Sunday, November 24, 2024
spot_img
Homeप्रेस विज्ञप्तिलॉकडाउन में खुल गया लॉक किताबों की ब्रिकी का

लॉकडाउन में खुल गया लॉक किताबों की ब्रिकी का

नई दिल्ली। पुरानी दिल्ली के दरियागंज की गलियाँ स्वादिष्ट ज़ायके और किताबों की दुकानों से पहचानी जाती हैं। भीड़भाड़ वाले इस इलाके में 4 मई की सुबह, लगभग 40 दिनों के लॉकडाउन के बाद आज किताबों की बिक्री पर लगा ताला खुल गया। राजकमल प्रकाशन समूह ने पाठकों के लिए किताब उपलब्ध कराने के लिए सुविधा शुरू कर दी है। पाठक दरियागंज के दफ़्तर से किताबें ख़रीद सकते हैं। साथ ही राजकमल प्रकाशन की वेबसाइट से ऑनलाइ ऑर्डर करके भी घर बैठे किताबें प्राप्त कर सकते हैं।

राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी का कहना है कि “यह संकट का समय है। बाहर खतरा है। लेकिन, खतरा उठाते हुए भी हम पूरी सावधानी के साथ पाठकों के लिए किताबें उपलब्ध कराने की अपनी जिम्मेदारी को पूरी करेंगे। सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए एवं सैनिटाज़र की सुविधा के साथ हमने पाठकों के लिए किताब खरीदने की सुविधा उपलब्ध कराने का फैसला किया है। राजकमल प्रकाशन के दरियागंज के दफ्तर से पाठक रोज सबुह 11 बजे से 4 बजे तक किताबें खरीद सकते हैं। साथ ही ग्रीन ज़ोन और ऑरेंज़ ज़ोन में जहाँ स्थितियाँ दिल्ली के मुकाबले थोड़ी बेहतर हैं, वहाँ भी हम किताबें घर तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। “

उन्होंने कहा, “लॉकडाउन में लोग अपने को अकेला महसूस न करें इसलिए हम वाट्सएप्प के जरिए फ्री में लोगों को पढ़ने की सामाग्री उपलब्ध करवा रहे हैं। पिछले 40 दिनों से हम लगातार फ़ेसबुक लाइव के जरिए लेखकों और साहित्य-प्रेमियों को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। लाइव में अपने प्रिय लेखक से जुड़ना पुरानी यादों को ताज़ा कर देता है, साथ इस विश्वास को मजबूत करता है कि इस मुश्किल घड़ी में हम एक हैं। अगर, हम एक हैं तो मुश्किलें छोटी हो जाती हैं।“

राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा रोज़ वाट्सएप्प के जरिए ख़ास तैयार की गई पुस्तिका साझा की जाती है। “पाठ-पुनर्पाठ” में रोज़ अलग-अलग तरह की पाठ्य सामाग्री को चुनकर तैयार किया जाता है ताकि पाठकों को सभी तरह के विधाओं का आस्वाद मिल सके। अब तक 10,000 लोग इस ग्रुप से जुड़कर पुस्तिका प्राप्त कर रहे हैं। फ़ेसबुक और ट्विटर के जरिए पाठकों ने इस पहल की भरपूर प्रशंसा की है।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार