नूपुर बहन को कतर आदि देशों के राजप्रमुख जनों की आपत्ति से हटाने को कूटनीति बताया जा रहा है।परन्तु इसे कूटनीति किसी भी रूप में नहीं कहा जा सकता ।
इसे कायरता नहीं तो बुद्धि की अल्पता अवश्य कहा जा सकता है। कूटनीति यह तब होती, जब इसे इस प्रकार एक स्वर्णिम अवसर में बदला जा सकता था:-
1) यह घोषणा की जा सकती थी कि अपने मित्रों की गहरी आध्यत्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए, इस अवसर का लाभ उठाकर अथवा इस घटना से सबक लेकर हम समस्त मानवता के हित में भारत में एक ऐसा सार्वभौमिक नियम ला रहे हैं कि किसी भी समुदाय के द्वाराआस्था पूर्वक उपास्य किन्ही आराध्य देव के किसी भी रूप पर अथवा किसी भी समुदाय के शीर्ष महापुरुष पर या जिन्हें वे अवतारी पुरुष आदि कहते हैं उन पर ,किसी भी प्रकार की टिप्पणी को संज्ञेय अपराध मानकर तत्काल कार्रवाई होगी और आजीवन कारावास का विधान किया जाता है।
2) ऐसा कोई कानून बनाने का यह सबसे स्वर्णिम अवसर था और कानून बनाने से पहले एक अध्यादेश जारी हो सकता था.।
3) जिसमें बाकायदा यह बात लिखी जाती कि अमुक अमुक देशों के हमारे सम्मानित राज्य प्रमुखों ने जो कि भारत के सम्मानित मित्र हैं, उन्होंने उचित ही हमारी एक प्रवक्ता के द्वारा अपने पैगंबर के विषय में कहे गए उन कदमों पर कड़ी आपत्ति जताई है जो कथन उनको आपत्तिजनक लगे हैं। भले ही उनका कोई अभिलेखीय साक्ष्य विद्यमान है अथवा कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध है। उनकी निष्ठा की भारत सराहना करता है और उसे अनुकरण योग्य मानता है।
4) हम संपूर्ण मानवता की एकता और बंधुता में विश्वास करते हैं और अपने इन मित्रों की संवेदना को समझते हुए तथा साथ ही इससे सबक सीखते हुए इस अवसर को एक लोक कल्याणकारी आवश्यक नीति एवं कदम के रूप में मानकर इसे अल्लाह और गॉड और सर्वव्यापी भगवान के द्वारा उपस्थित एक स्वर्णिम अवसर के रूप में देखते हैं जो उन्होंने हमारे इन उदार मित्रों के माध्यम से हमें सुलभ कराया है और इस अवसर को तनिक भी न गंवाते हुए हम इस विषय का सदा के लिए न्याय पूर्ण समाधान करने के लिए आवश्यक नीति बनाते हैं।
5,) हमारे राष्ट्र में किसी भी समुदाय के किन्ही भी आराध्य रूपों और उन रूपों के दिव्य संदेश वाहक किन्ही भी प्रवर्तकों या आचार्यों या दिव्य साधना से सिद्ध हुए महापुरुषों के बारे में किसी भी प्रकार की हल्की टिप्पणी संज्ञेय अपराध होगी और आवश्यक विधिक प्रक्रिया के बाद इस अपराध के लिए आजीवन कारावास का दंड तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
6) इसके साथ ही अपने मित्र राष्ट्रों से प्रेरणा लेकर भारत सरकार प्रतिज्ञाबद्ध होती हैं कि भारत के बहुसंख्यक जन के आराध्य अथवा प्रमुख दिव्य महात्माओं के विषय में विश्व में कहीं भी यदि एक शब्द भी कहा जाएगा तो उसके विरुद्ध अपनी तेज आपत्ति अंकित करना भारत सरकार का कर्तव्य होगा ।
7) ऐसा कहने वाले किसी भी नागरिक को विश्व का कोई भी देश संरक्षण देता है या शरण देता है तो वह देश हमारा मित्र राष्ट्र नहीं माना जाएगा ।उसके विरुद्ध हम अपनी शक्ति अनुसार आवश्यक कदम उठाने के अधिकारी होंगे।
साभार- https://twitter.com/rameshwarmishra से