शीर्ष राज्य योजना निदेशक , सह निदेशक ( प्रशासन) और सह निदेश ( गुणवत्ता ) तीनों पद रिक्त
मुंबई। छात्र संख्या में कमी और शिक्षकों की संख्या में बढ़ोत्तरी से विवादित हुआ महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षा परिषद के 48 प्रतिशत पद रिक्त होने का सनसनीखेज खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली दी गई जानकारी से हुआ हैं। कुल 52 प्रतिशत अधिकारी-कर्मचारियों में 22 सरकारी अधिकारी हैं जिसमें 35 ठेके और 12 बाहरी एजंसी के 69 लोग कार्यरत हैं। शीर्ष पदों में राज्य योजना निदेशक , सह निदेशक ( प्रशासन) और सह निदेशक ( गुणवत्ता ) ये तीनों पद रिक्त हैं जिसको लेकर राज्य सरकार का ध्यान नहीं हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षा परिषद से मंजूर, कार्यरत और रिक्त पदों की जानकारी मांगी थी। सहायक कार्यक्रम अधिकारी प्रमोद गांवकर ने अनिल गलगली को परिषद के 37 पदों की जानकारी मांगी थी। कुल 37 पदों के लिए 133 जगह मंजूर किए गए हैं जिसमें से 69 पद कार्यरत हैं और 64 पद रिक्त हैं। महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षा परिषद के शीर्ष वाले तीनों पद रिक्त हैं। इसमें राज्य योजना निदेशक, सह निदेशक ( प्रशासन) और सह निदेशक ( गुणवत्ता ) इन पदों का समावेश हैं। ठेके पर 35 पद भरे गए हैं और 12 पदों पर बाहरी एजन्सी के कर्मचारी कार्यरत हैं।
योजना निदेशक और सचिव एक ही!
अनिल गलगली ने वर्ष 2012 से आज तक योजना निदेशक पद पर नियुक्त हुए अधिकारियों की जानकारी मांगी थी। अ. द.काले और अ. द.शिंदे का अपवाद छोड़ा जाए तो 6 बार यह पद हमेशा प्रभारी के रामभरोसे चल रहा हैं। शालेय शिक्षा सचिव नंदकुमार यहीं प्रभारी योजना निदेशक हैं। शालेय शिक्षा विभाग और प्राथमिक शिक्षा को डबल जिम्मेदारी नंदकुमार संभाल रहे हैं।
अनिल गलगली ने राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिक्षा मंत्री विनोद तावडे को लिखे पत्र में मांग की हैं कि योजना निदेशक पद को न्याय देकर ठेके और बाहरी एजन्सी से काम करवाकर लेने के बजाय सरकार सभी पदों पर शत प्रतिशत नियुक्ती करे ताकि प्राथमिक शिक्षा का क्षतीग्रस्त नहीं हो। ताज्जुब की बात हैं कि प्राथमिक शिक्षा परिषद में शिक्षा विभाग का एक भी अधिकारी कार्यरत नहीं हैं।