Wednesday, December 25, 2024
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अभूतपूर्व अच्युत सामंत

अच्युत सामंत एक जाना-पहचाना नाम है। घर-घर में लोग उन्हें प्यार करते हैं क्योंकि जिस इंसान ने मात्र 4 साल की शैशव उम्र में अपने पिता को खो दिया, विधवा मां और 7 भाई-बहनों के साथ पूरी गरीबी में अपना जीवन बिताया, फिर उसने 25 साल की उम्र में कीट एंड कीस जैसी अनोखी शैक्षिक संस्था शुरू की और उसकी गुणवत्ता को दुनिया तक पहुंचने में कामयाब हुआ । अच्युत सामंत की समर्पित जनसेवा की चर्चा कंधमाल लोकसभा संसदीय क्षेत्र के आसपास के लोगों के बीच हो रही है।

प्रख्यात शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और सांसद अच्युत सामंत शिक्षा के माध्यम से गरीबी उन्मूलन के लिए काम कर रहे हैं। अपने काम के कारण, अच्युत सामंत ओडिशा में एक घरेलू प्रियदर्शी नाम है। लगभग 31 वर्षों से वे अपनी निस्वार्थ समाज सेवा के बदौलत देश-विदेश के विभिन्न स्थानों पर सबके चहेते बन गये हैं। वे लगभग एक वर्ष के लिए बीजू जनता दल के राज्यसभा सांसद और 5 वर्ष के लिए कंधमाल संसदीय लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए हैं। वर्तमान लोकसभा आम चुनाव में वे कंधमाल लोकसभा संसदीय क्षेत्र से बीजद सांसद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। आइये जानते हैं उनके बारे में विस्तार से …

प्रश्न: आपने हाल ही में दूसरी बार लोकसभा उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है। शपथ पत्र में आपने बताया है कि आपके पास कोई विशेष संपत्ति नहीं है। 2019 में भी आपने जो हलफनामा दिया था उसमें कोई खास संपत्ति नहीं थी। क्या आपकी संपत्ति  बढ़ नहीं रही है?
उत्तर: वास्तव में, मैंने शपथ पत्र में जो बताया है वह बिल्कुल सच है। दो वैश्विक संस्थानों,कीट-कीस के अलावा और भी कई संस्थान मेरे द्वारा स्थापित किये गये हैं, लेकिन आज तक मेरे नाम पर कोई जमीन, घर, सोना या एक भी कार आदि नहीं है। मेरी मृत्यु तक कोई भी उपरोक्त संपत्ति मेरे नाम नहीं कर सकेगा।

प्रश्न: आपने घर, जमीन, सोना या कोई संपत्ति अपने नाम क्यों नहीं किया?
उत्तर: शुरू से ही मैंने खुद को सरल, शुद्ध, ईमानदार , सत्यनिष्ठ और पूरी तरह से निष्ठावान बनाया है। ये भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद से ही संभव हो पाया है। भौतिकवादी संसार का लोभ, वासना, माया और मोह मुझे छू नहीं सकती। इसलिए मैं जगन्नाथ का आभारी हूँ। मैं किराये के मकान में अकेला रहता हूँ। मेरी ज़रूरतें काफी कम हैं।

प्रश्न: फिर आप कैसे सब-कुछ करते हैं?
उत्तर: मेरी दिनचर्या बहुत सरल है। आपको शायद यकीन न हो। पिछले 31 वर्षों से मैं एक किराये के घर में रह रहा हूँ जिसमें कभी रसोई नहीं हुई है। 1992 से 2008 तक मैं हमेशा स्वर्गीय प्रद्युम बल के घर पर दोपहर का भोजन करता था। मैं इतने सालों से अपनी मामी शाश्वती बाल के हाथ का बना खाना खा रहा हूँ। 2009 से, मेरी छोटी बहन इति के घर पर मां स्थायी रूप से रह रही थी, इसलिए मैं हर दिन इति के घर पर दोपहर का भोजन और रात का खाना खाता हूं। अधिकांश दिन मैं मठ, मंदिर जाता हूँ जहाँ मुझे कुछ धार्मिक भोजन मिलता है और मैं अपना काम-काज चलाता हूँ। इस प्रकार मेरा जीवन जीने का तरीका बहुत सरल है। आरामदायक जीवन क्या होता है, यह मैंने नहीं जाना या अनुभव नहीं किया।

प्रश्न: आपने अपने लिए कुछ नहीं किया, क्या अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर कुछ नहीं किया?
उत्तर: मेरे छह और भाई-बहन हैं। सचमुच वे सब इतने अच्छे हैं कि उन्होंने मुझसे कभी कोई आशा नहीं की; न ही मैंने उन्हें कुछ दिया है। यदि आप दूसरों से पूछें तो आप समझ सकते हैं कि मेरी तीन बहनें जो मलकानगिरी, बालेश्वर और केंदुझर में रहती हैं, बहुत निम्न मध्यम वर्ग से भी नीचे की स्थिति में जी रही हैं। मेरे दो भाई भी नौकरी करते हैं। बड़ी बात यह है कि मेरे द्वारा स्थापित इन दोनों संस्थानों में मेरे परिवार का कोई भी सदस्य कार्यरत नहीं है। यहां तक कि मेरे दो भाइयों के दो बेटे और बेटियां भी अन्य कंपनियों में छोटे कर्मचारी के रूप में काम कर रहे हैं।

प्रश्न: आप जो चाहते थे वह कर सकते थे। कुछ भी नहीं किया गया है।
उत्तर: मेरे पिता बहुत गरीब थे। मैं बहुत गरीब पृष्ठभूमि से आता हूं। अगर मैंने अपने द्वारा स्थापित संस्था से पैसा लेकर राज्य में और राज्य के बाहर संपत्ति बनाई होती तो मेरी अंतरात्मा को यह मंजूर नहीं होता। लेकिन आज मैंने उस पैसे से 80 हजार आदिवासी बच्चों को नेक, जिम्मेदार और चरित्रवान इंसान बनाया है। यह मेरी संपत्ति है। लोगों का प्यार ही मेरा खजाना है। मुझे और क्या संपत्ति चाहिए?

प्रश्न: क्या कोई अन्य संपत्ति है जिसके बारे में आप उत्साहित हैं?
उत्तर: मेरी सबसे बड़ी संपत्ति पूरे देश के लोगों का प्यार है, आत्मीयता है। मेरी सबसे बड़ी संपत्ति सरल, शुद्ध, परोपकारी और परोपकारी मेरी संवेदनशील भावना है, जो जगन्नाथ ने मुझे प्रदान की है। यह मुझे और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है।

प्रश्न: कार्तिक पांडियन ने हाल ही में एक बैठक में आपकी सेवा भावना की काफी सराहना की।
उत्तर: हाँ। दरअसल कार्तिक पांडियन ने मेरे दिल की बात कही। मैं 31 साल से समाज सेवा कर रहा हूं। अब जब मैं सांसद बन गया हूं तो मैंने समाज सेवा को और व्यापक बना दिया है। भले ही मैं पिछले 6 साल तक राज्यसभा और लोकसभा में सांसद रहा, लेकिन कोई यह नहीं कह सकता कि मैंने किसी से कोई एक चॉकलेट या पैसा लिया हो। मैंने आज तक किसी से कोई अनैतिक सामग्री स्वीकार नहीं की है और जीवनभर जानबूझ कर किसी से स्वीकार नहीं करूंगा।

प्रश्न: आपने अपने जीवन में कौन -सी संपत्ति अर्जित की है?
उत्तर: मैं केवल गरीबों, लाचारों, उपेक्षित मरहूम और भूखे लोगों को खुले हृदय और मन से निस्वार्थ दान देता हूं और अपने संस्थान की भलाई और आध्यात्मिक तरीके से लोगों की भलाई के लिए भगवत कर्म करता हूं। मैं पिछले 31 वर्षों से समाज और लोगों के लिए प्रतिदिन 18-18 घंटे काम कर रहा हूं। मेरे मन में उस काम के प्रति बहुत सम्मान है। सिर्फ मुझे ही नहीं, बल्कि जो भी इस तरह काम करेगा, उसे भी आदर और सम्मान दिया जाएगा।

जाने माने शायर राजेश रेड्डी का ये शेर अच्युत सामंत पर एकदम सटीक बैठता है….
आप इन हाथों की चाहें तो तलाशी ले लें
मेरे हाथों में लकीरों के सिवा कुछ भी नहीं

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