Monthly Archives: May, 2020
जावेद अख़्तर का मुगलिया रंग
उस वैभव में कुछ कलाएं, कारीगरी, पोशाक, केश-विन्यास, कलात्मक हस्तलेख और सजी पांडुलिपियाँ, फारसी पद्य-गद्य, कुरान व हदीस पर अरबी व्याख्याएं, दरबारी संगीत और नृत्य, तथा
पैरों के फफोलों तले आते आसमान से गिरते लाल गुलाब !
श्रवण गर्ग - 0
प्रधानमंत्री जब कहते हैं कि कोरोना के बाद का भारत अलग होगा तो वे बिलकुल ठीक बोलते हैं। एक अमेरिकी रिपोर्ट का अध्ययन है कि महामारी के पूरी तरह से शांत होने में अट्ठारह से चौबीस
महिला पुलिस अधिकारी ने पंडित बनकर विवाह करवाया
अंजलि का कहना है कि वह गश्त पर थीं, इसी दौरान मंदिर में लोगों को देखा। उनको प्रशासन से मिली अनुमति को परखा। बाद में उन लोगों ने पंडित न होने की समस्या बताई और शादी में
लॉकडाउन में खुल गया लॉक किताबों की ब्रिकी का
राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा रोज़ वाट्सएप्प के जरिए ख़ास तैयार की गई पुस्तिका साझा की जाती है। “पाठ-पुनर्पाठ” में रोज़ अलग-अलग तरह की पाठ्य सामाग्री को चुनकर तैयार किया
विदुषी माता मैत्रेयी
उन्होंने कहा , ‘ मैत्रेयी ! (स्त्री को ) पति , पति के प्रयोजन के लिए प्रिय नहीं होता , परन्तु आत्मा के प्रयोजन के लिए पति प्रिय होता है ।‘इसके अतिरिक्त भी यज्ञवल्क्य ने उसके लिए बहुत
क्या खत्म हो जाएंगे हिंदुओं के परिवार और काका, मामा, बुआ, भाभी, मौसी जैसे रिश्ते?
हिंदुओं को अपना ट्रेंड परिवर्तन करना चाहिए, बच्चों की शादी की सादी सही उम्र पर करना चाहिए, ज्यादा बड़े और कामयाब बनाने के चक्कर में सभी मोह माया खत्म हो जाता है, रिश्तों में दुरियां बन जाती है,
“अतिथि! तुम कब आओगे…?”
कमलेश व्यास - 0
बेवज़ह कई-कई दिनो तक जमे रहने वाले हे अतिथि! सानंद रहने वाला घर, बुद्धिमान बच्चे, मनभावन पत्नी,अच्छे व सच्चे मित्र, ईमानदार नौकर, नित्य अतिथियों का आदर-सत्कार, ईश्वर की आराधना,
फेंक चुका नाविक पतवारों को ?
कब तलक शांत रख पाओगे,
शोलों को ढक कर राखों से?
जड़ में जीवन के सूत्र सभी,
सत्य छुपाओगे कैसे शाखों से??
एक क्लिक पर अस्पताल के बिस्तरों की जानकारी दें
अनिल गलगली - 0
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली में मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे और मनपा आयुक्त प्रवीण परदेशी को भेजे हुए पत्र में बताया हैं कि आज मुंबई में बड़े पैमाने पर कोविड मरीज पाए जा रहे हैं।
कोरोना महामारी के बाद स्वदेशी मॉडल ही भारतीय अर्थव्यवस्था का सहारा
परंतु फिर भी यदि आज हम दुनिया के विकसित देशों के आँकड़े देखे तो पाते हैं कि भारत आज बहुत ही सम्भली हुई स्थिति में हैं। डेढ़ से दो माह पहिले ये समस्त विकसित देश एवं भारत लगभग साथ खड़े थे।