Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeकविता"स्वतंत्रता का मोल"

“स्वतंत्रता का मोल”

स्वतंत्रता संग्राम का,गौरवमयी अतीत।
मिलजुल कर सबने लड़ा,तो मिल पाई जीत।।

अगणित न्योछावर हुए,गुमनामी में वीर।
हँसते-हँसते मिट गए,मतवाले रणधीर।।

स्वतंत्रता संग्राम के,नायक बस कुछ खास।
किससे पूछें बोलिए,छुपा हुआ इतिहास।।

अगणित भाषा-बोलियाँ,अगणित है परिवेश।
गौरवशाली लाड़ला,मेरा भारत देश।।

अपनों ने धोखा दिया,किया मुल्क निस्तेज।
सदियों शासन कर गए,मुट्ठी भर अंग्रेज।।

संघर्षों का दौर है,अभी कहाँ विश्राम।
खुद से खुद का चल रहा,स्वतंत्रता संग्राम।।

हम सब को हर हाल में,रखना होगा ध्यान।
धर्म जाति मज़हब नहीं,पहले देश महान।।

जल-थल-नभ सेना यहाँ,अलग-अलग गणवेश।
लेकिन सबका ध्येय है,अखंड भारत देश।।

स्वतंत्रता अनमोल है,राष्ट्र प्रेम सर्वोच्च।
यही सभी की भावना,रहे सभी की सोच।।

दो टुकड़ों में बँट गया,देश रूप कश्कोल।
ह्रदय विदारक था ‘कमल’,स्वतंत्रता का मोल।।

– कमलेश व्यास ‘कमल’

पता- 20/7, कांकरिया परिसर अंकपात मार्ग उज्जैन, पिन कोड-456006
मोबाइल नंबर-8770948951

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार