भारतीय सनातन संस्कृति के बारे में विवेचन करते हुए, भारत में रचित वेद, पुराण एवं परम्पराओं के अनुसार, राजा का यह कर्तव्य माना गया है कि उसके राज्य में निवास कर रही प्रजा में प्रत्येक नागरिक को रोजगार उपलब्ध हो, राजा ऐसी व्यवस्था करे। जब तक भारतीय सनातन संस्कृति का भारत में पालन होता रहा, तब तक लगभग समस्त नागरिकों को रोजगार उपलब्ध होता रहा। प्राचीन भारत में विशेष रूप से गावों में ही रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध रहते थे एवं शहरों की ओर पलायन भी बहुत कम होता था। बेरोजगारी की समस्या के बारे में तो भारत के प्राचीन शास्त्रों में वर्णन ही नहीं मिलता है। समस्त नागरिकों को रोजगार उपलब्ध रहता था एवं वे अपने परिवार के समस्त सदस्यों का भरण पोषण करने में सक्षम रहते थे एवं परिवार के समस्त सदस्यों के साथ प्रसन्नत्ता एवं उत्साह के साथ रहते थे। जब कि आज की परिस्थितियों के बीच, वैश्विक स्तर पर, बेरोजगारी की समस्या एक प्रमुख समस्या के रूप में उभर रही है।
भारतीय सनातन संस्कृति का पालन करते हुए भारत आज आर्थिक प्रगति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज भारतीय अर्थव्यवस्था पूरे विश्व की लगभग सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे तेज गति से प्रगति करने वाली अर्थव्यवस्था बन गई है। वर्ष 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में 10वें स्थान पर थी जो आज 5वें स्थान पर पहुंच गई है एवं भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति को देखते हुए अब उम्मीद की जा रही है कि वर्ष 2027-28 के पूर्व भारत की अर्थव्यवस्था 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगी एवं यह अमेरिका एवं चीन के बाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन जाएगी। भारत में केंद्र सरकार द्वारा लगातार यह प्रयास किया जा रहा है कि न केवल देश की अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़े बल्कि भारत में युवाओं के लिए अधिक से अधिक रोजगार के नए अवसर निर्मित हों। इस दृष्टि से भारत में अब अच्छी खबर आई है। भारत में अगस्त 2023 माह में 46.21 करोड़ नागरिकों को रोजगार मिला हुआ था जबकि अगस्त 2022 में 43.02 करोड़ नागरिकों को ही रोजगार प्राप्त था, इस प्रकार एक वर्ष के दौरान 3.19 करोड़ नागरिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। केंद्र सरकार के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा वर्ष 2017 के बाद से प्रतिवर्ष देश में (जुलाई-जून वार्षिक अवधि के बीच) श्रम शक्ति सर्वेक्षण, यह जानने के लिए किया जाता है कि भारत के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी एवं रोजगार की कैसी स्थिति है। हाल ही में जुलाई 2022 से जून 2023 की अवधि के बीच यह सर्वेक्षण कार्य सम्पन्न हुआ है। इस सम्बंध में जारी किए गए प्रतिवेदन में भारत में रोजगार की स्थिति के बारे में कई अच्छे तथ्य उभरकर सामने आए हैं।
भारत में 15 वर्ष एवं इससे अधिक की आयु वाले नागरिकों के बीच श्रम शक्ति भागीदारी की दर (Labour Force Participation Rate) में लगातार अतुलनीय रूप से सुधार हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में श्रम शक्ति भागीदारी की दर वर्ष 2017-18 में 50.7 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 60.8 प्रतिशत हो गई है, जबकि
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