गुजरात के मोरबी में विगत रविवार को मच्छू नदी पर बने सस्पेंशन पुल के गिरने से 142 लोग की मौत हो गई।लगभग 150वर्ष पहले मोरबी के राजा सर वाधव जी ठाकोर ने झूलते पुल का निर्माण करवाया था।तत्कालीन समय में इसको भारत का कलात्मक और तकनीकी चमत्कार कहा जाता था।इस चमत्कारिक पुल का उदघाटन 20फरवरी ,1879को मुंबई के तत्कालीन गवर्नर सर रिचर्ड टेंपल ने किया था,इसकी भव्यता ,कलात्मक सौंदर्यता और इसके आकर्षक सौंदर्य का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उस समय इसके निर्माण में 3.5लाख रुपए खर्च हुआ था।इस पुल की बनावट राजपूत और इतावली शैली में हुआ है ,इसकी उपादेयता इस तथ्य में है कि मोरबी के सरकारी वेबसाइट के अनुसार सस्पेंशन पुल “प्रगतिशील और वैज्ञानिक दृष्टिकोण”का परिचायक है।केबल के तारो से लटके इस तरह के पुल को झूला पुल कहा जाता है, अभियांत्रिकी की भाषा में ऐसे पुलो को सस्पेंशन पुल कहा जाता है।इस तरह के पुल खंभो पर टिके होने के बजाय केबल के सहारे टिके रहते है;ऐसे ऐतिहासिक विरासत के पुल अन्य राज्यों में भी है,उत्तराखंड के ऋषिकेश का लक्षुमन झूला और रामझूला झूलते पुल के सुंदर उदाहरण है। यहां पर प्रतिदिन हजारों पर्यटक आते है,इससे राज्य के विकास में सहयोग होता है।
मोरबी के झूलते पुल 1.25मीटर चौड़ा और 233 मीटर लंबा है। इसकी क्षमता 250व्यक्तिवो की है । पर्यटन की दृष्टि से भी यह पुल महत्पूर्ण है।स्थानीय प्रशासन के लापरवाही, सुरक्षाकर्मियों के गैरजिम्मेदारी और टिकट बेचने वालो की व्यक्तिगत लापरवाही के कारण झूलते पुल पर व्यक्तिवो की संख्या 500से अधिक हो गया ,जिससे अधिक भार केबल टूट गया और मानव निर्मित आपदा घटित हुआ।इस पूरी घटना का शल्य चिकित्सा करने से लापरवाही का मामला दिखाई देता है।घूसखोरी का प्रत्यय शासन,प्रशासन और नागरिकों से पूरी तरह घुल मिल गया है। प्रशासनिक सुधार आयोग -2 के प्रतिवेदन में दो तरह के घूसखोरी बताए गए है कोयर्सिव (कानून का भय दिखाकर/कानून (पद)का भय दिखाकर) कल्यूसिव (समझौते से मध्यस्थ बनकरके )इस तरह त्रिकोणीय गठबंधन में झूलते पुल वास्तव में झूल गया।घटना के पश्चात आदरणीय नरेंद्र मोदी जी ने प्रधान मंत्री राहत कोष से मरने वाले व्यक्तियों के परिवार को 2लाख और घायल व्यक्ति को या उसके परिवार को 50000 रुपए की आर्थिक सहायता देने कि पेशकश किए है,गुजरात सरकार भी आर्थिक सहायता दे रही है;लेकिन प्रधानमंत्री महोदय को इस घूसखोरी तंत्र के समाप्त करने कि दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए और दोषियों को सख्त सजा दिलाना चाहिए,और दोषियों के लिए शीघ्र की दिशा में प्रगति करवाना चाहिए।नागरिक सचेतन के साथ सामूहिक व्यक्तिगत चेतना बदलने के लिए एक नैतिक क्रांति की आवश्यकता है जिससे प्रत्येक नागरिक अपने आत्मीय मूल्यों व विवेकी सूझबूझ से कार्य करे।