1789 में वैश्विक स्तर पर घटित फ्रांस की क्रांति जिसका क्रांतिकारी वाक्य ‘ स्वतंत्रता ,समानता और बंधुत्व था।बंधुत्व का आशय वैश्विक एकजुटता को बढ़ाना है ।धर्म ,जाति ,लिंग ,भाषा, रंग एवं संप्रदाय के परे एकजुटता की संकल्पना को वैश्विक प्रभाव देना है।
भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के अंतर्गत “वसुधैव कुटुंबकम ” के ध्येय वाक्य को नागरिक समाज में स्थापित किया जाता है ।संविदा वादी चिंतक थॉमस हॉब्स, जॉन लॉक एवं जीन जैक्स रूसो ने नागरिक समाज में शांति एवं एकता के उन्नयन में अपने राजनीतिक दर्शन पर विचार प्रकट किए ।हमारे राज्य के महापुरुष स्वतंत्रता संग्राम के महान व्यक्तित्व ने भी संगठित होकर नागरिक समाज में एकजुटता के संप्रत्यय को प्रेरित किए ;राष्ट्रीय आंदोलन के जन नेता बाल गंगाधर तिलक ने अपने क्षेत्रीय त्योहारों में एकजुटता का पुरजोर समर्थन किए थे ।उदारवादी विचारधारा के नेता भी एकजुटता पर जोर देकर संवैधानिक विकास एवं उत्तरदाई शासन के विकास में चिंतन किए।क्रांतिकारी विचारधारा के समर्थक ने भी एकजुटता के अवधारणा को जोरदार समर्थन किए एवं राष्ट्रीय आंदोलन में इसका महाव दिखाई भी देता है । अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने इस मंत्र को जनसाधारण से जोड़कर अपने क्षेत्रीय स्तर पर आंदोलन को सफल बनाया ,एवं अखिल भारतीय स्तर पर तीन आंदोलन क्रमशः असहयोग आंदोलन(NCM), सविनय अवज्ञा आंदोलन (CDM)एवं भारत छोड़ो आंदोलन को पूर्ण रूप से लोकतांत्रिक संग्राम बना दिए ।नागरिक समाज में एकजुटता की उपादेयता को संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी समझा है एवं इसके महत्व एवं उपादेयता की प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए वैश्विक रूप से ‘ अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस’ को मनाने के लिए प्रेरित किया और भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 में एकता और वैश्विक शांति के लिए प्रयास किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता दिवस का उद्देश्य लोगों को विविधता में एकता की उपादेयता को प्रसार करना है ;वैश्विक स्तर एवं घरेलू स्तर पर इस दिवस को लोगों के बीच शांति ,भाईचारा, स्नेह ,सौहार्द और एकजुटता को प्रसारित किया जा रहा है ।इस दिवस की प्रासंगिकता इस प्रत्यय में है कि वैश्विक समुदाय/ राष्ट्रों के मध्य अंतरराष्ट्रीय संधि और सम्मान की उपादेयता को बढ़ाकर जागरूक करना है। विकास की अवधारणा को प्रसारित करने के लिए एकजुटता की भावना को बढ़ाना है। इसकी उपादेयता इस तथ्य में है कि गरीबी उन्मूलन और सहयोग ,समानता और सामाजिक न्याय की संस्कृति को बढ़ाना है, जिससे विकसित देश व विकासशील देशों में एकजुटता का उन्नयन किया जा सके।
अंतरराष्ट्रीय एकजुटता दिवस की वैश्विक स्तर पर प्रासंगिकता विकासशील देशों के लोगों में एकजुटता बढ़ाना ,सहयोग बढ़ाना, समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व एवं सामाजिक न्याय के संप्रत्यय को पुरित करना है।
(डॉ. सुधाकर कुमार मिश्रा,राजनीतिक विश्लेषक है।sudhakarkmishra@gmail.com)