Saturday, May 18, 2024
spot_img

Monthly Archives: June, 2017

ईद इंसानियत का पैगाम देता है

भारत जहां साम्प्रदायिक सौहार्द एवं आपसी सद्भावना के कारण दुनिया में एक अलग पहचान बनाये हुए है वहीं यहां के पर्व-त्यौहारों की समृद्ध परम्परा, धर्म-समन्वय एवं एकता भी उसकी स्वतंत्र पहचान का बड़ा कारण है। इन त्योहारों में इस देश की सांस्कृतिक विविधता झलकती है।

रेल्वे स्टेशनों पर सस्ती दवाइयाँ देने के लिए प्रभु जी की शानदार पहल

अच्छी क्वॉलिटी की सस्ती दवाएं खरीदने के लिए अब आपको ज्यादा भटकने की जरूरत नहीं होगी. रेलवे देश भर में अपने परिसरों में जन औषधि केंद्रों को खोलने की अनुमति देगा ताकि आम आदमी को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के तहत सस्ती दवाएं उपलब्ध हो सकें.

लाखों की नौकरी छोड़ मंदिर में सेवा दे रहे हैं दोनोंं भाई, पत्नियों का भी साथ

इंदौर. प्रकाश और विकास छाबड़ा, दोनों सगे भाई। विदेश में पढ़े। 45-45 लाख रुपए के पैकेज पर अमेरिका में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर। पांच साल तक जॉब भी किया, लेकिन धर्म की ऐसी आस्था जागी कि दोनों भाइयों ने नौकरी छोड़ दी। दोनों की पत्नियों ने भी इसलिए छोड़ दी नौकरी...

सुरेश प्रभु की रेल्वे सुधार की मुहिम जल्दी ही रंग लाएगी

नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में भारतीय रेलवे की असली कहानी पिछले तीन वर्षों की उपलब्धियों से नहीं बल्कि अगले दो वर्षों की कामयाबियों से तय होगी। यह रेलवे को आधारभूत ढांचे के मोर्चे पर लगातार पेश आ रही बड़ी चुनौतियों को रेखांकित करता है और साथ ही यह भी ध्यान दिलाता है कि इसका प्रदर्शन सुधारने का कोई तात्कालिक तरीका नहीं हो सकता है।

रंगचिन्तक मंजुल भारद्वाज लिखित एवम् निर्देशित नाटक “राजगति” ने बदली मेरी राजनैतिक अवधारणा

"हमेशा से ही सुनता आया था कि राजनीति बहुत गन्दी है, एक गटर की तरह है। आस पास के माहौल को हमेशा राजनीति के ख़िलाफ़ ही पाया था। 2011 में अन्ना आंदोलन और फिर आप के गठन के दौरान लगने लगा था कि इसे साफ़ किया जा सकता है

देश के मीडिया की हालत बंदर के हाथ में उस्तरा जैसी हो गई है

टीवी चैनलों की खबरें और टॉक शो यही संदेश देते हैं कि हमारे देश का मीडिया इरेशनल और पगलाए लोगों के हाथों में कैद है। किसी व्यक्ति विशेष या चर्चित व्यक्ति के नाम का अहर्निश प्रसारण पागलपन है। एक जाता है दूसरा आता है।

क्रिकेट और फुटबॉलः नकारा और पागलों के खेल

दुनिया में दो तरह के लोग हैं, सामान्य रूप से पागल व असामान्य रूप से पागल। सामान्य पागल से अर्थ है जो पागल तो हैं, लेकिन किसी हद तक। तुम देख सकते हो इन सामान्य रूप से पागल लोगों को जो फुटबॉल मॅच देख रहे हैं।

नेशनल हेराल्ड ने जगाई उम्मीद

अख़बारों का काम ख़बरों और विचारों को जन मानस तक पहुंचाना होता है. सूचनाओं के इसी प्रसार-प्रचार को पत्रकारिता कहा जाता है. किसी ज़माने में मुनादी के ज़रिये हुकमरान अपनी बात अवाम तक पहुंचाते थे. लोकगीतों के ज़रिये भी हुकुमत के फ़ैसलों की ख़बरें अवाम तक पहुंचाई जाती थीं.

राहुल गाँधी का अज जन्म दिन है-कुछ बातें जानिए उनके बारे में

कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी एक ऐसी शख़्सियत के मालिक हैं, जिनसे कोई भी मुतासिर हुए बिना नहीं रह सकता. उनके बारे में लिखना इतना आसान नहीं है. लिखने बैठें, तो लफ़्ज़ कम पड़ जाएंगे. देश के प्रभावशाली राज घराने से होने के बावजूद उनमें ज़र्रा भर भी ग़ुरूर नहीं है.

स्पिक मैके ने देश में एक शास्त्रीय और सांस्कृतिक आंदोलन शुरु किया

स्पिक मैके की शुरुआत 1977 में आईआईटी, दिल्ली में छात्रों को कम उम्र में ही भारत की कला व् संस्कृति से परिचित कराए जाने के उद्देश्य से की गई थी। इस उम्र के छात्रों का उनका मन और दिमाग अधिक ग्रहणशील होता है।
- Advertisment -
Google search engine

Most Read