आईआईएमसी द्वारा सैन्य अधिकारियों के लिए आयोजित मीडिया संचार पाठ्यक्रम का समापन समारोह संपन्न
नई दिल्ली। ”विश्व के तमाम देश आतंकवाद की समस्या से जूझ रहे हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। मीडियाकर्मियों सहित हम सभी की यह जिम्मेदारी है कि भारत विरोधी ताकतें हमारे देश के खिलाफ मीडिया का दुरुपयोग न कर पाएं।” यह विचार इंडिया फाउंडेशन के निदेशक कैप्टन आलोक बंसल ने भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा सैन्य अधिकारियों के लिए आयोजित मीडिया संचार पाठ्यक्रम के समापन समारोह में व्यक्त किए। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह एवं शॉर्ट कोर्सेज के पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. राजेश कुमार भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर विचार व्यक्त करते हुए कैप्टन बंसल ने कहा कि मीडिया ने कारगिल युद्ध और मुंबई आतंकवादी हमले की घटना को जिस तरह कवर किया, उसने मीडिया के प्रति लोगों के नजरिये को बदल दिया। लेकिन इन दोनों मामलों में मीडिया द्वारा प्रसारित खबरों का फायदा आतंकवादियों ने उठाया। आज सोशल मीडिया में भी यही स्थिति हो रही है। उन्होंने कहा कि नई समस्याओं के नए समाधान ही खोजे जाने चाहिए। सोशल मीडिया यूनिट के द्वारा सेना के लोगों में न केवल इसकी अच्छी समझ विकसित की जा सकती है, बल्कि मनोवैज्ञानिक तौर पर भी उन्हें इतना सक्षम बनाया जा सकता है कि वे दुश्मन की चालें पहचान सकें।
कैप्टन बंसल के अनुसार हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बात करते हैं। अगर हमें इसका इस्तेमाल अपनी ताकत बढ़ाने के लिए करना है, तो हमें सोशल मीडिया से जुड़ना होगा। आज मीडिया देश की ताकत का महत्वपूर्ण स्तंभ है, लेकिन हमें इसका इस्तेमाल अनुशासन के दायरे में रहकर करना होगा। उन्होंने कहा कि सूचना और तकनीक के आधुनिक युग में सेना को सोशल मीडिया का सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल करने की जरुरत है। सोशल मीडिया हमारी सोच से ज्यादा तेजी से बढ़ा है। अगर हम इसकी रफ्तार के साथ नहीं चल पाए, तो पीछे छूट जाएंगे।
इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि गुमराह करने के लिए गलत सूचनाएं फैलाने की रणनीति बहुत पुरानी है, जो समय के साथ साइकोलॉजिकल ऑपरेशंस में बदल गई है। यह एक तरह का माइंड गेम है, जिसमें दुश्मन के दिमाग और उसकी लीडरशिप को निशाना बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर फेक न्यूज के प्रसार के लिए वीडियो फॉर्मेट का सबसे अधिक सहारा लिया जाता है। मिलिट्री ऑपरेशंस को लेकर भी ऐसी कई फेक न्यूज आती रहती हैं, जिनसे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
कार्यक्रम का संचालन पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. विष्णुप्रिया पांडेय ने एवं धन्यवाद ज्ञापन डीन (छात्र कल्याण) प्रो. प्रमोद कुमार ने किया। आईआईएमसी प्रतिवर्ष सैन्य अधिकारियों के लिए मीडिया एवं संचार से जुड़े शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग कोर्सेज का आयोजन करता है। इन पाठ्यक्रमों में तीनों सेनाओं के कैप्टन लेवल से लेकर ब्रिगेडियर लेवल तक के अधिकारी हिस्सा लेते हैं।
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Ankur Vijaivargiya
Associate – Public Relations
Indian Institute of Mass Communication
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