Friday, April 26, 2024
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मनमोहन सिंह भी डर गए मोदी से

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कहना है कि वह बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी को गंभीरता से लेते हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने विरोधियों को गंभीरता से लेते हैं और उसमें लापरवाही की कोई भी गुंजाइश नहीं रहती। हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में आए प्रधानमंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हम कभी भी विपक्ष की ताकत को कम करके नहीं आंकते। उन्होंने कहा, 'राजनीतिक पार्टी होने के नाते हम शासन को अस्थिर करने की विपक्ष की शक्ति को कम करके नहीं आंकते।

प्रधानमंत्री से जब पूछा गया कि उनके कैबिनेट में मोदी को लेकर दो तरह की राय है- कुछ कहते हैं कि मोदी की तरफ से पेश की गई चुनौती को गंभीरता से लेना चाहिए तो कुछ मोदी को पूरी तरह खारिज कर देते हैं, इस पर उन्होंने कहा, 'मैं उन लोगों में से हूं, जो अपने विरोधियों को बहुत गंभीरता से लेते हैं। ढिलाई के लिए तो कोई गुंजाइश ही नहीं है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पूरे आत्मविश्वास के साथ चुनाव लड़ रही है। उन्होंने कहा, 'विधानसभा चुनाव के नतीजे चाहे जो भी हों, उनसे भ्रमित नहीं होना चाहिए।'

'सांप्रदायिक हिंसा विरोधी बिल शिगूफा नहीं'
मनमोहन ने इस सवाल को खारिज कर दिया, जिसमें पूछा गया था कि सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक कहीं वोट हासिल करने के लिए छोड़ा गया शिगूफा तो नहीं है। उन्होंने कहा, 'सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि अगर दंगों को रोका नहीं जा सकता है तो पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए।' प्रधानमंत्री ने कहा कि यह वोट बटोरने का शिगूफा हरगिज नहीं। उन्होंने कहा, 'मैं समझता हूं कि पिछले पांच या छह सालों से हम देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक दंगों का सामना करना कर रहे हैं। इस विधेयक की बुनियाद यह है कि अगर दंगों को रोका नहीं जा सकता तो पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए।'

प्रधानमंत्री ने मुजफ्फरनगर दंगों का जिक्र करते हुए कहा, 'देश के कुछ हिस्सों में हुई घटनाओं से पता चलता है कि भले ही हमें देश के सभी नागरिकों को सुरक्षा देने का गर्व है, लेकिन फिर भी कुछ मौकों पर चूक हो सकती है। अगर यह विधेयक संसद में पारित हो जाता है तो इस तरह की कमियों को दूर करने में मदद मिलेगी।' प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के मुद्दे पर कहा कि आतंकवाद का अंतिम लक्ष्य सांप्रदायिक विभाजन कराना होता है, लेकिन आतंकवादियों को अपने मकसद में कामयाब नहीं होने दिया गया और उन्हें हरा दिया गया।

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