Sunday, December 29, 2024
spot_img
Homeजियो तो ऐसे जियोडॉ.गीता सक्सेना ने विशिष्ट गद्य में भी पद्यात्मक शैली के लिए बनाई...

डॉ.गीता सक्सेना ने विशिष्ट गद्य में भी पद्यात्मक शैली के लिए बनाई पहचान

संवेदनशील एवं सामाजिक सरोकार की साहित्यकार डॉ. गीता सक्सेना अपनी विशिष्ट गद्य में भी पद्यात्मक शैली के लिए जानी जाती हैं। आपने अपने जीवन के 25 साल कोटा में व्यतीत कर हाड़ोती के साहित्य को न केवल समृद्ध किया वरन अंचल के साहित्यकारों के रचनाकर्म को वैश्विक फलक पर स्थापित करने का प्रण के साथ उनके रचनाकर्म को विशेष सम्मान देते हुए उन पर शोध कार्य कराएँ हैं। साहित्य के क्षेत्र में उनकी इस अति महत्वपूर्ण उपलब्धि के अंतर्गत अंचल के प्रसिद्ध कथाकार एवं समीक्षक विजय जोशी पर शोध कार्य पूर्ण हो चुका है। साथ ही अंचल के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नरेन्द्रनाथ चतुर्वेदी, कथाकार डॉ. क्षमा चतुर्वेदी, कवि जितेन्द्र निर्मोही और श्रीमती अन्नपूर्णा श्रीवास्तव के साहित्य तथा हाड़ौती अंचल के बाल साहित्य पर भी आपके निर्देशन में शोध कार्य हो रहा है।

डॉ.गीता ने कथाकार विजय जोशी के प्रारंभिक दौर में न केवल उनका कथा कर्म सामने लाने की कोशिश की अपितु उन्होंने उन पर शोध में भी सहयोग किया है। इनके निर्देशन में शोधार्थी धनराज मीणा ने “जितेन्द्र निर्मोही के साहित्य में सामाजिक चेतना” विषय पर शोध किया है। वो केरियर प्वाइंट यूनिवर्सिटी कोटा में हिंदी की गाइड भी रही है। वरिष्ठ साहित्यकार जितेन्द्र निर्मोही का कहना है डॉ. गीता सक्सेना का सृजन एक मौन साहित्य सेवा जैसा है । वे लौकिक दिखावे से बहुत दूर है। हाड़ौती अंचल के साहित्यकारों पर उनका शोध कार्य करवाया जाना एक विशिष्ट उपलब्धि है। उन्होंने लीक से हटकर शोध कार्य करवायें है। उनमें से एक ” हाड़ौती अंचल का बाल साहित्य” प्रमुख उपलब्धि परक है ‌।

आपको साहित्यिक प्रेरणा कैसे मिली और इस क्षेत्र में कैसे प्रवेश किया इस पर वे बताती हैं कि माता-पिता द्वारा प्रदत्त आशीष ,भाई-बहनों के स्नेहिल परिवेश, श्वसुरालय के सौम्य वातावरण तथा मृगतनया के आत्मिक मृदुल व्यवहार तथा सुधिजनों के मार्ग दर्शन ने साहित्य सृजन में प्रेरणात्मक योग दिया। डॉ विश्वम्भर उपाध्याय की प्रेरणा से ही कोटा में सर्वप्रथम समीक्षात्मक प्रस्तुति हेतु 1996 में ‘खामोश गलियारे’ कहानी संग्रह पर पत्रवाचन का अवसर मिला। इसके बाद यह सिलसिला सतत् चल रहा है।

साहित्यिक अवदान के विषय में इन्होंने बताया कि अब तक इनकी तीन कृति प्रकाशित हो चुकी हैं और एक प्रकाशनाधीन है। प्रकाशित कृतियों में “समकालीन हिन्दी कविता और रघुवीर सहाय”, “विजय जोशी के कथा साहित्य का शैल्पिक सौन्दर्य” और “अद्भुत अहसास” कहानी संग्रह शामिल हैं। कहानी संग्रह का प्रकाशन राजस्थान साहित्य अकादमी के सहयोग से किया गया है। आपकी एक अन्य कृति “श्रीकांत वर्मा का व्यक्तित्व एवं कृतित्व” विषय पर प्रकाशनाधीन है। आपकी कहानी एवं वार्ताओं का प्रसारण समय – समय पर आकाशवाणी केंद्र कोटा से किया जाता रहा है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी कविताएँ, लेख एवं कहानियाँ प्रकाशित होती हैं।

आपने ‘रघुवीर सहाय का जीवन दर्शन मूल्य और मान्यताएँ’, ’हाडौती में गीता का पद्यानुवाद ‘,समीक्षात्मक लेख, ’ख़ामोश गलियारे ‘ ‘विजय जोशी की कथा कृति पर, ’दर्शन -अदर्शन ‘वैद्य कृष्ण मोहन मंजुल की कृति पर , ‘दयाकृष्ण विजय की काव्य चेतना’ विषय पर , ”कन्हैयालाल सेठिया के काव्य में राष्ट्रीय चेतना के स्वर’,विषय पर, ’कुहासे में लिपटा भविष्य ‘,ईश्वर चन्द्र सक्सेना की कृति पर,’आज की हिन्दी कविताः वैश्वीकरण के सन्दर्भ में’ ‘ साहित्य,इतिहास,कला और जीवन सौन्दर्य का अद्भुत संगमः वयं रक्षाम ‘आचार्य चतुरसेन शास्त्री के सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यास से सन्दर्भित , ‘‘ह्यूमैन राइट्सः कंसेप्ट ,चैलेंजेज् एण्ड एन्फॉर्समेंट मैकेनिज्म’ ‘महिलाओं की उन्नति में बाधक यौन उत्पीडन ‘, प्रो.प्रदीप शर्मा की आलोच्य कृति ‘सूफ़ी दर्शन ‘:एक सहज एवं ग्राह्य विश्लेषण ‘, ”धर्म निरपेक्षता और समान नागरिक संहिता’, ’व्यक्तित्व को निखारती है सहनशीलता ‘, ’अन्तर्राष्ट्रीय फलक पर उडान भरती हिन्दी’, ’मानवीय संवेदनाओं के खुरदुरे यथार्थ से साक्षात्कार कराता कथाओं का उष्णीय दस्तावेज ‘बड़े साहब ‘, डॉ.औंकारनाथ चतुर्वेदी की कृति ‘ व्यंग्य शतकम् ‘, आदि विषयों पर न केवल समीक्षा और शोधपरक लेख लिखे वरन विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं।

आपकी हिन्दी साहित्य के प्रति निष्काम सेवा व अतुलनीय योगदान के लिए अनेकानेक साहित्य संगठनों और सामाजिक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मानित किया जाता रहा है। साहित्य मंडल श्रीनाथद्वारा,नाथद्वारा द्वार ‘हिन्दी साहित्य विभूषण – 2023, अखिल भारतीय साहित्य परिषद्,राजस्थान जयपुर द्वारा 1919 में ‘साहित्यकार सम्मान ,अखिल भारतीय साहित्य परिषद् ‘,राजस्थान उदयपुर द्वारा ‘नारी साहित्यकार सम्मान’ साहित्य सम्मेलन प्रयाग, इलाहबाद (उत्तर प्रदेश) द्वारा ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग सम्मान’ जैसे प्रमुख सम्मान सहित भारतेन्दु समिति,कोटा द्वारा ‘ साहित्य श्री सम्मान’,जुपीटर संस्थान,कोटा द्वारा ’राष्ट्रीय गौरव सम्मान और कला भारती संस्थान,कोटा द्वारा ’कला भारती सम्मान’ से नवाजा गया है। मणिपाल विश्वविद्यालय जयपुर द्वारा भी 2018 में आपको सम्मानित किया गया।

परिचय :
साहित्य के क्षेत्र में अपनी विशिष्ठ पहचान बनाने वाली डॉ.गीता सक्सेना का जन्म राजस्थान की गुलाबी नगरी जयपुर में 22फरवरी 1964 को पिता स्व. श्री वीरेन्द्र नाथ सक्सेना और माता श्रीमती मिथिलेश कुमारी सक्सेना के आंगन में एक मध्यवर्गीय में हुआ । आपने शिक्षा का प्रारंभिक शिक्षा नगरीय परिवेश में, तत्पश्चात् गाँवों,क़स्बों में प्राप्त कर पुनः उच्च शिक्षा जयपुर शहर के प्रतिष्ठित महाविद्यालय महारानी कॉलेज से बी.ए. एवं राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर एम.फ़िल. हिन्दी विषय से सन् 1985 में प्राप्त की। आपने डॉ. विश्वम्भर नाथ उपाध्याय के निर्देशन में ‘समकालीन हिन्दी कविता और रघुवीर सहाय ‘ विषय पर विद्या वाचस्पति की उपाधि 1993 में प्राप्त की । सन् 2003 में पत्रकारिता एवं जनसंचार में वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा राजस्थान से स्नातक उपाधि प्राप्त की। आपने 1992 से 2017 तक कोटा शहर के शिक्षण संस्थान ‘सेठ रामजीदास मोदी महिला महाविद्यालय ‘ में क्रमशः प्राध्यापक , उपाचार्य तथा प्राचार्य के पद पर कार्य किया तत्पश्चात् कोटा शहर के ही अन्य प्रतिष्ठित संस्थान ‘स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय ‘ में प्राचार्य पद पर कार्य किया। वर्तमान में आप माधव विश्वविद्यालय आबू रोड सिरोही राजस्थान में आचार्य पद पर कार्यरत। इस विश्वविद्यालय का कुलगीत आपके द्वारा ही लिखा गया है। आपके निर्देशन में एक शोषर्थी अपना शोध कार्य पूर्ण कर चुका है तथा 4 शोधार्थियों के शोध प्रबंध मूल्यांकन प्रक्रिया में हैं।

संपर्क मोबाइल : 89494 92261
———
डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवम् पत्रकार, कोटा

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार