आज से 1000 वर्ष पूर्व जब राजा भोज ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था, तब इसका गुम्बद और कुछ अन्य हिस्से का निर्माण बचा रह गया था। शायद राजा के निधन के कारण ऐसा हुआ था। अब केंद्र सरकार इस बचे-खुचे निर्माण को उसी रूप में पूरा करने जा रही है, जैसा प्रांगण के पाषाणखण्डों पर उकेरे गए मूल नक़्शे में दिख रहा है।
मध्य प्रदेश के रायसेन में बेतवा नदी के किनारे भोजपुर गाँव में स्थित शिव मंदिर का पुराना वैभव फिर से लौट कर आने वाला है क्योंकि केंद्र सरकार ने इसके बचे हुए निर्माण-कार्य को पूरा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राजा भोज ने इस्लामी आक्रांता महमूद गजनवी से बदला लेने के बाद इस मंदिर का निर्माण कराया था। विजय के बाद इस मंदिर का निर्माण हुआ। भोपाल से भोजपुर की दूरी 32 किलोमीटर है।
‘दैनिक जागरण’ में प्रकाशित संजय पोखरियाल की खबर के अनुसार, आज से 1000 वर्ष पूर्व जब राजा भोज ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था, तब इसका गुम्बद और कुछ अन्य हिस्से का निर्माण बचा रह गया था। शायद राजा के निधन के कारण ऐसा हुआ था। अब केंद्र सरकार इस बचे-खुचे निर्माण को उसी रूप में पूरा करने जा रही है, जैसा प्रांगण के पाषाणखण्डों पर उकेरे गए मूल नक़्शे में दिख रहा है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में अब इस मंदिर को भव्य रूप देने की तैयारी की जा रही है। इस शिवालय को भोजपुर मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, जिसे लोग ‘उत्तर का सोमनाथ’ कहते हैं। इसे लाल पत्थरों से तराशा गया है। 21.5 फीट ऊँचा और 17.8 फीट परिधि वाला ये शिवलिंग सबसे विशाल है। चबूतरे पर स्थित शिवलिंग के पास पुजारी भी सीढ़ी लगा कर जाते हैं।
इसका 66 फ़ीट ऊँचा प्रवेशद्वार सभी मंदिरों में सबसे ऊँचा माना जाता है। ऊँचे स्तम्भों पर खड़े इस मंदिर की दीवारों पर काफी अच्छी चित्रकारी की गई है। बताया गया है कि इसका शिखर कई प्रयासों के बावजूद पूर्ण नहीं हो सका क्योंकि शिखर इतना भारी हो जाता कि मंदिर उसका भार नहीं सह पाता। भवन से शिखर के भारी होने की सम्भावना के कारण ही इसका निर्माण-कार्य रुका रह गया था, जो अब पूरा होगा।
धार के महान परमार राजा भोज (1000-1053 ईसवी) ने जब सोमनाथ मंदिर में महमूद गजनवी द्वारा तोड़फोड़ की घटना के बारे में सुना तो उन्होंने क्षुब्ध होकर उस पर हमला बोल दिया। भगवान शिव के अपमान से क्रुद्ध राजा भोज के हमले के बाद महमूद गजनवी तो रेगिस्तान में भाग खड़ा हुआ लेकिन उसके बेटे सालार मसूद को मौत के घाट उतार दिया गया। सोमनाथ का बदला लेने के बाद राजा भोज ने इस मंदिर का निर्माण करवाया।
साभार- दैनिक जागरण से