नई दिल्ली। विवाहित स्त्री पुरुष के संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। कई जानकारों ने इस पर सवाल उठाया है और कहा कि इस फैसले से अवैध संबंध के लिए लोगों को लाइसेंस मिल जाएगा। कई पार्टियों के नेताओं ने भी फैसले में अधिक स्पष्टता की जरूरत बताई है। कुछ जानकारों ने इसे महिला विरोधी भी बताया है।
दिल्ली महिला आयोग, डीसीडब्लु प्रमुख स्वाति मालीवाल ने कहा कि व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर करने से देश में महिलाओं की पीड़ा और बढ़ने वाली है। उन्होंने कहा- व्यभिचार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूरी तरह से असमत हूं। फैसला महिला विरोधी है। एक तरह से, आपने इस देश के लोगों को शादीशुदा रहते हुए अवैध संबंध रखने का एक खुला लाइसेंस दे दिया है।
मालिवाल ने पूछा- विवाह की क्या पवित्रता रह जाती है। उन्होंने ट्विट कर कहा- धारा 497 को लैंगिक रूप से तटस्थ बनाने, उसे महिलाओं और पुरूषों दोनों के लिए अपराध करार देने के बजाय इसे पूरी तरह से अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया। सर्वोच्च अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता वृंदा अडिगे ने इसे स्पष्ट करने की मांग करते हुए पूछा कि क्या यह फैसला बहुविवाह की भी इजाजत देता है?
कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने भी इस मुद्दे पर और अधिक स्पष्टता लाने की मांग करते हुए कहा- यह तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में डालने जैसा है। उन्होंने ऐसा किया लेकिन अब पुरूष हमें महज छोड़ देंगे या हमें तलाक नहीं देंगे। वे बहुविवाह या निकाह हलाला करेंगे, जो महिला के तौर पर हमारे लिए नारकीय स्थिति पैदा करेगा। मुझे यह नहीं दिखता कि यह कैसे मदद करेगा। न्यायालय को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।