मुंबई, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर चित्रनगरी संवाद मंच में स्त्री शक्तियों की संघर्ष कथा में में त्रिस्त्री शक्ति के रूप में सुप्रसिद्ध अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी, प्रतिष्ठित लेखिका डॉ स्मिता दातार और रेडियो सखी ममता सिंह ने कुछ इस तरह रंग जमाया कि श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गए।
इसकी शुरुआत में सबसे पहले जब हिमानी शिवपुरी ने हंसते मुस्कुराते हुए दिलकश अंदाज़ में अपनी अभिनय यात्रा की दास्तान सुनाई तो श्रोतागण उन्हे सुनते ही रह गए। देहरादून के स्कूली दिनों और अपने लेखक पिता डॉ हरिदत्त भट्ट शैलेश को याद करते हुए उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप पर अमेरिका जाने का इरादा छोड़ कर जब उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में प्रवेश ले लिया तो घर में हंगामा मच गया मगर उनके पिताजी ने उनका साथ दिया। अपने जीवनसाथी ज्ञान_शिवपुरी के आग्रह पर वे मुंबई आईं और लगातार कामयाबी का सफ़र तय किया। हम आपके हैं कौन, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, कुछ कुछ होता है आदि फ़िल्मों में अपनी भूमिकाओं का ज़िक्र करते हुए हिमानी जी ने अपने दूरदर्शन धारावाहिकों हमराही और हसरतें को भी याद किया।
उन्होंने बताया कि जन भावनाओं का सम्मान करते हुए उन्होंने कई फ़िल्मों में बुआ की भूमिका अभिनीत की मगर यह ध्यान रखा कि एक किरदार दूसरे से अलग दिखाई पड़े। श्रोताओं से बातचीत में हिमानी जी ने बताया कि उन्हें कविता और कहानी लिखने का शौक़ है। उनकी कहानियां चर्चित पत्रिका सारिका में प्रकाशित हो चुकी हैं। अब वे एक उपन्यास लिखना चाहती हैं और एक फ़िल्म निर्देशित करना चाहती हैं। हिमानी जी ने उन दुखद पलों का भी ज़िक्र किया जब उनके जीवनसाथी ज्ञान शिवपुरी का असामयिक निधन हुआ और वे दुख के समंदर में डूब गईं। मगर किसी तरह हिम्मत जुटाकर उन्होंने ख़ुद को खड़ा किया।
हिमानी जी ने बताया कि कोरोना के प्रथम काल में उन्हें कोरोना हो गया था। घर में जब वे अकेलेपन का सामना कर रहीं थीं तब एनएसडी के मित्र फ़िल्म लेखक अशोक मिश्रा के सुझाव पर उन्होंने क़लम थाम ली और लिखना शुरू किया। कुल मिलाकर हिमानी शिवपुरी के साथ बातचीत का यह सिलसिला बहुत सुखद रहा और उनके साथ गपशप में श्रोताओं को भी बहुत आनंद आया।
साभार https://mitwanews.in/ से