Monthly Archives: April, 2022
राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम की स्थापना का निर्णय, मील का पत्थर साबित होगा
पूर्व में जब देश की जनसंख्या बहुत कम थी तब केंद्र सरकार के विभिन्न उपक्रमों को अपना कार्य सुचारू रूप से चलाने के लिए बहुत अधिक मात्रा में भूमि उपलब्ध करा दी गई थी परंतु अब जब देश की जनसंख्या 130 करोड़ के आंकड़े को पार कर चुकी है ऐसी हालत
खादी और गांधी पहले से ज्यादा प्रासंगिक हो रहे हैं-रघु ठाकुर
उन्होंने कहा कि खादी और गांधी सदैव प्रासंगिक बने रहेंगे. इस अवसर पर इतिहास लेखक श्री घनश्याम सक्सेना ने अपने पुराने दिनों का स्मरण किया कि कैसे उनका खादी और गांधी से परिचय हुआ. उन्होंने खादी के अर्थशास्त्र को समझाते हुए अनेक किताबों का उल्लेख भी किया. संगोष्ठी में ‘समागम’ का खादी पर एकाग्र अंक का लोकार्पण अतिथि वक्ताओं ने किया।
भगवान विष्णु का वह अवतार जिसने की थी माता पृथ्वी की रक्षा
जब जिज्ञासा बस डॉ व्यास जी से मूर्ति के बारे में जानने की बात कि तो उन्होंने बताया कि यह बहुत ही सुन्दर विष्णु के वराह अवतार की प्रतिमा है, जिसमें विष्णु वराह के रूप में स्त्री के रूप में बताई जलमग्न पृथ्वी का उद्धार कर रहे हैं।
क्या सांख्यकार कपिल मुनि अनीश्वरवादी थे?
यही बात अन्य भी अनेक लेखकों ने लिखी है किन्तु वस्तुतः यह अशुद्ध है। सांख्य दर्शन में ईश्वर के सृष्टि के उपादान कारणत्व का निम्न सूत्रों द्वारा खण्डन किया गया है उसका यह अर्थ समझ लेना कि यह ईश्वरवाद मात्र का खण्डन है, अशुद्ध है।
मदरसा ( इस्लामी सत्ता का रिमोट कंट्रोल)
8वीं शताब्दी के विख्यात, मुस्लिम जगत के जाने-माने उलेमा शाह वलीउल्लाह ने जो भारत में जन्मे थे, अफगानिस्तान के बादशाह अहमद शाह अब्दाली को पत्र लिखकर हिन्दुस्थान पर आक्रमण करवाया ताकि मुस्लिम शासन पुनः मज़बूत हों
चापेकर ब्रदर क्रांतिकारी आंदोलन के जनक
हाल ही में पुणे की स्पेशल प्लेग कमेटी (SPC) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए वाल्टर चार्ल्स रैंड अपने तांगे पर सवार हो कर जा रहे थे। पीछे इनके सैन्य अनुरक्षक लेफ्टिनेंट आयेर्स्ट अपने तांगे में चल रहे थे।
संस्कृत हमारे देश की मातृभाषा है
संस्कृत को मातृभाषा कहना यद्यपि स्पष्टतया ईश्वरीय ज्ञान वेद में पक्षपात का दोषारोपण करना है, परन्तु जो मनुष्य अज्ञानी हैं उनके लिए क्या किया जाए!
पृथ्वी दिवस और वेदों में पृथ्वी का महत्त्व
वेद मनुष्य को प्रेरित करते हुए कहता है "पृथिवीं यच्छ पृथिवीं दृंह, पृथिवीं मा हिंसी: अर्थात् तू उत्कृष्ट खाद आदि के द्वारा भूमि को पोषक तत्त्व प्रदान कर, भूमि को दृढ़ कर, भूमि की हिंसा मत कर"। भूमि की हिंसा करने का अभिप्राय है
किताब तो चोरी कर भी पढ़े तो भी कोई बात नहीं
लंबे समय बाद मिल पाने कि खुशी से हम गदगद हो उठे और गर्म जोशी से गले मिल कर एक - दूसरे का स्वागत किया। एक - दूसरे के हाल चाल पूछे, इधर - उधर की चर्चा हुई।
राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम की स्थापना का निर्णय, मील का पत्थर साबित होगा
केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, रेल्वे विभाग, सुरक्षा विभाग एवं दूरसंचार विभाग, आदि एवं केंद्र सरकार से जुड़े अन्य विभिन्न संस्थानों में उपयोग में नहीं आ रही ऐसी भूमि बहुत भारी मात्रा में उपलब्ध हैं