दुनिया भर में सभ्यता, संस्कृति और नगरों का विकास भी नदियों के किनारे हुआ है . लन्दन भी इसका अपवाद नहीं है . लन्दन आज जोकुछ भी है उसकी एक बड़ी वजह टेम्स नदी रही है . इस नदी में इस शहर का दिल धड़कता है अगर आप वेस्टमिनिस्टर ब्रिज या फिर टावर ब्रिज पर खड़े होकरदेखेंगे तो पायेंगे कि यह नदी लन्दन के बीच से लहरा लहरा कर गुजरती है . यह वैसे तो मीठे पानी की नदी है लेकिन लन्दन के पूर्वी हिस्से के हैंपटन तक पहुँच कर समुद्र के खारे पानी से मिलना शुरू होजाती है . और यह नदी अपने उद्गम स्थल से चल कर एसेक्स तक समुद्र से मिलने के इस सफ़र में एक नैसर्गिक हरित कारिडोर भी बनाती चलती है .
टेम्स नदी लन्दन शहर के इतिहास की सारी महत्वपूर्ण घटनाओं की साक्षी रही है . अब से कोई दो हज़ार वर्ष पूर्व रोमन ने ब्रिटेन में बलातप्रवेश किया था. वे केंट में उतरे थे और ब्रिटेन के मूल निवासियों को टेम्स नदी के दोनों किनारों से खदेड़ कर इसे अपने गढ़ में बदल दिया . इस तरह से तब लोंडोनियम की स्थापना हुई जिसे हम और आप लंदन के नाम से जानते हैं. चौथी और पाँचवीं शताब्दी में जर्मनी , नीदरलैंड और डेनमार्क से जो लोग यहाँ आये उन्हें एंग्लो सैक्सन कहा जाता है इन्होंने स्थानीय शासन व्यवस्था को बदल दिया . आठवींशताब्दी में स्कैंडेनेविया से वाइकिंग समुद्री मार्ग से होते हुए टेम्स
नदी के ज़रिए लन्दन पर कब्जा करने के लिए आए, उनका आधिपत्य 1014 तक रहा , इसी वर्ष इंग्लैंड के राजा इथिल्रेड ने उन्हें यहाँ से खदेड़ दिया. इसी नदी के किनारे समुद्री पोत निर्माण की कला विकसित हुई . किंग हेनरी VII ने चौदहवीं शताब्दी में जो शुरुआत की थी उसे उसके पुत्र किंग हेनरी VIII ने बहुत आगे बढ़ाया , नदी केतट पर डेप्टफ़ोर्ड और वूलिच में दो डाकयार्ड बनवाये 1547 के आते आते नेवी के 40 बड़े पोत तैयार हो चुके थे , इसके बाद समुद्र में ब्रिटिश जगहों की श्रेष्ठता स्थापित हो गई. यह वे दूरदर्शी कदम थे जिन्होंने टेम्स नदी ने को विश्व व्यापार का केंद्र बनने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की . जैसे जैसे यहाँ व्यवसाय बढ़ा नये नये वार्फ़ और पियर बने .1598 में यहाँ व्यापार इतना बढ़ गया था कि इस नदी केकिनारे 40,000 से भी अधिक लोगों को लन्दन में रोज़गार मिला हुआ था .
जहाज-रानी में अग्रणी केन्द्र के रूप में विकसित होने कारणकई शताब्दियों तक इस शहर का पूरी दुनिया पर दबदबा बना रहा, इसका एक बड़ा कारण यह भी था कि यहाँ के उद्यमी जहाजियों और व्यापारियों ने नए नए समुद्र मार्ग खोजे , दूर दराज के नये तटों पर अपने व्यापारिक केंद्र स्थापित किए.
यह तो बात हुई टेम्स के कारण लंदन के दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र बनने की , इसी के साथ टेम्स नदी का ललित कलाओं, साहित्य और संस्कृति के विकास में भी बड़ा योगदान रहा है. अबसे पाँच सौ वर्ष पूर्व ऑर्लियंस के ड्यूक चार्ल्स के पाँच सौ बेशक़ीमती पेंटिंग के संग्रह में अनेक पेंटिंग का विषय वस्तु यह नदी रही थी क्योंकि उन्होंने अपनी ज़िंदगी के चौबीस वर्ष नदी के किनारेबने टावर पैलेस के जेलखाने में बिताये थे . मध्यकालीन लन्दन को चित्रित करने वाला उनका संग्रह अद्भुत है. इसके बाद तीन और प्रसिद्ध चित्रकार वेंसलॉस हॉलर, फ़िलिप जेम्स दे लाउथरबोरो और जेएमडब्ल्यू टर्नर ने भी अपनी कलाकृतियाँ में इस नदी के सौंदर्य को क़ैद किया . इम्रेशनिस्ट आंदोलन के प्रवर्तक क्लेड मोने ने अठारहवीं शताब्दी में फ़्रांस से लन्दन आकर टेम्स नदी को विषय वस्तु बना कर कई नायाब पेंटिंग बनाई जिनमें से विशाल आकार की एक पेंटिंग ब्रिटिश पार्लियामेंट में लगी हुई है.
सुप्रसिद्ध पाश्चात्य शास्त्रीय संगीतकार जॉर्ज फ़्राइड्रिक हेंडल ने 1717 में अपनी कालजयी रचना “वाटर म्यूजिक” टेम्स को प्रतिमान बनाकर रची थी , इस कंसर्ट का आयोजन टेम्स नदी के तट पर हुआ था और इसे स्वयं किंग जॉर्ज ने आ कर सुना था. टेम्स नदी के दक्षिणी तट पर ग्लोब थिएटर में शेक्सपियर के नाटकों को मंचित करने का इतिहास भी चार सौ वर्षों से ज़्यादा पुराना है.
शेक्सपियर ने नाटक लिखे तो थे ही और वे मंचित नाटकों में अभिनय भी किया करते थे . यही नहीं साउथ बैंक पर बने इस थिएटर के पार्टनर भी थे . यह भी कहा जाता है कि हैमलेट नाटक शेक्सपियर ने यहीं नाटक खेलते खेलते लिखा था . पुराने थिएटर के जर्जर अवस्था में पहुँच जाने पर अभी चालीस वर्ष पूर्व एक बार फिर से उसी लोकेशन के क़रीब ग्लोब थिएटर प्रारंभ हो चुका है . करोना काल को छोड़ कर यहाँ नियमित रूप से शेक्सपियर के नाटकों का मंचन चलता रहता है .
सेंट्रल लंदन में टेम्स नदी के दोनों किनारों पर जो भव्य भवन बने हुए हैं वे न सिर्फ़ वास्तु कला के नमूने हैं बल्कि उनमें परत दर परत इतिहास छुपा हुआ है, इन्हें देख कर लगता है कि यह शहर यूँ ही दुनिया का व्यस्ततम केंद्र नहीं बन गया था .
टेम्स ने कला, साहित्य और संस्कृति को इतना गहरा किस तरह से प्रभावित किया है यह समझने के लिए मैंने लन्दन में इस नदी के किनारे कितनी ही बार पैदल चल कर देखा है कई बार बोट में बैठ कर दूर तलक़ निकल गया हूँ , हर बार इसके विस्तार में एक नई ऊर्जापाई है . साउथ बैंक पर टावरब्रिज के नीचे के बाज़ार में टहलते हुए कई बार तो यह लगता है जैसे समय में पीछे पहुँच गए हों.
टेम्स नदी का लन्दन विस्तार कैलाडिस्कोप की तरह रंग और पैटर्न बदलता रहता है . मैंने कितनी ही बार सुबह सवेरे , तो कभी मध्य दोपहरी में , या फिर ढलती शाम के समय , तो कभी देर गए रात को निरुद्देश्य टावर ब्रिज पर टहल कदमी करते हुए या फिर लन्दन ब्रिजके मध्य में जा कर घण्टों खड़ा रह कर देखा है , हर बार एक नया अनुभव होता है , कभी दूर तक शहर के विस्तार के मध्य नदी की लहरों पर सूरज की किरणें आखेट करती दिखती हैं , कभी रात के सन्नाटे में दोनों किनारों पर बनी इमारतों की रंग बिरंगी रोशनी का पानी पर रिफ्लेक्शन टेम्स को डिस्कोथिक फ्लोर में बदल देता है .
शाम को जब सूरज वेस्टमिनिस्टर पैलेस के ठीक पीछे छुप जाता है ब्रिज केसामने का पूरा परिदृश्य विशाल सिनेमा स्क्रीन जैसा लगता है . इस नदी में समुद्र के क़रीब होने के कारण लो टाइड और हाईं टाइड भी रहता है जिसके कारण नदी में जल का स्तर घटता बढ़ता रहता है .
टेम्स का दक्षिणी किनारा इन दिनों ब्रिटिश कला, संगीत, फ़िल्म संबंधी गतिविधियों से गुलज़ार रहता है , सालाना लन्दन लिटरेचर फेस्टिवल यहीं होता है. टेट मॉडर्न आर्ट गैलरी, नेशनल थिएटर ,हायवर्ड गैलरी , रॉयल फेस्टिवल हॉल, ब्रिटिश फ़िल्म इंस्टिट्यूट, नेशनल पोएट्री लाइब्रेरी जैसी संस्थाएँ भी इसी किनारे पर हैं .
1929 में जब ब्रिटिश ट्रेड यूनियन नेता और राजनीतिज्ञ जॉन बर्न्स को जब पता लगा कि अमेरिकी लोग टेम्स नदी की तुलना अमेरिकाकी गन्दली नदी मिसिसिपी से कर रहे हैं तो उसने बहुत ही तीखी प्रतिक्रिया दी थी, उसने कहा ,सैंट लॉरेंस (उत्तरी अमेरिकी नदी ) जल है , मिसिसिपी गन्दला पानी है और रही बात टेम्स की यह तो लिक्विड इतिहास है. टेम्स नदी को लेकर एक और रोचक तथ्य यह है कि पिछली शताब्दी तक कॉट्सवॉल्ड्स में इसके स्रोत से लेकर डोर्चेस्टर तक इसे आइसिस नाम से बुलाया जाता था. आइसिस रोम से लेकर इजिप्ट तक देवी के रूप में पूजी जाती थी . लोग रोमन काल से ही टेम्स कोदेवी आइसिस का रूप मान कर पूजा करते रहे हैं . आज भी मार्च, जुलाई और नवंबर माह में पूर्णमाशी की रात को टेम्स के दक्षिणी किनारे पर टेट म्यूजियम के क़रीब यह पूजा सम्पन्न होती है .इससे यह भी साबित होता है कि हज़ारों वर्षों से हर जाति, सम्प्रदाय, धर्मऔर भौगोलिक सीमाओं में बसे लोग नदियों की पूजा करते आ रहे हैं . इसी परम्परा के साथ जुड़ कर लन्दन में बसे बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों ने टेम्स के तट पर छट पूजा करना शुरू कर दिया है और इसे गंगा का दर्जा दे दिया है .
लन्दन और उसके क़रीब टेम्स नदी के बीच में कई टापू भी हैं जिनका चलते चलते ज़िक्र करना ज़रूरी है . एसेक्स तट के क़रीब ओसिया टापू है जहां लो टाइड होने पर रोमन काल में बने कॉजवे के ज़रिए ज़ाया जा सकता है , इस टापू पर लगभग 380 एकड़ के इस क्षेत्र मेंफलों के बाग़ान , गार्डन , हरे भरे चारागाह हैं . इस टापू का स्वामित्व जाने माने संगीत प्रोड्यूसर निगेल फ़्रेडा का है , यहाँ सैलानियों केलिए ठहरने की व्यवस्था भी है.
एक और टापू ऐल पाई आइलैंड कहलाता है यह साउथ वेस्टर्न रेल लाइन पर ट्विकेनहम स्टेशन के बिलकुल क़रीब है , टापू पर पैदल ज़ाया जा सकता है जाने के लिए फुटब्रिज है , यहाँ पचास के क़रीब परिवार बसे हुए हैं और यहाँ कुछ आर्ट स्टूडियो भी हैं , छटे दशक मेंयह संगीत प्रेमियों के लिये बड़ा आकर्षण था. यहाँ के ऐल पाई होटल में रॉड स्टीवार्ट और द रोलिंग स्टोन्स जैसे नामचीन गायक और ग्रुप प्रस्तुति देने आया करते थे .
रिचमंड बरो में हैम्पटन स्टेशन के क़रीब टैग्स आइलैंड है इसका आकार अश्रुकण जैसा है , यहाँ एक जमाने में कई होटल थे जो एकभीषण बाढ़ की चपेट में नष्ट हो गए . अब यहाँ सेंट्रल लगून पर लंगर डाले काफ़ी हाउस बोट हैं , जिन पर सौ के क़रीब परिवार रहते हैं, आइलैंड पर पहुँचने के लिये पैदल ब्रिज है . यहाँ के बगीचों में लैवेंडर , जंगली गुलाब बहुतायत से हैं . एक दिन की पिकनिक के लिए यह अच्छा विकल्प है.
कुल मिला कर लन्दन और इसके आसपास टेम्स नदी में अस्सी के क़रीब छोटे बड़े टापू हैं , इनमें से कुछ तो तैरते भी रहते हैं . कुछ परकोई आबादी भी नहीं है लेकिन जहां लोग रहते हैं वहाँ सैलानियों के लिए खोजबीन की काफ़ी गुंजाइश है .
मैंने टेम्स के दोनों तटों और नदी में घूमने फिरने में जो समय लगाया है उसके आधार पर मैं कह सकता हूँ कि टेम्स नदी का अपना एकई को सिस्टम है जिसने लन्दन शहर को विकसित होने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है और अभी भी इसके चरित्र को सजाने संवारने में लगी हुई है .