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भारत में एडटेकः  तेजी, मंदी या फिर बुलबुला?

सृष्टि जयभाये – अनिर्बन शर्मा

ऐसा लगता है कि 2020 से लेकर 2023 के दौरान, भारत के एडटेक सेक्टर का अनुभव एक बुलबुले के फूट जाने की सटीक मिसाल है। लेकिन अभी भी उम्मीदें बाक़ी हैं और ऐसे कई अवसर हैं, जिनका लाभ उठाया जा सकता है।

जब दुनिया 2024 का अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस मना रही है, तो ये देखना वाजिब होगा कि भारत में शिक्षा तकनीक (Edtech) के सेक्टर का प्रदर्शन कैसा रहा है। अभी दो साल पहले यानी 2021 तक भारत के एडटेक सेक्टर की संभावनाओं को देखते हुए इसे ‘एडटेक कैपिटल ऑफ दि वर्ल्ड’ के तौर पर पेश किया जा रहा था। हालांकि, उसके बाद इस सेक्टर में काफ़ी गिरावट देखी जा रही है और निवेशकों और इस क्षेत्र की कंपनियों के बीच जो उम्मीदें परवान चढ़ रही थीं, वो धूमिल पड़ गई हैं।

कोविड-19 महामारी जब शिखर पर थी, तो पूरे देश में एडटेक सेक्टर में भारी उछाल आया था। क्योंकि लॉकडाउन की वजह से बंद शिक्षण संस्थान और छात्र पढ़ाने और सीखने में खलल पड़ने से बचने की कोशिश कर रहे थे।

कोविड-19 महामारी जब शिखर पर थी, तो पूरे देश में एडटेक सेक्टर में भारी उछाल आया था। क्योंकि लॉकडाउन की वजह से बंद शिक्षण संस्थान और छात्र पढ़ाने और सीखने में खलल पड़ने से बचने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, 2022 से इस सेक्टर में चिंताजनक गिरावट देखी जा रही है। इस सेक्टर के बाज़ार में कंपनियों की भरमार है। देश में एडटेक की लगभग 4,500 स्टार्ट-अप हैं। मतलब ये कि सबके लिए फंड जुटाना मुश्किल है और नए ग्राहक जोड़ने की राह भी चुनौती भरी है। भयंकर मुक़ाबले की वजह से एडटेक कंपनियां अपनी लागत में कटौती और बड़े पैमाने पर छंटनी कर रही हैं। ऐसे में बड़े उम्मीदें जगाने वाले इस क्रांतिकारी उद्योग पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मगर, सवाल ये है कि क्या ये चलन एडटेक सेक्टर में आए ज़बरदस्त उछाल के ख़ात्मे की निशानी हैं और अब ये सेक्टर हमेशा के लिए बर्बाद होने जा रहा है? या फिर, अभी इसका बुलबुला फूटा है और इसके बाद का दौर हमें चौंका सकता है।

ज़बरदस्त उछाल?
भारत में एडटेक सेक्टर कोविड-19 महामारी के पहले से ही उभर रहा था। 2014 से 2020 के दौरान इस सेक्टर की स्टार्ट-अप कंपनियों ने 1.32 अरब डॉलर का निवेश जुटाया था। महामारी, इस सेक्टर के लिए निर्णायक मोड़ साबित हुई। रातों-रात ई-लर्निंग की सेवाओं की मांग में आए भयंकर उछाल के चलते, एडटेक सेक्टर ने सिर्फ़ 2020 में ही 1.88 अरब डॉलर का निवेश जुटाया था, और इस तरह एडटेक सेक्टर ने पिछले पांच वर्षों में जुटाए गए निवेश के रिकॉर्ड को एक साल में ही तोड़ दिया था।

जब भारत ने कोरोना वायरस से बचने के लिए लॉकडाउन लगाया, तो भारत के स्कूलों और उच्च शिक्षण संस्थानों के क़रीब 32 करोड़ छात्र और टीचर 2020 से 2021 के ज़्यादातर समय में अपने घरों में क़ैद हो गए थे। इसकी वजह से बहुत बड़े स्तर पर लोगों ने तकनीक की सहायता से सीखने के तरीक़े अपनाए। ऑनलाइन क्लास, ई-लर्निंग के सॉफ्टवेयर, वर्चुअल ट्यूटोरियल, कोर्स का काम पूरा करने के लिए नए नए औज़ार और खुले सहयोगी शिक्षण मंचों, डिजिटल लाइब्रेरियों और ई-कंटेंट के नए नए बनाए गए भंडार का इस्तेमाल, शहरी भारत के एक बड़े हिस्से में आम बात हो गई। पेशेवर ऑनलाइन कक्षाओं से छात्रों के जुड़ने में भी ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हुआ। मिसाल के तौर पर यूडेमी में कोर्स के लिए साइनअप करने वालों की तादाद तीन गुना बढ़ गई, क्योंकि लोग इस मंच का इस्तेमाल ख़ुद को व्यस्त रखने और नए कौशल सीखने के लिए कर रहे थे। जब साल 2020 का अंत हो रहा था, तब यूडेमी के बिज़नेस के बुनियादी कोर्स, वित्तीय विश्लेषण और पेशेवर कम्युनिकेशन के कोर्सों में लोगों के शामिल होने में 606 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो गई थी।

2021 का साल आते आते भारत में एडटेक सेक्टर की प्रगति की रफ़्तार ज़बरदस्त तेज़ी में थी। अमेरिका के बाद भारत, बड़े निर्णायक ढंग से एडटेक का दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार बनकर उभरा था।

2021 का साल आते आते भारत में एडटेक सेक्टर की प्रगति की रफ़्तार ज़बरदस्त तेज़ी में थी। अमेरिका के बाद भारत, बड़े निर्णायक ढंग से एडटेक का दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार बनकर उभरा था। भारत में एडटेक सेक्टर, स्टार्ट-अप में निवेश का एक बड़ा क्षेत्र था। सिर्फ़ 2021 में इस सेक्टर की स्टार्ट-अप कंपनियों में 4.73 अरब डॉलर का निवेश आया था। घरेलू स्तर पर मिली कामयाबी से उत्साहित होकर भारतीय कंपनियों ने वैश्विक बाज़ारों में भी पांव फैलाने शुरू कर दिए। इसके लिए उन्होंने अक्सर दूसरी कंपनियों को ख़रीदकर उनका बाज़ार हासिल करने का तरीक़ा अपनाया। बायजूस (BYJU’S), स्कालर अकादमी, एमेरिटस और सिंपलीलर्न जैसी बड़ी कंपनियों ने अपना बाज़ार मुख्य रूप से अमेरिका में बनाया और इन कंपनियों ने दक्षिणी पूर्वी एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका में भी अपना कारोबार बढ़ाया।

2022 में भारत के एडटेक सेक्टर की क़िस्मत पलट गई। जब स्कूल खुल गए और पूरी तरह ऑनलाइन पढ़ाई के बजाय हाइब्रिड और पारंपरिक तरीक़े से पढ़ाई दोबारा शुरू हो गई, तो इस सेक्टर को तगड़ा झटका लगा। इसके अलावा, उछाल वाले वर्षों में इस सेक्टर में बड़ी तादाद में छोटी बड़ी कंपनियां आ गई थीं, और सबकी सब लगातार घटते ग्राहकों को अपने साथ जोड़ने के लिए होड़ लगा रही थीं। बाज़ार में हिस्सेदारी की इस निरंतर होड़ से क़ीमतों और मुनाफ़ों में गिरावट आई, जिससे निवेशकों का उत्साह भी कम होने लगा।

एडटेक की स्टार्ट-अप कंपनियों के लिए फंड 2022 में घटकर 2.6 अरब डॉलर हो गया और फिर 2023 में भारी गिरावट के साथ ये रकम 29.93 करोड़ डॉलर पर सिमट गई। ‘लागत का अधिकतम इस्तेमाल करने के क़दमों’ और छंटनी ने इस सेक्टर को चोटिल कर दिया। 2022 में एडटेक कंपनियों के 14,000 से ज़्यादा कर्मचारियों की नौकरी चली गई। इनमें से आधे से अधिक छंटनी तो BYJU’S, वेदांतु और अनएकेडमी ने मिलकर की; अगले साल छंटनी किए गए कर्मचारियों की संख्या और भी बढ़ गई। ऐसा लगा कि इस सेक्टर की मांग ही बिल्कुल ख़त्म हो गई है और अब इसके बहाल होने की कोई उम्मीद नहीं नज़र आ रही।

साभार- https://www.orfonline.org/hindi