Monthly Archives: September, 2022
पापा पुलिस में थे और पुस्तकों को गहनों की तरह सम्हालकर रखते थे
अराजक स्त्री, धर्म की विरोधी स्त्री, परिवार और समाज की विरोधी स्त्री, परपुरुषों के साथ अवैध संबंधों को ही असली स्वतंत्रता का नाम देने वाली स्त्री कुल मिलाकर एक आत्महंता स्त्री (जिसके जीवन में कुछ उल्लेखनीय नहीं सिवाय अवैध, अतृप्त प्रेम के) को ही यहाँ साहित्य की मुख्य धारा में आधुनिक नायिका माना जाता रहा है।
नवरात्रि का धार्मिक वअध्यात्मिक महत्व
दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती ये तीन रूप में माँ की आराधना करते है| माँ सिर्फ आसमान में कहीं स्थित नही हैं, ऐसा कहा जाता है कि "या देवी सर्वभुतेषु चेतनेत्यभिधीयते" - "सभी जीव जंतुओं में चेतना के रूप में ही माँ / देवी तुम स्थित हो।"
जिन्होंने भारत विभाजन की त्रासदी को अपनी आँखों से देखा और भोगा
विभाजन का काल विभिन्न अवस्थाओं से गुजरा हैं। इन सभी अवस्थाओं का ज्ञान आज की पीड़ी को होना ही चाहिए। यह ज्ञान उन बुजर्गो के पास ही था जो उस काल के साक्षी थे।
भारत की खोज: हमारी नोनिया मिट्टी से अंग्रेजों ने दुनिया पर कब्जा किया
कहते हैं कि नेपोलियन के हार की एक बड़ी वजह बारूद के इस मसाले पर अंग्रेजों का कब्जा था. दास लिखते हैं: “वाटरलू की लड़ाई जीतने की एक वजह ईस्ट इंडिया कंपनी का बिहार के चौर मैदानों पर कब्जा था, जहां से बारूद का मसाला आया करता था.“
धर्मांतरण की आग स्कूलों में पहुँची
उत्तर प्रदेश के कानपुर में धर्मान्तरण का मामला सामने आया है। यहाँ पर एक हाई प्रोफ़ाइल स्कूल में पढ़ने वाले कक्षा 11 के हिन्दू छात्र के धर्म परिवर्तन कर लेने की खबर है
श्री राम जन्मभूमि आन्दोलन के सारथी – श्रद्धेय अशोक सिंहल
27 सितंबर जन्म जयंती पर विशेष
चित्रनगरी संवाद मंच की साप्ताहिक अड्डेबाज़ी में संस्मरणों और प्रेरक प्रसंग की एक शाम…
विता दत्त सावी ने दिल्ली के संस्मरण और पारिवारिक सपोर्ट की बातें बताईं तो पीयूष पराग ने अपनी चौंकाने वाली रचना से अपना परिचय दिया
बरसों तक नवभारत टाइम्स दिल्ली के सहायक संपादक रहे उपेंद्र प्रसाद गुमनामी में ही दुनिया छोड़ गए
उपेंद्र प्रसाद जी पिछले एक दशक से बेरोजगार थे। उनकी आय लगभग अपर्याप्त थी। उनकी पत्नी बीमार ग्रस्त थी। उन्होंने संघर्ष किया । वैचारिक प्रतिबद्धता बनाए रखी, अपने विचार नहीं बदले।
हाड़ोती पुरातत्व दर्शनः शिव मंदिर भंडदेवरा, रामगढ़
राजस्थान का बारां जिला जो अप्रैल 1992 में कोटा जिले से प्रथक कर नया जिला गठित किया गया पुरातत्व संपदा से भरपूर है। ये स्थल जहां पुरातत्व की दृष्टि से विशेष महत्व रखते हैं वहीं पर्यटन का भी महत्वपूर्ण आधार हैं।
रेल्वे स्टेशन से उतरते ही लोगो को आकर्षित कर रही लाइब्रेरी की पुरातन ईमारत
कोटा। नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल की पहल पर कोटा की हैरिटेज को भी उसके प्राचीन स्वरूप में लोटाने और आकर्षक बनाने के लिए सौन्दर्यकरण कर प्राचीन स्वरूप को लौटाया जा रहा है। इसी श्रृंखला में कोटा के स्टेशन पर स्थित सुभाष लाइब्रेरी जो जीर्णर्शीण हो गई थी उसको हैरिटेज लुक देकर नगर विकास न्यास ने आकर्षक और भव्य इमारत का रूप दे दिया है।