविर से इस क्षेत्र की जैव विविधता के साथ-साथ आदिवासी जीवनशैली और संस्कृति को जानने का अवसर मिलता है। यात्रा में दो दिन का समय लग सकता है़।

तालाकोना झरना ट्रेकिंग
तालाकोना आंध्र प्रदेश राज्य में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध झरने में से एक है जिसकी ऊंचाई 270 फीट है। यह झरना आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान के अंदर स्थित है। यह तिरुपति से 49 किलोमीटर दूर और बकरपेटा शहर से 23 किमी दूर है। झरने तक पहुंचने के लिए सिद्धाश्वर स्वामी मंदिर से एक विशाल और घने जंगल के साथ चट्टानी इलाके के माध्यम से दो किलोमीटर की यात्रा करने की जरूरत पड़ती है। ट्रेक को पूरा करने में एक घंटे से अधिक का समय लगने की संभावना होती है।

कतिकी झरना
एक घने हरे जंगल के माध्यम से एक छोटी लेकिन साहसी ट्रेक से सौंदर्य का अद्भुद नजारा काटिकी झरने में देखने को मिलेगा जो ट्रेकरों को एक अलग दुनिया का एहसास कराता है। कातिकी झरना बोरा के प्रसिद्ध चूना पत्थर की गुफाओं के पास अराकू से 38 किमी दूर स्थित है। आंध्र प्रदेश में यह 120 फीट ऊंचाई से गिरता है। यह एक मध्यम ट्रेकिंग प्वाइंट के रूप में क लोकप्रिय गंतव्य है। ट्रेकिंग में लगभग 2-3 घंटे लगते हैं।

पूर्वी भारत में ट्रेकिंग
भारत के पूर्वी क्षेत्रों में भी ट्रेकिंग के लिए कई स्थान है। दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में स्थित हिमालय पर्वतारोहण संस्थान हैं। दार्जलिंग और सिक्किम समेत कई क्षेत्र बड़ी चट्टान चढ़ाई यात्रा प्रदान करते है। बंगाल के उत्तरी हिस्से के अलावा, चट्टानी चढ़ाई चढ़ने के लिए पर्वतारोहियों के लिए कई अन्य स्थान हैं। पुरुलिया, सुसुनिया, जय चंडी, मथाबुरा इत्यादि। यह स्थान विशेषज्ञ और नौसिखिया चट्टानी पर्वतारोही के बीच बहुत लोकप्रिय हैं क्योंकि ये क्षेत्र प्राकृतिक चट्टानों और पहाड़ियों से संपूर्ण हैं जहां चट्टानी चढ़ाई का लुत्फ उठाया जा सकता है।

सिक्किम में ट्रेकिंग

सिक्किम सच्चे ट्रेकिंग उत्साही लोगों के लिए कुछ बेहतरीन स्थानों की पेशकश करता है। पूर्वी भारत के इस पहाड़ी राज्य के सबसे अच्छे ट्रेकिंग गंतव्यों में सिक्किम- दार्जिलिंग- कंचनजंघा ट्रेक पर्वता रोहियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। कंचनजंगा ट्रेक लोकप्रिय उच्च ऊंचाई लंबी ट्रेकिंग यात्राओं में से एक है। इसमें पूर्वी हिमालयी सीमा का लंबा निशान शामिल है। यह ट्रेक गोचाला और सांडकफू ट्रेक को एकरूप ता में प्रदान करता है। भाग्यशाली पर्वतारोही को ही सबसे उंचे पर्वत को देखने का दुर्लभ मौका मिलता है। सैंडकफू से एक ही फ्रेम में एवरेस्ट और कंचनजंघा चोटी एक साथ दिखाई देती है। यहां मुख्य ट्रेकिंग दार्जिलिंग से शुरू होती। इस पूरी यात्रा को पूरा करने के लिए आमतौर पर 14-15 दिनों का समय लगता है।

उत्तर सिक्किम उच्च ऊंचाई ट्रेक सिक्किम में सबसे अच्छी और सबसे तीव्र ट्रेकिंग यात्रा उत्तरी सिक्किम हाई अल्टीड्यूड(उच्च-उंचाई) ट्रेक है जिसे अत्यधिक प्रशिक्षित पेशेवर पर्वतारोहि ही करते हैं। उन्हें भी यहां ट्रेकिंग करने के लिए सख्त सलाह दी जाती है। क्योंकि यह एक पेशेवर पर्वतारोहियों की जगह है। जिसे पेशेवर विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। ट्रेकिंग ट्रेल की औसत ऊंचाई लगभग 4340 मीटर है और मौसम परिस्थितियों में सामान्य रहने पर आम तौर पर 15-17 दिनों का समय लगता हैं। मई से नवंबर का महीना इस यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है।

वर्से ट्रेक
सिक्किम में लोकप्रिय मुलायम ट्रेक में से एक वर्सारी ट्रेक है जो भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित है। यह आकर्षक रोडोडेंड्रॉन के साथ एक खूबसूरत पहाड़ी इलाका है। इस ट्रेकिंग यात्रा के दिलचस्प तथ्यों में से एक शीर्ष पर जाने के लिए कैम्पिंग सुविधा की उपलब्धता है। प्रकृति प्रेमियों के पास पक्षियों की एक अच्छी श्रृंखला के लिए देखने का भी यहां बेहतरीन अवसर होता है। इस मार्ग की औसत ऊंचाई 3000 मीटर से ऊपर है और ट्रेक को पूरा होने में नौ से दस दिनों का समय लगता हैं। वर्से में ट्रेक के लिए जाने का सबसे अच्छा समय दिसंबर से मार्च तक है।

गोचा ला ट्रेक
गोचा ला ट्रेक निस्संदेह सिक्किम में सबसे प्रसिद्ध ट्रेकिंग गंतव्य है। यह ट्रेक कचंनजंघा पर्वत का सबसे शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। गोचा ला ट्रेक एक और लोकप्रिय ट्रेक, ज़ोज़री ट्रेक का विस्तारित संस्करण है। ज़ोज़री घास के माध्यम से अद्भुत मार्ग इस क्षेत्र में हिमालयी सीमा की असीमित सुंदरता को दर्शाते हैं। यहां की चढ़ाई को खत्म होने में लगभग 8-9 दिन लगते हैं।

ज़ोंगरी ट्रेक
युकसोम ज़ोंगरी ट्रेक सिक्किम राज्य में दूसरी सबसे लोकप्रिय उच्च ऊंचाई लघु ट्रेकिंग स्थल है। यह ट्रेक वास्तव में गोचा ला के अन्य प्रसिद्ध बिंदु की ओर जाता है और इसे लंबी यात्रा का छोटा हिस्सा माना जाता है। ज़ोंगरी ट्रेक युक्सम से शुरु होती है और इस ट्रेक को खत्म होने में लगभग चार से पांच दिन का समय लग जाता है। सांस रोकने वाले पंडिम और कंचनजंघा के लुभावनी दृश्य पर्वतारोहियों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं हैं। एक बार फेडांग पहुंचने के बाद यह रास्ता और खतरनाक हो जाता है। यहां के ट्रेकिंग की ऊंचाई 4020 मीटर है और कुछ अपरिहार्य मौसम परिस्थितियों के कारण यात्रा में पांच से नौ दिन लगते हैं। ज़ोज़री में यात्रा करने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून तक और अगस्त से नवंबर तक का होता है।

(लेखक राजस्थान जनसंपर्क के सेवा निवृत्त अधिकारी हैं व स्व तंत्र लेखने करते हैं)

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