रविवार 7 जनवरी 2024 को मृणालताई हॉल, केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट, गोरेगाँव में ‘चित्रनगरी संवाद मंच मुंबई’ के आयोजन में लेखक असग़र वज़ाहत के नाटक ‘महाबली’ का मंचन सुप्रसिद्ध रंगकर्मी विजय कुमार के निर्देशन में संपन्न हुआ।
असगर वजाहत एक जनधर्मी नाटककार हैं। उनके नाटक सामाजिक सरोकारों की कथावस्तु को एक ऐसा ज्वलंत और रोचक स्वरूप देते हैं जो दर्शकों को लगातार बांधे रखता है। साथ ही मानवीय समस्याएँ और मानव सम्बन्धों की गहन पड़ताल भी उनके नाटकों की विशेषता है। सन् 2019 में प्रकाशित ‘महाबली’ असग़र वजाहत का पूर्णकालिक नाटक है। जिसमें उन्होंने भारतीय इतिहास के दो महान समकालीन चरित्र सम्राट अकबर और तुलसीदास को अपनी कल्पना के केंद्र में रखकर रचना की है।
इतिहास में इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि अकबर और तुलसीदास की कभी भेंट हुई थी। लेकिन राजसता और कला के परस्पर संबंधों पर विस्तृत चर्चा करने के लिए नाटककार ने काल्पनिक ढंग से दोनों की भेंट कराई है। जहाँ एक ओर गोस्वामी तुलसीदास बनारस के घाट पर बैठकर अपना सम्पूर्ण समय ध्यान, भक्ति और साहित्य में लगाते थे, वहीं मुगल सल्तनत के बादशाह सम्राट अकबर चाहते थे कि गोस्वामी तुलसीदास सीकरी आकर उनके दरबार की शोभा बढ़ायें।
अकबर ठहरे महाबली जिसे चाहे आदेश दे सकते थे और उनके आदेशों का पालन करना प्रजा का कर्तव्य था। किन्तु तुलसीदास सम्राट अकबर के अनुरोध को मानने से इनकार कर देते हैं। राजसता और कलाकार की स्वाधीनता का द्वंद ही इस नाटक का मुख्य विषय है। ‘महाबली’ सम्राट अकबर का प्रिय सम्बोधन था लेकिन जब गोस्वामी तुलसीदास अकबर का कहना मानने से इनकार करते हैं तब उनके महाबली सम्बोधन पर प्रश्नचिह्न लग जाता है।
दिल्ली से पधारे एन एस डी के पूर्व डायरेक्टर देवेंद्र अंकुर, असग़र वज़ाहत, रेहाना वज़ाहत, नाटककार एवं मीडियाकर्मी विजय पंडित, कथाकार मनहर चौहान, लखनऊ से पधारीं लेखिका मृदुला पंडित, रंगकर्मी अशोक शर्मा, शाइस्ता ख़ान और कवयित्री रीमा राय सिंह ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
साभार-https://www.facebook.com/csmanchs