निरंजन परिहार
- धर्म, संस्कृति, साहित्य एवं परंपरा के संरक्षण का प्रयास होगा
- जैन साधु साध्वियों की विहार के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित होगी,
- सैकड़ों संस्थाओं व दिग्गज लोगों ने गहलोत के फैसले को सराहा
जयपुर। (प्राइम टाइम)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जैन धर्म, जैन साधु संतों, जैन परंपराओं व साहित्य तथा धरोहरों को सहेजने की दिशा में एक अभिनव कदम उठाया है। गहलोत ने राजस्थान राज्य श्रमण संस्कृति बोर्ड के गठन के आदेश जारी कर दिये हैं। राजस्थान में विभिन्न जाति, धर्म, समाज और वर्गों के लिए जो बोर्ड बन रहे हैं, राजस्थान राज्य श्रमण संस्कृति बोर्ड भी उसी कड़ी का हिस्सा है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि धर्म, साहित्य व संस्कृति को सहेजने की दिशा में सरकार का यह कदम आने वाले समय में जैन साधु संतों के नेतृत्व में एक बेहतर समाज का निर्माण करने में सहायक साबित होगा। जैन साधु -साध्वियों के विहार में उनकी सुरक्षा मामलों पर भी यह बोर्ड निगाह रखेगा। जैन धर्म, समाज व संस्कृति से संबद्ध सैकड़ों संस्थाओं ने मुख्यमंत्री गहलोत के इस फैसले का स्वागत किया है।
राजस्थान राज्य श्रमण संस्कृति बोर्ड राजस्थान सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के तहत काम करेगा। इस बोर्ड के गठन को जैन समाज के हित में राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत का एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए मुख्यमंत्री के विश्वस्त सहयोगी निरंजन परिहार ने इसकी गठन प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। बोर्ड में श्वेतांबर, दिगंबर, तेरापंथी, स्थानकवासी आदि विभिन्न जैन समुदायों के कुल 5 प्रतिनिधि गैर सरकारी सदस्य होंगे, जिनमें अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के अलावा तीन सदस्य होंगे, इन सभी की नियुक्ति राजस्थान सरकार करेगी। इनके अलावा सरकारी सदस्यों में गृह विभाग, स्कूल शिक्षा, कला, साहित्य, संस्कृति पुरातत्व, देवस्थान, सामाजिक न्याय, अहिंसा व शांति विभाग, अल्पसंख्यक विभाग के सचिव या कमिश्नर इस बोर्ड में सदस्य के रूप में रहेंगे। इसके साथ ही सामाजिक न्याय विभाग में डिप्टी डायरेक्टर स्तर का अधिकारी राजस्थान राज्य श्रमण संस्कृति बोर्ड के सचिव पद पर नियुक्त होगा। इस बोर्ड के गठन के लिए 22 जुलाई को अधिसूचना जारी कर दी गई है। जैन समाज के बारे में मुख्यमंत्री के इस फैसले को देश भर में स्वागत हो रहा है।
जैन धर्म की श्रमण परंपराओं के बारे में यह बोर्ड राजस्थान सरकार को सुझाव देगा तथा सरकार उन सुझावों के अनुरूप कार्रवाई करेगा। गहलोत सरकार द्वारा जारी राजस्थान राज्य श्रमण संस्कृति बोर्ड गठन के आदेश में बोर्ड की जिम्मेदारियों में जैन धर्म श्रमण परम्परा के संबंध में राज्य सरकार को सुझाव देना, जैन समुदाय के लोगों के कल्याण हेतु इस समाज के लिये विभिन्न योजनाएं प्रस्तावित करने एवं उनके प्रचार प्रसार के संबंध में राज्य सरकार को सुझाव देना, जैन समुदाय पर आधारित पुरातात्विक धरोहरों एवं मंदिरों का संरक्षण एवं नव निर्माण के संबंध में राज्य सरकार को सुझाव देना, जैन समुदाय के प्राचीन साहित्य का संकलन, संरक्षण एवं शोध कार्य पर राज्य सरकार को सुझाव देना, जैन समुदाय के आराध्य 24 तीर्थंकर पर रचे गये लोक साहित्य का प्रकाशन व प्रचार प्रसार करना, जैन समुदाय के आराध्य भगवान महावीर के शांति एवं अहिंसा के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार एवं जैन साधु -साध्वियों को उनके विहार में उनकी सुरक्षा में कोई भी दिक्कत परेशानी न हो, जैसे कुछ प्रमुख उद्देश्य इस बोर्ड के गठन में निहित हैं।
इस बोर्ड के गठन के पश्चात देश विदेश से सैकड़ों जैन संस्था की तरफ से मुख्यमंत्री गहलोत को बधाईयां मिल रही हैं। ज्ञात हो कि इस बोर्ड के गठन से विहार कर रहे साधु संतों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी। परिहार ने कहा कि राजस्थान में राजस्थान में जैन श्रमण परंपराओं के संरक्षण, जैन मंदिरों तथा पुरातात्विक महत्व की जैन धरोहरों के संरक्षण एवं नव निर्माण, जैन धर्म के लोक साहित्य एवं ग्रंथों के प्रकाशन, प्रचार – प्रसार तथा प्राचीन जैन साहित्य के संकलन, शोध एवं संरक्षण की दिशा में सार्थक प्रयास करते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने यह निर्णय लिया है।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं व राजस्थान की राजनीति पर नियमित रुप से लिखते रहते हैं)