लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल को नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता दी जाती है। जिस राजनीतिक दल को लोकसभा के कुल निर्वाचित सदस्यों का दसवां भाग निर्वाचित होते हैं अर्थात 543 × 1/10 =54.
विपक्षी दल के सांसद सर्वसम्मत से अपने नेता के नाम का अनुमोदन करते हैं और उस नेता को लोकसभाध्यक्ष के पास भेज दिया जाता है। वर्ष 1977 में विपक्ष के नेता को कानूनी मान्यता प्रदान किया गया था और नेता प्रतिपक्ष कैबिनेट मंत्री के समान वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाएं प्राप्त करते हैं। नेता प्रतिपक्ष का उल्लेख संविधान में नहीं है, बल्कि संसदीय संबिधि(संसदीय विधि) में है। भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में विपक्ष का नेता निर्णय लेने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेता है ।वह संसदीय कार्यों के संचालन में सहयोगी की भूमिका को संचालित करता है। नेता प्रतिपक्ष का पद गौरव का पद है और वह अपने कार्य शैली, अनुशासित व्यवहार और संसदीय मर्यादाओं के सम्मान के कारण उसका उपादेयता संसदीय शासन प्रणाली में होता है । लोकतंत्र में निर्वाचित सरकार द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के द्वारा सरकार को जवाबदेह और उत्तरदाई बनाता है।
नेता प्रतिपक्ष के कई कार्य हैं ।अध्यक्ष की बैठकों के दौरान सदन की गरिमा को बनाए रखना, नीतियों , कार्यों और विधेयकों की प्रस्तुति पर पर चर्चा करना। इसके सहयोगी कार्य से सरकार को वैकल्पिक नीतियां प्रस्तुत करने में सहयोग मिलती है। संसद की कार्यवाही ,जवाब देही और संसदीय आचरण के प्रति निष्ठा और आस्था को अधिक मजबूत करता है। विपक्ष का नेता संसदीय कार्यवाही में सहयोग करके लोकतंत्र के मूल्य ,संसदीय परंपरा की मजबूती और संसदीय शासन प्रणाली को मजबूती प्रदान करता है।
विपक्ष का नेता सरकार से प्रश्न पूछ कर सरकार को जनता के प्रति जिम्मेदार और जवाबदेह बनाता है । देश की जनता के सर्वोत्तम हितों को मजबूत करने में विपक्ष की भूमिका सर्वोपरी है। विपक्ष संसद एवं संसदीय समितियों के भीतर और संसद के बाहर मीडिया में सरकार के दिन प्रतिदिन के कामकाज पर प्रतिक्रिया करता है। इससे जनमत निर्माण में सहयोग मिलता है।
सरकार के पास वैधिक शक्ति होती है लेकिन विपक्ष भी जनता के द्वारा निर्वाचित होता है। विपक्ष भी भारत के लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व कर रहा है। 18वी लोकसभा के निर्वाचन से विपक्ष ने अपने अभीष्ट संख्या को निर्वाचन के द्वारा प्राप्त किया है। विपक्ष संसद को गतिशील रहने में मदद करता है। मजबूत विपक्ष भारत के लोगों का सबल प्रतिनिधित्व करता है।
नेता प्रतिपक्ष शैडो प्रधानमंत्री होता है ।संपूर्ण विपक्ष का प्रतिनिधित्व करता है बल्कि आवश्यक नियुक्तियों में प्रधानमंत्री के साथ बैठता है। नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी प्रमुख होती है। सभी विपक्षी दलों का प्रतिनिधित्व करते हैं और साथ ही उनके पास अपनी शक्ति और विशेषाधिकार होते हैं। ये कई प्रमुख समितियों के महत्वपूर्ण भाग होते हैं ।लोक लेखा समिति (पीएसी),लोक उपक्रम समिति और प्राक्कलन समिति के महत्वपूर्ण भाग होता है ।उनकी महत्वपूर्ण भूमिका संयुक्त संसदीय समितियां (जेपीसी) और चयन समितियां में होता है ।चयन समितियां मुख्य रूप परिवर्तन निदेशालय (ED),केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई),केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीबीसी )केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी), मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य निर्वाचन आयुक्तोंऔर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)