कोहिमा पूर्वोत्तर नागालैंड राज्य की पहाड़ी राजधानी है जो भारत के सात बहन राज्यों में से एक है। यह शहर समुद्र तल से 1500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और भारत के सबसे आकर्षक पर्यटक स्थलों में गिना जाता है। कोहिमा नाम अंग्रेजों द्वारा दिया गया है जबकि इसका मूल नाम केवहिरा है जो इस क्षेत्र में पाए जाने वाले केवी के फूलों से लिया गया है। कोहिमा शुरू में अंगामी नागा जनजातियों द्वारा बसाया गया था जो अपनी तरह का सबसे बड़ा शहर था। यहां अधिकतर नागा अपनी संस्कृति के साथ निवास करते हैं। पहाड़ियों और पन्ना जंगलों के सुरम्य परिदृश्य के साथ कोहिमा ट्रेकिंग, कैंपिंग और हाइकिंग के लिए लिए एकदम उपयुक्त जगह है। अपने पर्यावरण, अछूता सौंदर्य और एडवेंचर एक्टिविटीज के लिए प्रसिद्ध कोहिमा देश विदेश से आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने का जादुई सम्मोहन रखता है। पर्यटकों के लिए कोहिमा और इसके आसपास राज्य संग्राहलय, एम्पोरियम, नागा हेरिटेज कॉम्पलैक्स, कोहिमा गांव, दजुकोउ घाटी, जप्फु चोटी, त्सेमिन्यु, खोनोमा गांव, दज्युलेकी और त्योफेमा टूरिस्ट गांव प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
आप भारत में स्विट्जरलैंड जैसा फील करना चाहते है तो आपको एक बार यहाँ अवश्य आना चाहिये। कोहिमा से 25 किमी दूर दक्षिण में स्थित जापफू और डज़ुकौ पीक महाद्वीप के सबसे लुभावने परिदृश्यों में से एक है। इनकी सुंदर चोटियों को देख कर कह सकते हैं कि नागालैंड को ‘पूर्व का स्विटजरलैंड’ यूं ही नहीं कहा जाता है। जापफू चोटी और डज़ुकौ घाटी 3048 मीटर की ऊंचाई पर खड़ी नागालैंड की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है। धीरे-धीरे लुढ़कने वाली पहाड़ियां, सुंदर फूलों की घाटी, नदी, विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों के साथ हरे भरे दृश्य इतने मनोरम होते हैं कि सैलानी कुदरत के उपहार को देख आवक रह जाते हैं और इसकी सुंदरता में खो कर असीम शांति और प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। इन ऊंची पर्वतीय चोटियों को पूर्व की “फूलों की घाटी” के रूप में भी जाना जाता है जिसमे रोडोडेंड्रोन पेड़ और फूलों की विभिन्न रंग बिरंगी किस्में देखने को मिलती है। इन चोटियों पर पहुंचने के लिए ट्रेकिंग करनी होती है जिस वजह से यह जगह ट्रेकर्स को काफी आकर्षित करती है। ट्रेकिंग करके चोटी पर पहुचने के बाद पर्यटक पहाड़ी के ऊपर बैठकर अपने सामने की घाटियों की सुंदरता और अद्भुत दृश्यों का आनंद ले सकते हैं और फोटोग्राफी करके इस खूबसूरत पलों को कैमरे में कैद कर सकते है। नागालैंड में इस स्थान को ट्रेकर का स्वर्ग कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
नागालैंड की जनजातियों, संस्कृति, परम्पराओं के बारे में जानने की दिलचस्पी रखने वाले सैलानियों को सुझाव होगा कि उन्हें अपनी यात्रा की शुरुआत कोहिमा की बयावी पहाड़ी पर स्थित नागालैंड के राज्य संग्रहालय से करनी चाहिए। यह संग्रहालय राज्य की 16 प्रमुख जनजातियों के बारे में आपको सम्पूर्ण रूप से दर्शन कराने के लिए पूर्ण रूप से समर्थ है। साथ ही इसमें क्षेत्र की विभिन्न जनजातियों से संबंधित कई अनूठी कलाकृतियाँ भी इसमें देखी जा सकती है। संग्रहालय में कबीलों के रूपांकन, रंगीन पारंपरिक कपड़े, बोली, प्रथाओं और परंपराओं, पारंपरिक खेलों को चित्रात्मक रूप में प्रदर्शित किया गया है। साथ ही खाना पकाने में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के बर्तन भी यहां देखने के लिए रखे गए हैं। संग्रहालय में विभिन्न बोलियों, प्रथाओं और परंपराओं का भी वर्णन किया गया है।
स्थानीय नागा जनजातियों और उनकी आजीविका का वर्णन करने वाली कलाकृतियों का एक समृद्ध संग्रह है। लकड़ी के मॉडल और सांस्कृतिक सामान, किमती रत्नों, हाथी दांत एवं मोतियों से बने सुन्दर हार लकड़ी व भैंस सींगों से बने वाद्ययंत्र देखने को मिलते हैं। संग्रहालय में भूतल पर विभिन्न प्रकार के पारंपरिक माल, कपड़े, गहने और शिकार में इस्तेमाल होने वाले उपकरण प्रदर्शित किए गए हैं। पहली मंजिल विभिन्न पारंपरिक कपड़ों का दिग्दर्शन करती है। साथ ही नागा संस्कृति का खूबसूरती से वर्णन इस म्यूजियम को कोहिमा में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहें में से एक बनाती है। यह संग्रहालय न केवल कोहिमा वरन राज्य का मतवपूर्ण पर्यटन स्थल है।
कोहिमा कैथेड्रल चर्च शहर के केंद्र में स्थित आशा और शांति का एक केंद्र है। यह कैथोलिक चर्च न केवल पूर्वोत्तर भारत वरन् एशिया का सबसे बड़ा चर्च है। वास्तुकला में अद्वितीय यह चर्च 25 हजार वर्गमीटर क्षेत्र में विस्तृत है। इसमें एक साथ तीन हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था है। यहां बेथलेहन जैतून की लकड़ी से बनी एक सुन्दर नाद है जिससे चर्च की शोभा बढ़ती है। अपनी बेमिसाल स्थापत्य सुंदरता के लिए जाना जाने वाला यह चर्च वास्तव में एक आश्चर्य है जो दुनिया भर से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
जापानियों ने कोहिमा के युद्ध के बाद इस चर्च को बनाने में योगदान दिया था जिससे वे अपने प्रियजनों की याद में प्रार्थना की जा सके। कोहिमा का यह चर्च आशा और शांति की एक किरण प्रदान करता है, जो कोहिमा का प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल है।
कोहिमा के प्रमुख पर्यटक स्थल तौफेमा गाँव को राज्य पर्यटन विभाग के सहयोग से निर्मित कर गाँव को नागा शैली में बनाया गया है। यह गांव नागालैंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। हरी भरी पहाड़ी के उपर बसा यह गांव अत्यंत आकर्षक है। इस गाँव के निर्माण का उद्देश्य यहाँ आने वाले पर्यटकों को नागा आदिवासी घर में रहने की अनुभूति कराना है। यदि पर्यटक प्राकृतिक सुन्दरता के मध्य रहते हुए आदिवासी घरों में रहने का एहसास करना चाहते है तो तौफेमा गाँव आपके लिए सबसे अच्छी जगह है। पहले से पर्यटक यहां एक झोपड़ी बुक कर सकते हैं और नागालैंड की जीवन शैली और संस्कृति का स्वयं अनुभव कर सकते हैं। कोहिमा की यात्रा पर आने वाले पर्यटकों को वास्तविक आनंद लेने के लिए तौफेमा गाँव की सैर अवश्य करनी चाहिए जो उनकी यात्रा को चिरस्मणीय बना देगा।
कोहिमा के प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में एक पहाड़ी की ढलान पर स्थित जुलोजिकल पार्क है जो लोकप्रिय पिकनिक स्थल भी है। हरी-भरी भूमि में फैले इस चिड़ियाघर में कई सुलभ जीव देखने का अच्छा अवसर मिलता है। खासियत यह है कि यहां जानवरों को स्वतंत्र रूप से घूमते हुए देखा जा सकता है। ट्रागोपैन पक्षी, जंगली भैंस, सुनहरा लंगूर जैसी कई दुर्लभ जीवों के साथ – साथ विभिन्न वनस्पतियों की प्रजातियाँ भी देखने को मिलती हैं। पर्यटक यहां बर्ड वॉचिंग, नेचर ट्रिप, जंगल सफारी, कैंपिंग और ट्रेकिंग जैसी एक्टिविटीज को भी एन्जॉय कर सकते हैं।कोहिमा में सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले पर्यटक स्थानों में से एक है।
हर वर्ग के पर्यटकों खास कर इतिहास प्रेमी पर्यटकों के लिए निश्चित रूप से कोहिमा में युद्ध स्मारक घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। कोहिमा की यात्रा पर हैं तो अपना कुछ समय निकालकर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए उन वीर जवानो को श्रद्धांजलि देने जरूर जाएँ। कोहिमा युद्ध कब्रिस्तान या कोहिमा युद्ध स्मारक उन दस हजार सैनिकों को समर्पित है जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी आक्रमण के दौरान अपना जीवन बलिदान कर दिया था। इस स्मारकका निर्माण हरे-भरे, मैदे के लॉन और और रन बिरंगे फूलों के साथ सन 1944 में किया गया था। यहां बहादुर सैनिकों की याद में 1421 समाधियां बनाई गई हैं जिन्होंने कोहिमा के युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी थी। प्रत्येक समाधि पर कांसे की प्लेट चढ़ी है और उन पर वीर योद्धा की स्मृति में यादगार पंक्तियां लिखी हैं। जिनमें लिखा है, “जब आप घर जाते हैं, तो उन्हें हमें बताएं और कहें कि उनके कल के लिए, हमने अपना आज दिया।”
इसे देखने जिज्ञासा वश सैलानी अवश्य यहां आते हैं।
कोहिमा से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर नागालैंड की पटकाई रेंज के बीचोबीच स्थित शीलोई झील कोहिमा की कुदरती खूबसूरत जगहें में से एक है। वर्डी घाटी से घिरी
पैर के आकार शिलोई झील एक बहुत ही सुरम्य गंतव्य है। झील को लाटसम गांव के लोगों द्वारा बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि माना जाता है कि एक पवित्र बच्चे की आत्मा झील के तल में रहती है। यही एक कारण है कि कोई भी झील के पानी को पीने और सिंचाई के लिए इस्तेमाल नहीं करता है। अपनी खूबसूरती की वजह से यह झील कोहिमा पर्यटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जिसकी खूबसूरती निश्चित तौर पर देखने लायक है। कोहिमा आने वाले सैलानी इस सुरम्य झील को देखने जाते है।
एशिया का सबसे पहला हरा-भरा गांव होने का गौरव प्राप्त , इको-फ्रेंडली प्रणाली को बढ़ावा देने और संरक्षण के लिए शिकार को समाप्त करने और अछूती सुंदरता जैसी विशेषताओं को अपने आंचल में समेटे कोहिमा से 20 किलोमीटर दूर खोनोमा गांव सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है। नागा हेरिटेज विलेज, डोविपी इन और दमंत मकबरा के दर्शनीय स्थलों के साथ – साथ पौधों की करीब 250 प्रजातियां और अनेक जंगली जानवर, स्तनधारी जीव और पक्षी देखने का अवसर मिलता है। खासियत यह है कि यहां के घर आपस में जुड़े हुए हैं। यहां फल और सब्ज़ियों की ढेरों प्रजातियां मिलती हैं और यहां के लोग खेती बहुत अनोखे ढंग से करते है, जिसमें सीढ़ीनुमा खेती भी शामिल है। गांव के सबसे ऊंचे स्थान से धीरे-धीरे ढलान वाली पहाड़ियहाँ, सीढ़ीदार खेत, और प्राकृतिक सुन्द्ता से भरपूर नज़ारे देखने को मिलते हैं जो मन मोह लेते हैं।
नागा हेरिटेज विलेज नागा संस्कृति और परंपराओं के एक खुली हवा वाले संग्रहालय की तरह है। यहाँ उनके रहने का तरीका, जश्न, खाना बनाना, शिकार करना और कई अन्य चीजें देखने को मिलेंगी। यहां हर वर्ष प्रसिद्ध हॉर्नबिल फेस्टिवल मनाया जाता है। नागालैंड प्रशासन की ओर से नागा लोगों की तत्कालीन जनजातीय संस्कृति को पुनर्जीवित और संरक्षित करने के प्रयास के तहत पारंपरिक नागा गांवों और आदिवासी आजीविका और मूल्यों की नकल करने के लिए इस गांव का निर्माण किया है। नागा लोगो की जीवन शैली को महसूस करने के ख्वाइश मंद पर्यटक नागा हेरिटेज विलेज अथवा किसमा हेरिटेज विलेज देखने अवश्य आते हैं।
कोहिमा में बोटनिकल गार्डन भी अपनी तरह का पहला आकर्षण है जो कोहिमा की यात्रा पर आने वाले पर्यटकों काफी आकर्षित करता है। इस गार्डन में फूलों की विभिन्न किस्में देखने को मिलती हैं जो यहां आने वाले सैलानियों को मंत्रमुग्ध करती हैं। यहाँ आने के बाद आप अपने मन को तरोताजा कर सकते हैं, टहल सकते हैं और जलवायु का असीम आनंद उठा सकते हैं।
कोहिमा से 5 किमी की दूरी पर स्थित रूज़फेमा मार्केट एक प्रमुख शॉपिंग डेस्टिनेशन के रूप में लोकप्रिय है । यहां आप तेजी से बढ़ते हस्तशिल्प और कुटीर उद्योग का अनुभव कर सकते हैं। रूज़फेमा मार्केट में विभिन्न विक्रेता रंग-बिरंगे बाजा विविध प्रकार की नागा कलाकृतियाँ बेचते हैं जिन्हें आप यात्रा को यादगार बनाने के लिए खरीद सकते है। अगर आप कोहिमा आये और शोपिंग नही की तो क्या किया। कहा जाता है कोहिमा के बाजारों में खरीददारी के बिना कोहिमा की यात्रा अधूरी रहती है। इसीलिए आप जब कोहिमा की यात्रा पर आयें तो अपनी यात्रा के यादगार बनाने के लिए खरीददरी जरूर करें। रूज़फेमा मार्केट के आसपास कई अच्छे होटल्स भी जिन्हें आप अपनी ठहरने के लिए चयन कर सकते है।
नागा मार्किट
नागा मार्किट को भी कोहिमा के प्रमुख पर्यटक स्थल में से एक माना जाता है। यहां विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ मिलेंगे जो नागा के प्रसिद्ध व्यंजन हैं। यहां आप पाएंगे कि कई महिलाएं पारंपरिक नागा कपड़े पहनती हैं जो हस्तशिल्प, मत्स्य उत्पाद और मुर्गे बेचती हैं।
कोहिमा की यात्रा के दौरान आपको एक से बढ़कर एक लजीज भोजन चखने के लिए मिलेंगे। कोहिमा के स्वादिष्ट भोजन में शामिल एक विशिष्ट नागा भोजन जिसमें एक मांस पकवान, उबले हुए आलू की सब्जी, चावल और चटनी आदि शामिल हैं। इसके अलावा नागाओं को उबले हुए खाद्य जैविक पत्ते बहुत अधिक पसंद हैं। स्थानीय खाने के अलावा कोहिमा कॉन्टिनेंटल और चीनी भोजन के कई विकल्पों को भी बढ़ावा देता है।
केसे पहुंचे
कोहिमा के लिए कोई सीधी फ्लाइट कनेक्टविटी नही है। कोहिमा का निकटतम दीमापुर एयरपोर्ट कोहिमा से लगभग 74 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दूसरा निकटतम हवाई अड्डा 145 किलोमीटर दूर इम्फाल हवाई अड्डा है। दोनों में से किसी भी एयरपोर्ट पर उतरने के बाद, कोहिमा पहुंचने के लिए आप बस अथवा टैक्सी किराए पर ले कोहिमा पहुंच सकते हैं। रेल सेवा, कोहिमा के लिए कोई सीधी रेल कनेक्टविटी भी नहीं है। शहर का निकटतम रेलवे स्टेशन भी दीमापुर है, जो शहर से 74 किमी की दूरी पर स्थित है। इस स्टेशन से गुवाहाटी और कोलकाता की कई नियमित ट्रेनें हैं। कोहिमा पहुंचने के लिए आप दीमापुर से बस अथवा टैक्सी से कोहिमा पहुंच सकते हैं। बस सेवा, कोहिमा अपने आसपास के शहरों से सड़क मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बस के अलावा आप टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या खुद ड्राइव करके भी जा सकते हैं।
डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं अधिस्वीकृत पत्रकार ,कोटा
( राज.)