Monthly Archives: April, 2019
वंदे मातरम सबसे पहले किसने गाया था …?
यह किस्सा 1770 और इसके इर्द-गिर्द के वक्त को याद करते हुए लिखा गया था बंगाल में भारी अकाल के हालात थे.
‘हर बच्चे तक शिक्षा का उजाला पहुँचे, यही ‘कटिहार टू कैनेडी’ का उद्देश्य है’- संजय कुमार
लेखक एवं राजनीतिज्ञ पवन कुमार वर्मा ने कहा यह किताब बहुत प्रेरक है और यह इसमें मौज़ूद साहस और प्रतिरोध के कारण है।
प्रेरक वक्ता डॉ. चन्द्रकुमार जैन पुलिस विभाग के दीक्षांत समारोह में सम्मानित
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण और उत्कृष्ट प्रशिक्षण देने के लिए राष्ट्रपति पदक से पुरस्कृत किए गए डॉ. चन्द्रकुमार जैन, पीटीएस और पुलिस अकादमी में मानव अधिकार, सूचना का अधिकार,
ज़ी मीडिया में नए पत्रकारों की आवश्यकता
जो पत्रकारिता में करियर बनाना चाहते हैं। इसके लिए नेटवर्क्स की ओर से न्यूज एंकरिंग के पदों के लिए फ्रेशर्स से आवेदन मांगे गए हैं।
हमारा हिन्दू नव वर्ष जो अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे है
वीर विक्रमादित्य ने शकों को उनके गढ़ अरब में भी करारी मात दी। इसी सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर भारत में विक्रमी संवत प्रचलित हुआ। सम्राट पृथ्वीराज के
इंडिया न्यूज की टीवी पत्रकार मीशा बाजवा चौधरी बोलीं- मुझे मार दीजिए…
‘आईटीवी नेटवर्क’ के चैनल ‘इंडिया न्यूज़’ की सीनियर एडिटर मीशा बाजवा चौधरी ने ऐसे पत्रकारों की पीड़ा को एक अलग अंदाज़ में बयां किया है। उन्होंने कवि अहमद फरहाद की एक कविता के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया है कि आखिर एक पत्रकार कैसा महसूस कर रहा है।
कांग्रेस का घोषणा पत्र अवसर से चूक जाने का दस्तावेज
अवधेश कुमार - 0
तो यह अपने को भाजपा से अलग साबित करने की भी कोशिश है। हालांकि मतदाता इसे इसी रुप में लेंगे कहना कठिन है,
प्रदीप श्रीवास्तव की नई पारी “दैनिक शुभ लाभ” के साथ
उल्लेखनीय है कि 35 वर्षों से अधिक पत्रकारिता का अनुभव रखने वाले श्री श्रीवास्तव ने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुवात वाराणसी से प्रकाशित प्रतिष्ठित हिन्दी दैनिक 'आज' से सन 1986 से की थी ,उसके बाद वे 'आज' आगरा के संपादकीय विभाग का भी
राहुल के खिलाफ लड़ेगी, कांग्रेसियों के शोषण की शिकार सरिता नायर
बकौल सरिता, मैं कांग्रेस के भ्रष्ट नेताओं को शर्मसार करने और नीचा दिखाने के लिए चुनाव लड़ रही हूं।
एक दिन के राजा को मुखर होना होगा
विडम्बना तो यह है कि मतदाता जहां ज्यादा जागरूक हुआ है, वहां राजनीतिज्ञ भी ज्यादा समझदार हुए हैं। उन्होंने जिस प्रकार चुनावी शतरंज पर काले-सफेद मोहरें रखे हैं, उससे मतदाता भी उलझा हुआ है।