विश्व नदी दिवस प्रत्येक वर्ष 24 सितंबर को एक महापर्व के रूप में वैश्विक स्तर और वैश्विक समुदाय में मनाया जाता है। इस दिवस की प्रासंगिकता इस अवधारणा में निहित है कि वैश्विक समुदाय में नदियों के महत्व, उपादेयता, संरक्षण की आवश्यकता ,जागरूकता, नदियों के प्रति वैज्ञानिक और मानवीय दृष्टिकोण का उन्नयन करना है। वैश्विक स्तर पर नदियों की उपादेयता जल के स्रोत,उर्जादायिनी, मनुष्य की जीवन रेखा और पारिस्थितिकी एवं सांस्कृतिक विरासत की अभिन्न अंग है ।वैश्विक नदी दिवस एक वैश्विक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य नदियों के महत्व के बारे में जागरूकता का उन्नयन करना है। भारत सरकार के अविरल धारा के उपादेयता को उन्नयन करने के” नमामि गंगे “कार्यक्रम ने पवित्र नदियों के प्रदूषण को कम करने में महत्वपूर्ण मात्रात्मक एवं गुणात्मक सफलता प्राप्त किया है ।इस कार्यक्रम के कारण जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। यह हमारे निर्मल गंगा के नेतृत्व के दिल के करीब है।
नदी दिवस लोक /जन को नदियों की चिंता की मुद्दों पर शिक्षित करने, नदियों से जुड़ी वैश्विक सहभागिता का उन्नयन करने और मानवता के लिए नदियों की सुरक्षा ,संरक्षण और प्रासंगिकता पर चिंतन करने के लिए सक्रियता प्रदान करने वाला दिवस है। दैनिक जीवन में नदियों के महत्व के लिए 2005, में संयुक्त राष्ट्र ने ‘ जीवन के लिए जल दशक ‘ की शुरूआत किया है, जिसका मौलिक उद्देश्य मानवीय समुदाय के लिए नदियों की उपादेयता को स्वीकार करना है। इसका उद्देश्य जल संसाधनों की देखभाल की आवश्यकता के विषय में अधिक जन जागरूकता का बोध कराना है।
नदियों को जोखिम और त्रासदी का सामना करने के लिए और नदियों के स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर जन जागरूकता को बढ़ाना है ।नदियों की उपादेयता को देखते हुए कहा जा सकता है कि” नदियां हमारे ग्रह की धमनियां हैं, नदियां वास्तविक आश्रय में मानवीय जीवन की जीवन रेखा है”। वैश्विक नदी दिवस नदियों के मूल्य पर प्रकाश डालता है, सार्वजनिक जागरूकता को बढ़ाने का प्रयास करता है और दुनिया भर में समस्त नदियों के बेहतर प्रबंधन को प्रोत्साहित करता है। मुख्यत: प्रत्येक देश में नदियां विभिन्न प्रकार के सामूहिक समस्याओं से लड़ती हैं, और मानव जाति अपने सक्रिय सहभागिता से नदियों के स्वास्थ्य को सुधार कर सकताहै ।इस दिवस पर मानवीय समाज को नदी की स्वच्छता गतिविधियों को व्यवस्थित करके एक सतत स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में सहयोगी बनने की आवश्यकता है। वैश्विक नदी दिवस का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक व्यक्ति नदी प्रबंधन के उपादेयता को समझें और हम प्रत्येक उन खतरों को सीमित करने के लिए हर संभव प्रयास करें ,जिससे नदियों का संरक्षण हो सके।
पौरारिक धर्म ग्रंथो विष्णु पुराण, रामायण और महाभारत में यमुना नदी को सूर्य पुत्री, यम की बहन और भगवान श्री कृष्ण की अर्धांगिनी का दर्जा दिया गया है। यमुना और गंगा के डोवाब में ही सनातन संस्कृति का अभ्युदय हुआ था ।प्राचीन काल से नदियां मां की तरह हमारा भरण पोषण कर रही है। नदियों की तरह से सभ्यताएं पनपती हैं और सभ्यताएं संस्कृति का पोषक बनती हैं। मानवीय व्यक्तित्व समस्या ग्रस्त होने पर नदियों का शरण लेती है। महाभारत में भीष्म प्रत्येक कठिनाई में अपने माता गंगा जी के पास जाते थे और उनको उचित समाधान मिलता था। समसामयिक परिप्रेक्ष्य में गतात्मा के मोक्ष हेतु उसको गंगा विसर्जन किया जाता है। सनातन धर्म में मनुष्य के जीवन की यात्रा नदियों के किनारे ही पूर्ण होता है। नदियों में गंगा जी की प्रासंगिकता बारहमासी है, अर्थात इसमें साल भर पानी का प्रवाह होता रहता है, जिसके चलते इसके आसपास के क्षेत्र में धान, गेहूं,गन्ना, दाल ,तिलहन और आलू जैसी फसलों का पैदावार अधिक मात्रा में होता है गंगा जी के किनारे प्राकृतिक सौंदर्य से युक्त पर्यटन स्थल है ,जो राष्ट्रीय आय में प्रमुख उपादेयता निभाते हैं। नदियों के बिना जीवन संभव नहीं है ,क्योंकि नदियों के द्वारा पेयजल और दैनिक कार्य की उपादेयता की पूर्ति होती है और धरती को उपजाऊ बनाते हैं ,जो कृषि के लिए बहुत उपयोगी है। भारत में जल की उपादेयता और प्रासंगिकता है एवं जल ही जीवन है।
नदियों को छिछली( उथली) होने से सुरक्षित करना होगा। नदियों के तटीय क्षेत्रों में सघन वृक्षारोपण किया जाए, जिसके कारण उनके तटों का कटाव ना हो। नदियों के पानी को गंदा होने से बचाए, मसलन पशुओं को नदी के पानी में जाने से रोकना आवश्यक है ।ग्रामीण और शहरों के घरेलू अनुपचारित पानी नदी में नहीं मिलने देना चाहिए। पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना( NRCP )द्वारा नदियों के प्रदूषण को रोकने और पानी की गुणवत्ता में सुधार करना है। जन जागरूकता के द्वारा विभिन्न नदियों के लिए विशेष कार्य योजना पर जानकारी का उपयोग कर सकते हैं, सीवेज उपचार संयंत्र, पानी की गुणवत्ता की निगरानी और कार्ययोजना अभिकरणों के द्वारा पानी की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं।
(लेखक प्राध्यापक व राजनीतिक विश्लेषक हैं)