Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeपाठक मंचधनुर्धारी श्री राम के अविस्मरणीय कथन

धनुर्धारी श्री राम के अविस्मरणीय कथन

आजकल लगभग सभी समाचार पत्रों सहित अनेक पत्र-पत्रिकाओं और टीवी समाचार चैनलों में “श्रीराम जन्म भूमि मंदिर” अयोध्या धाम में श्रीरामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के शुभाअवसर पर अति उत्साहित व भक्ति रस में डूबे हुई कार सेवकों की संघर्ष गाथा, समाचार,लेख और साक्षात्कार आदि पढ़कर एवं देखकर ह्रदय भावविभोर हो जाता है। मुझे रामजन्म मंदिर मुक्ति आंदोलन में कार सेवा का सौभाग्य तो नहीं मिला, फिर भी मैंने हिन्दू समाज को जागरुक करने के लिए उस समय (1986-1992) अपना दायित्व निर्वाह करते हुए ब्रह्मलीन आचार्य धर्मेंद्र जी महाराज एवं आदरणीय दीदी साध्वी ऋतम्भरा जी की ओजस्वी एवं तेजस्वी वाणी में दिये गये भाषणों की सैकड़ों ऑडियो कैसेट निशुल्क वितरित की थी l साथ ही छोटे-छोटे लेख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित करने हेतु प्रेषित किये, कुछ गोष्ठियां भी आयोजित करी एवं इससे सम्बन्धित पत्रक आदि का भी वितरण किया था जिससे हम हिन्दुओं में अत्याचारों से भरें हुए मुगल काल की वास्तविकता को समझ कर उनमें शत्रु और मित्र का बोध जगे और धर्म प्रेमी व धर्म द्रोही में भिन्नता का ज्ञान हो सके। उसी भावना से मैं आज भी अपनी लेखनी के माध्यम से इसी दायित्व को निभाते हुए धर्म द्रोहियों और देश द्रोहियों की वास्तविकता को समाज के समक्ष रखने का यथासंभव प्रयास करता आ रहा हूं।

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भव्य निर्माण से आज सम्पूर्ण भारत अपने गौरव को पुन: अर्जित करते हुए राममय हो रहा है l हम सनातन धर्मावलंबियों पर लगे हुए सैकड़ों वर्ष पुराने कलंक के मिटने से भारत भक्तों का स्वाभिमान जाग रहा है। इस पर भी क्या हम उस जिहादी मनोवृत्ति को मिटाने में सफल हुए जो अभी भी श्रीराम मंदिर के लिए धन संग्रह पर, तो कभी शोभायात्राओं में जय श्रीराम के उद्घोष पर और कभी अभिमंत्रित अक्षत वितरण करने वाली टोलियों पर आक्रमण करके रामभक्तों का रक्तपात करने से भी नहीं चूकते? यही नहीं कुछ जिहादी तत्व तो अभी भी सोशल मीडिया के माध्यम से चेतावनी देते हैं कि हमारा शासन आएगा तो हम मंदिरों को खंडित करके फिर से मस्जिद बना लेंगे…आदि-आदि!

क्या ऐसी विपरीत परिस्थितियों में हमें प्रभु श्री राम के उन वचनों को स्मरण नहीं करना चाहिए जब श्रीराम ने हमारे तपस्वी ऋषि-मुनियों के आश्रमों के बाहर उन्हीं ऋषि-मुनियों की अस्थियों के ढेर देख कर आक्रोशित होकर कहा था –

“निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ प्रण कीन्ह!
सकल मुनिन्ह के आश्रमन्हि जाइ जाइ सुख दीन्ह!!”

भावार्थ : श्री रामजी ने भुजा उठाकर प्रण किया कि मैं पृथ्वी को राक्षसों से रहित कर दूँगा। फिर समस्त मुनियों के आश्रमों में जा-जाकर उनको (दर्शन एवं सम्भाषण का) सुख दिया!

साथ ही यह भी स्मरण रखना चाहिए कि जब श्रीराम लंका जाने के लिए समुद्र से मार्ग मांगने के लिए प्रार्थना कर रहे थे तब समुद्र महाराज ने उनके विनम्र आग्रह को महत्व नहीं दिया तो प्रभु आवेश में आ गए और अपना धनुष वाण उठा कर बोले थे –
“विनय न मानत जलधि जड़ ,गये तीन दिन बीत।
बोले राम सकोप तब,भय बिन होए न प्रीत।।”

अतः हमको राम की भक्ति के साथ-साथ उनकी उस तेजस्वी वाणी का सार समझना चाहिए और उसको अपने आचरण में उतार कर धर्म और समाज की रक्षार्थ सक्रिय रहना चाहिए l यदि अब भी हम भक्ति में लीन रहकर शक्ति को भूलते रहेंगे तो भविष्य में भक्तों का अभाव हो तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी? हमको यह नहीं भूलना चाहिए कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि सब हमारे ही राष्ट्र की भूमि पर बने, जहां जेहादियों ने हमारी संस्कृति को मिटाने के लिए ही हमारे धर्म बंधुओं के जीवन को भी नष्ट कर दिया। ऐसे पीड़ादायक घिनौने अत्याचारों और इस्लामिक शक्तियों के षडयंत्रों को समझने के लिए ‘मुगल काल’ का इतिहास अवश्य पढ़ना चाहिए।

ध्यान रहे कि त्रेता, द्वापर और अब कलयुग में भी दानवों, राक्षसों और जेहादियों के रूप में पलने वाले तत्वों को मिटाने के लिए शास्त्र सम्मत शस्त्र का सदुपयोग करना ही चाहिए, अन्यथा मानवता की रक्षार्थ सक्रिय सभ्य समाज अपने आप को ही सुरक्षित नहीं रख पायेगा?

इसको चरितार्थ करने के लिए अपने मंदिर के भव्य निर्माण के सफल अभियान के साथ-साथ हमको उन इस्लामिक शिक्षाओं का बहिष्कार करके उनको प्रतिबंधित करने के लिए शासन को विवश करना चाहिए, जो कट्टरपंथी मुसलमानों के मन-मस्तिष्क में ऐसा जहर भर देती हो, जो सभ्य समाज की आस्थाओं और उनके अस्तित्व को “जिहादी भट्टी में झोंकने को पवित्र मानने के लिये बाध्य कर देती हैं।”

राष्ट्रवादी चिंतक एवं लेखक
गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार