Wednesday, November 27, 2024
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जब लंकेश ने आडवाणी जी की रथ यात्रा पर फूल बरसाए

समय था 1991 की लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा का। रथ यात्रा मुंबई के कांदिवली पश्चिम के एसवी रोड से गुजर रही थी, पंचवटी नामक इमारत की पहली मंजिल से अरविंद त्रिवेदी लंकेश भी लालकृष्ण आडवाणी पर पुष्प वर्षा कर रहे थे। तबा किसी ने आडवाणी जी का ध्य़ान लंकेश की ओर आकर्षित करते हुए कहा आडवाणी जी लंकेश भी राम जन्म भूमि के लिए पुष्प वर्षा कर रहा है। लंकेश को देखते ही आडवाणी जी ने उन्हें इशारे से अपने पास बुलाया, फिर पूरी मुंबई में इस रथ यात्रा में आडवाणी जी लंकेश को अपनी रथ यात्रा में साथ लेकर घूमे और हर मंच से कहते रहे कि राम मंदिर के लिए तो लंकेश भी हमारे साथ आ गए हैं। जब लंकेश का पत्रकारों से सामना हुआ तो उन्होंने छूटते ही कहा कि ”राम मंदिर अयोध्या में नहीं बनेगा तो क्या पाकिस्तान में बनेगा।” उनका ये जुमला तब बहुत चर्चित हुआ था और हर कोई इस जुमले का प्रयोग करने लगा था। इसके बाद जब लोकसभा चुनाव हुए तो लंकेश को उनके पैतृक गाँव गुजरात के साबरकांठा से भाजपा का उम्मीदवार बनाया और वो चुनाव जीतकर सांसद हो गए। इस पर राजेश खन्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि भाजपा राम मंदिर के नाम पर लंकेश को टिकट देती है और राम (अरुण गोविल ) घर बैठा हुआ है। अरविंद तच्रिवेदी संसदीय इतिरहास में पहले व्यक्ति थे जिन्होंने संसद पहुँचने पर संसद की सीढ़ियों पर माथा टेक कर अपना सम्मान व्यक्ति किया था। उनका ये फोटो तब देश भर में चर्चित हुआ था।

अरविंद की उम्र 83 साल थी। आज (6 अक्टूबर) बुधवार को अरविंद त्रिवेदी का मुंबई के कंदीवली पश्चिम स्थित धाणुकरवाडी शमशान में सुबह 9 बजे अंत‍िम संस्कार कर दिया गया। अरविंद की अंतिम यात्रा में उनके फैमिली मेंबर्स और ‘रामायण’ शो में उनके साथ काम कर चुके सुनील लहरी, दीपिका चिखलिया, समीर राजदा समेत कई लोकग पहुँचे। उनकी तीन बेटियाँ हैं एकता कविता व श्वेता। ेएकता व कविता का विवाह मुंबई में ही हुआ है और सबसे छोटी बेटी श्वेता अमरीका में है। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे उनके साथ बहुत बार साथ रहने का मौका मिला और जीवन के अंतिम समय में भी उनके पंचवटी स्थित फ्लैट में मुलाकात हो जाती थी. वे अपना पूरा समय पूजा पाठ और ध्यान में ही बिताते थे।

अरविंद त्रिवेदी साल 1991 से लेकर 1996 तक सांसद रहे। अरविंद त्रिवेदी का जन्म मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर मेंआठ नवंबर 1938 को हुआ था। उनके पिता बिनोद मिल में श्रमिक थे। एक दिन अचानक वो अपना फ्रीगंज स्थित घर छोड़कर परिवार सहित गुजरात के साबरकाँठा चले गए। अरविंद त्रिवेदी की प्रारंभिक शिक्षा उज्जैन के गुजराती समाज स्कूल में हुई।

उनका करियर गुजराती रंगमंच से शुरू हुआ। एक्टर के भाई उपेंद्र त्रिवेदी गुजराती सिनेमा का चर्चित नाम रहे हैं और चिमन भाई पटेल के मंत्रिमंडल में मंत्री भी रहे।

लंकेश यानी अरविंद त्रिवेदी ने लगभग 300 हिंदी और गुजराती फिल्मों में अभिनय किया है।

गुजराती भाषा की धार्मिक और सामाजिक फिल्मों से उन्हें गुजराती दर्शकों में पहचान मिली थी जहां उन्होंने 40 वर्षों तक योगदान दिया। त्रिवेदी ने गुजरात सरकार द्वारा प्रदान की गई गुजराती फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए सात पुरस्कार जीते थे। 2002 में उन्हें केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था। अरविंद त्रिवेदी ने 20 जुलाई 2002 से 16 अक्टूबर 2003 तक सीबीएफसी प्रमुख के रूप में काम किया। उन्होंने दादा नी वारी डीकरी के नाम से एक फौजी के जीवन पर गुजराती में फिल्म भी बनाई थी।

उन्होंने बताया था कि सीरियल में जब वह राम के खिलाफ कड़े शब्दों का प्रयोग करते थे तो बाद में भगवान से माफी मांगते थे। पिछले साल कोरोना लॉकडाउन में जब टीवी पर रामायण सीरियल फिर से प्रसारित होने लगा तो टीवी चैनलों पर उनकी तस्वीरें भी सामने आईं। वह टीवी पर रामायण देखते दिखाई दिए।

जितनी बार भगवान राम की भूमिका में अरुण गोविल स्क्रीन पर दिखाई देते, अरविंद दोनों हाथों को जोड़ कर प्रणाम कर लेते। इस सदी में जन्मी पीढ़ी को शायद यह जानकर ताज्जुब हो कि उस समय टीवी के सामने बैठे लोग भी भगवान राम की भूमिका में अरुण गोविल को देख हाथ जोड़ लेते थे, पूजा होती थी और जयकारे लग जाते थे। पिछले साल मीडिया से बातचीत में परिवार के लोगों ने बताया था कि बुजुर्ग अरविंद त्रिवेदी का ज्यादातर समय भगवान की भक्ति में बीत रहा था।

उनका शुरुआती करियर गुजराती रंगमंच से शुरू हुआ। उनके भाई उपेंद्र त्रिवेदी गुजराती सिनेमा के चर्चित नाम रहे हैं और गुजराती फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। हिंदी के पॉपुलर शो रामायण से घर-घर पहचान बनाने वाले लंकेश यानी अरविंद त्रिवेदी ने लगभग 300 हिंदी और गुजराती फिल्मों में अभिनय किया था।

गुजराती भाषा की धार्मिक और सामाजिक फिल्मों से उन्हें गुजराती दर्शकों में पहचान मिली थी जहां उन्होंने 40 वर्षों तक योगदान दिया। त्रिवेदी ने गुजरात सरकार द्वारा प्रदान की गई गुजराती फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए सात पुरस्कार जीते थे। 2002 में उन्हें केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था। अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) ने 20 जुलाई 2002 से 16 अक्टूबर 2003 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) प्रमुख के रूप में काम किया था।

अभिनय के अलावा अरविंद (रावण’) साल 1991 से लेकर 1996 तक सांसद रहे,48 प्रतिशत से ज्यादा वोट

1991 के चुनाव में सांबरकाठा सीट से अरविंद त्रिवेदी (लंकेश) को 48.28% यानी कुल 168704 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर जेडी (जी) के उम्मीदवार मगनभाई मणिभाई पटेल को 37.86 प्रतिशत वोट (132286 वोट) मिले थे। तीसरे नंबर जनता दल के राजमोहन गांधी को 9.66 प्रतिशत और कुल 33746 वोट मिले थे। उस चुनाव में कुल 20 उम्मीदवार मैदान में थे और तीन उम्मीदवारों को छोड़ दें सभी को 1 प्रतिशत से भी कम वोट मिले थे।

उस समय लंकेश की रैलियों में अपार भीड़ होती थी। लोग कई किमी दूर से पैदल चलकर उन्हें देखने और सुनने के लिए आते थे। भले ही ऐसा मशहूर ऐक्टर चुनाव लड़ रहा था पर उस समय भी उन्हें हराने के लिए दांव चले गए। वोट काटने के लिए उस चुनाव में दो और त्रिवेदी उम्मीदवार मैदान में उतरे या उतारे गए लेकिन लंकेश ने भारी मतों से जीत दर्ज की।

उस समय अरविंद त्रिवेदी अपने नाम से ज्यादा लंकेश नाम से मशहूर थे। वह जहां भी सभाएं करते, लोग उनसे रावण के डायलॉग बोलने को कहते। चुनाव संबंधी दस्तावेजों में भी उनका नाम अरविंद त्रिवेदी (लंकेश) लिखा मिलता है।

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