दो टूक : कहते हैं रिश्ते वो नहीं होते जो खून से बनते हैं रिश्ते वो होते हैं जो खून में चढ़कर आपका साथ देते हैं . बस यही छोटा सा सन्देश देती है निर्देशक अन्थोनी डिसूजा के साथ अक्षय कुमार, अदिति राव हैदरी, शिव पंडि , मिथुन चक्रवर्ती, डैनी, जॉनी लीवर, परीक्षित साहनी,रोनित रॉय, आकाश दाद्भंडे, संजय मिश्रा, हैरी जोश, गोविन्द नामदेव, मुकेश तिवारी, गोविन्द नामदेव, सुदेश बेरी, शक्ति कपूर और सोनाक्षी सिन्हा के साथ प्रभु देवा के अभिनय वाली फिल्म बॉस भी यही कहानी कहती है.
कहानी : फिल्म की कहानी सूर्या उर्फ़ बॉस [अक्षय कुमार ] की है जो अपने पिता सत्याकांत [मिथुन चक्रवर्ती] के खिलाफ कुछ नहीं सुन सकता है और जो ऐसा करता है उसे वो सबक सिखा देता है . उसके पिता उसकी इस आदत से परेशां होकर उसे घर से निकाल देते हैं तो बिग बॉस [डैनी] उसे सूर्या को बॉस बनाकर गलत धंधों में लगा देते हैं। बॉस का एक छोटा भाई शिवा [ शिव पंडित ] भी है, जो एक वर्दी वाले गुंडे आयुष्मान [रॉनित रॉय] की बहन अंकिता [ आदिती राव हैदरी ] से प्रेम करता है। इसके चलते आयुष्मान शिवा को मंत्री के बेटे विशाल [आकाश आकाश दाद्भंडे] के साथ प्रताड़ित करता है तो हारकर आदर्शवादी पिता अपने बिगड़ैल बेटे बॉस की शरण लेता है। इसके बाद शुरू होती है बॉस की अपने भाई को मुक्त करने और पिता के लिए खुद को साबित करने की शुरुआत . फिल्म 2010 में आई मलयालम पोक्किरी राजा का रीमेक है जिसमें अक्षय कुमार की भूमिका ममूटी ने और शिव पंडित की भूमिका पृथ्वीराज ने निभाई थी।
गीत संगीत : फिल्म में कुमार , मनोज यादव , साहिल कौशल लील गोलू के गीत और संगीत मीत बंधुओं, यो यो हनी सिंह भट्ट और पी ए दीपक का है लेकिन गानों के नाम पर बॉस और पार्टी ऑल द नाइट को छोड़ दें तो कोई गीत ऐसा नहीं है जो याद रखा जाये . हाँ एक गीत यहां जांबाज के गीत हर किसी को नहीं मिलता को जरुर आप एन्जॉय कर सकते हैं .
अभिनय : पहली बात . अक्षय फिल्म में उन्नीस मिनट बाद आते हैं और फिर पूर फिल्म में छाये रहते हैं लेकिन कुछ ऐसा नहीं करते जो नया है . सिर्फ उनकी भाषा , कपडे चल ढाल बदली है बाकी अंदाज नहीं . अब कोई हिरोइन नहीं है सिर्फ नायक ही नायक .अदिति ठीक हैं लेकिन अदिति के पास अभिनय के नाम पर दो-तीन रोमांटिक गाने, कुछ बिकिनी दृश्य ही हैं और सोनाक्षी बस नाम को है . डैनी कमाल करते हैं हर बार और वो अपनी भूमिका को ईमानदार से निभा देते हैं और मिथुन भी . रोनित रॉय नए अंदाज में खलनायकी करते हैं और अक्षय को टक्कर देते हैं . शिव पंडित ठीक हैं और गोविन्द नाम देव के साथ मुकेश तिवारी , सुदेश बेरी , शक्ति कपूर निराश नहीं करते.
निर्देशन : कायदे से देखा जाए तो बॉस में कुछ भी नया नहीं है सिवाय इसके की उसे नए मसालों और तकनीक साथ हमारे सामने परोस दिया गया है . फिल्म में नायक के एक्शन , हजारों बार दोहराए जा चुके फारुमुले , तेज संगीत, बेवजह संवादों में आने वाले चुटकुले , बदमाशों की पिटाई, कॉमेडी, कैमरे के कमाल सब कुछ है लेकिन कहानी नहीं है यही कारण है क फिल्म में पिता पुत्र के रिश्ते को लेकर गढ़ी गयी कहानी में भी कोई गति और स्वाभाविकता नहीं आ आ पायी है . भद्दे मजाक, फूहड़ संवाद और कई पुरानी लेकिन दक्षिण की रिमेक्स की तरह बॉस बहुत प्रभाव नहीं छोड़ते . फिर भी आप चाहें तो अक्की बॉस की ये फिल्म देख लें.
फिल्म क्यों देखें : अक्षय और उनके हरियाणवी अंदाज के लिए .
फिल्म क्यों न देखें : अब महंगी फिल्म को क्यों घाटे में ले जाएँ .एक बार देख लें .