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भारत गौरव
 

  • पावापुरी (फाजिल नगर) की ऐतिहासिक पहचान

    एक निजी यात्रा के दौरान कुशीनगर के सुमाही खुर्द गांव जाने का अवसर मिला। सुमाही खुर्द गाँव उत्तर प्रदेश के कुशी नगर जिले की कसया तहसील के फाजिल नगर ब्लाक के रामपुर उर्फ खूशहाल टोला ग्राम पंचायत में स्थित है। सुमही दो शब्दों से बना है। सु +माही में सु का मतलब सुंदर और माही […]

  • डॉक्टर हेडगेवार जी का हिंदुत्व..!

    डॉक्टर हेडगेवार जी का हिंदुत्व..!

    किसी व्यक्ति के कार्य का मूल्यांकन करना है, या उस व्यक्ति ने किये हुए कार्य का यश – अपयश देखना हैं, तो उस व्यक्ति के पश्चात, उसके कार्य की स्थिति क्या है, यह देखना उचित रहता हैं. उदाहरण हैं – छत्रपती शिवाजी महाराज. मात्र पचास वर्ष का जीवन. लगभग तीस वर्ष उन्होंने राज- काज किया […]

  • आधुनिक भारत के हिंदू योध्दाः डॉ. हेडगेवार

    जन्मतिथि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ( इस वर्ष 22 मार्च) पर विशेष भारत के सबसे विशाल, समाजसेवी व राष्ट्रभक्त संगठन, “राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ” के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म युगाब्द 4991 की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नागपुर के एक गरीब वेदपाठी परिवार में हुआ था। डॉ. हेडगेवार जी के पिता का नाम श्री बलिराम […]

  • नव संवत्सर के दिन भगवान झूलेलाल का अवतरण हिंदू धर्म के रक्षार्थ हुआ था

    नव संवत्सर के दिन भगवान झूलेलाल का अवतरण हिंदू धर्म के रक्षार्थ हुआ था

    भगवान झूलेलाल के अवतरण दिवस पर विशेष लेख भारतीय हिंदू सनातन संस्कृति के अनुसार वसंत ऋतु का पहला हिस्सा पतझड़ का हुआ करता है अर्थात पेड़ों, झाड़ियों, बेलों और पौधों के पत्ते सूखने लगते हैं, पीले होते हैं और फिर मुरझाकर झड़ जाते हैं। परंतु कुछ समय पश्चात उन्हीं सूखी, वीरान शाखाओं पर नाजुक कोमल […]

  • हिंदू शक्ति को नया अर्थ देने वाले डॉ. हेडगेवार

    हिंदू शक्ति को नया अर्थ देने वाले डॉ. हेडगेवार

    वर्ष प्रतिपदा पर आद्य सर संघचालक डॉक्टर हेडगेवार जी के जन्म दिवस पर विशेष लेख डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार अक्सर यह सोचा करते थे कि प्राचीन भारत में सैन्य पौरुष, ज्ञान विज्ञान, अतुलनीय समृद्धि, गौरवशाली संस्कृति इत्यादि सब कुछ होते हुए भी भारत कालांतर में परतंत्र क्यों हुआ। इस प्रशन्न का उत्तर उन्होंने तात्कालीन विभिन्न […]

  • नवसंवत्सर को भारत में उत्साहपूर्वक मनाने का समय आ गया है

    नवसंवत्सर को भारत में उत्साहपूर्वक मनाने का समय आ गया है

    भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति के अनुसार फागुन और चैत्र माह वसंत ऋतु में उत्सव के महीने माने जाते हैं। चैत्र माह के मध्य में प्रकृति अपने श्रृंगार एवं सृजन की प्रक्रिया में लीन रहती है और पेड़ों पर नए नए पत्ते आने के साथ ही सफेद, लाल, गुलाबी, पीले, नारंगी, नीले रंग के फूल भी […]

  • नए संसद भवन में मिलेगी 5000 साल पुरानी भारतीय संस्कृति की झलक, 1000 देसी कारीगरों ने तैयार किया आर्टवर्क

    नए संसद भवन में मिलेगी 5000 साल पुरानी भारतीय संस्कृति की झलक, 1000 देसी कारीगरों ने तैयार किया आर्टवर्क

    दिल्ली में बन रहे नए संसद भवन से ना सिर्फ गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति मिलेगी, बल्कि इसमें भारतीय सभ्यता की 5,000 साल पुरानी तस्वीरों को भी दर्शाया जाएगा। इसके लिए सनातन धर्म और वास्तु कला से जुड़े लगभग 5,000 आर्ट तैयार किए गए हैं। इन कलात्मक मूर्ति/तस्वीरों में पेंटिंग, डेकोरेटिव पीस, दीवार पैनल, पत्थर […]

  • संभाजी से थर्राते थे मुगल

    संभाजी से थर्राते थे मुगल

    हिन्दुस्थान में हिंदवी स्वराज एवं हिन्दू पातशाही की गौरवपूर्ण स्थापना करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन को यदि चार पंक्तियों में संजोया जाए तो यही कहा जाएगा कि: ‘देश धरम पर मिटने वाला, शेर शिवा का छावा था। महा पराक्रमी परम प्रतापी, एक ही शंभू राजा था।।’ संभाजी महाराज […]

  • वैश्विक स्तर पर भुगतान के माध्यम के रूप में स्थापित हो रहा है भारतीय रुपया

    वैश्विक स्तर पर भुगतान के माध्यम के रूप में स्थापित हो रहा है भारतीय रुपया

    भारत में कच्चा तेल, स्वर्ण एवं रक्षा उपकरण जैसे उत्पादों का आयात सबसे अधिक होता है। आज भारत द्वारा सबसे अधिक तेल का आयात रूस से किया जा रहा है जिसका भुगतान रुपए अथवा रूबल में हो रहा है। “आत्मनिर्भर भारत” की घोषणा के बाद से रक्षा उपकरणों को भारत में ही निर्मित किए जाने […]

  • समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अहम भूमिका

    समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अहम भूमिका

    भारत में पिछले 97 वर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश के नागरिकों में देशप्रेम की भावना का संचार करने का लगातार प्रयास कर रहा है। वर्ष 1925 (27 सितम्बर) में विजयदशमी के दिन संघ के कार्य की शुरुआत ही इस कल्पना के साथ हुई थी कि देश के नागरिक स्वाभिमानी, संस्कारित, चरित्रवान, शक्तिसंपन्न, विशुद्ध देशभक्ति […]

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