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टीआरपी के ढर्रे में जल्दी ही बदलाव आएगाः पुनीत गोयनका

बीएआरसी (Broadcast Audience Research Council) के अध्यक्ष और आईबीएफ  बोर्ड के उपाध्यक्ष श्री पुनीत गोयनका का कहना है कि ट्रांसपेरेंट गर्वनेंस और व्यापक रेटिंग सिस्टम के लिए सारी तैयारियां हो चुकी हैं। उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश..
 
बीएआरसी के लागू होने के बाद टेलिविजन के दर्शकों के मूल्यांकन और टेलिविजन इंडस्ट्री में क्या फर्क आने वाला है?
 
जैसा कि आप जानते हैं कि मौजूदा सिस्टम में कुछ दर्शकों को ही कवर किया जाता है। इस समय सिर्फ छह करोड़ घरों को कवर किया जाता है जबकि बीएआरसी के बाद पहले चरण में ही 15 करोड़ 30 लाख घरों को कवर किया जा सकेगा। तो इससे टीवी व्यूअरशिप के मौजूदा बेस के करीब ढाई गुना बढने की संभावना है।
 
आपको क्या लगता है, बीएआरसी के आने के बाद प्रोग्रामिंग में भी बदलाव होंगे क्योंकि यह अलग तरह से दर्शकों का मूल्यांकन करेगा।
 
ऐसा कहना तो मुश्किल है क्योंकि अभी हम यह नहीं कह सकते कि क्या निकलकर सामने आएगा। लेकिन इससे उन जॉनर्स को महत्व मिलेगा जिन पर अभी किसी का ध्यान नहीं है। इससे ग्रामीण या टियर 2, टियर 3 शहरों को भी कवर किया जा सकेगा और ऐसे कंटेंट की जरूरत पड़ेगी, जिसे अभी क्रिएट ही नहीं किया जाता।
 
बीएआरसी के रास्ते में आने वाली अड़चनें कौन सी हैं? लोग उसे पूरी तरह अपनाएं, इसके लिए क्या बदलाव करने की जरूरत है?
 
यह हमारी इंडस्ट्री की तरफ से की गई पहल है और हम सभी इसका हिस्सा हैं। इसे लागू करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। हमारी इंडस्ट्री इसका स्वागत करेगी और मुझे यकीन है कि ज्यादातर लोग इसका इंतजार कर रहे हैं।
 
आपने कहा कि यह इंडस्ट्री की तरफ से की गई पहल है और हम सब इसके हिस्सेदार हैं। तो क्या आप इससे पारदर्शिता और गर्वनेंस की उम्मीद करते हैं?
 
यह बोर्ड के नेतृत्व वाला संगठन है और बोर्ड इंडस्ट्री की तीन संस्थाओं- भारतीय ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन, ऐडर्वटाइजिंग एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया और इंडियन सोसाइटी ऑफ ऐडर्वटाइजर्स का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा इसकी टेक्निकल कमिटी TechCom की अध्यक्षता शशि सिन्हा कर रहे हैं। IBF से पारितोष जोशी हैं और ISA से, HUL की स्मिता भोंसले हैं। गर्वनेंस का बेसिक प्रिंसिपल यह है कि TechCom में तीनों हिस्सेदारों की सर्वसम्मति होनी चाहिए और किसी भी फैसले को रद्द करने के लिए 75% की सहमति जरूरी है। कोई भी संगठन या हिस्सेदार अपने हिसाब से फैसला नहीं कर सकता। इसे इसी तरह से गठित किया गया है कि यह एक स्वतंत्र संगठन बन सके।
 
बीएआरसी की पूरी प्रक्रिया के प्रि-ऑडिट और पोस्ट-ऑडिट के लिए हमने इ वाय को एंगेज किया है जोकि विश्व स्तर की व्यूअरशिप एजेंसियों का ऑडिट करती है। यूएस की एक टीम भारत आकर ऑडिट का काम करेगी। इसलिए रेटिंग के पब्लिश होने से पहले ही हम ऑडिट रिपोर्ट पेश कर देंगे। इसकी सभी कार्रवाई पूरी तरह से पारदर्शी होगी।
 
बीएआरसी मौजूदा सिस्टम से किस तरह अलग होगा?
 
सबसे पहली बात तो यह है कि बीएआरसी बड़ी संख्या में मार्केंट्स को कवर करेगा, इसमें देश के बाहर के मार्केट्स को भी कवर किया जाएगा। दूसरी बात यह कि इसके पहले चरण में ही, सैंपल साइज भी दोगुने से ज्यादा होगा। आगे हम इससे भी ज्यादा की उम्मीद करते हैं। मौजूदा सिस्टम से कम गलतियों की गुंजाइश भी है।
 
हमें पता चला है कि आईबीएफ  ने अपने सदस्यों से बीएआरसी को लागू करने को कहा है…
 
हां,  आईबीएफ  ने अपने सदस्यों से ऐसा कहा है। हम बहुत जल्दी डेटा देने लगेंगे। बीएआरसी को लागू करने के लिए हमें सभी सदस्यों का सहयोग चाहिए।
 
प्राइजिंग फ्रंट से कुछ चिंताएं जताई जा रही हैं। सुना है कि बीएआरसी मौजूदा रेटिंग सिस्टम से कुछ महंगा है…
 
हां, कुछ महंगा तो होगा। अगर कोई सिस्टम विश्व को कवर करेगा और उसका सैंपल साइज बड़ा होगा, तो वह थोड़ा महंगा भी होगा। आपको इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि किसी हिस्सेदार ने कैश नहीं लगाया है, गारंटी दी है। यस बैंक  ने पूरा सेटअप लगाने के लिए हमारी मदद की है। इससे सिस्टम कुछ महंगा तो होगा। लेकिन इसके कामयाब होने पर यह एक विश्वसनीय मॉडल बनेगा।
 
वैसे हमारा प्राइजिंग मैकेनिज्म भी पारदर्शी है। हमारी वेबसाइट पर इसे पब्लिश किया जाएगा। मौजूदा सिस्टम नेगोसिएशन वाला सिस्टम है। हम किसी एक प्राइज पर नेगोशिएट कर सकते हैं तो दूसरा किसी दूसरे पर। लेकिन बीएआरसी में एक ही प्राइज है। यह पारदर्शी है और हर कोई एक फॉर्मूले पर पे करेगा।
 
इस संगठन के चेयरमैन के तौर पर मैं सभी हिस्सेदारों का शुक्रिया अदा करता हूं कि उन्होंने इस पहल को समर्थन दिया। बेशक, हम इस सुरंग के आखिर में खड़े हैं और हमें रोशनी साफ नजर आ रही है।
 
साभार- समाचार4मीडिया से 

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