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अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक कला, संस्कृति और पर्यटन को प्रचारित करने का प्रयास……

सोमवार 31 अक्टूबर 2022 को मेरी सेवा निवृत्ति के पूरे हो रहे 9 सालों पर मुझे गर्व है कि मैं हाड़ोती के साथ – साथ राजस्थान और भारत देश की कला, संस्कृति और पर्यटन को ” पर्यटन लेखक” के रूप में न केवल अपने देश में वरन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रचारित करने का छोटा सा प्रयास कर सका।
प्रयास की इस कड़ी में देश के सभी राज्यों के इतिहास, भूगोल (नदियां, पहाड़,समुद्र, रेगिस्तान आदि), वन्यजीवन, कला, संस्कृति, परंपराएं,उत्सव – मेले और पर्यटन स्थल आदि के साथ – साथ अर्थव्यवस्था पर लेखकीय दृष्टि से लिखने का प्रयास किया।

इन सभी विषयों पर मुंबई – कानपुर के प्रकाशक वीएसआरडी पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित मेरी 10 पुस्तकें विश्व के 160 देशों में पहुंची। यू.एस.ए. से प्रकाशित हिंदी और अंग्रेजी द्वी भाषी साप्ताहिक समाचार पत्र ” हम हिंदुस्तानी” ( 70 पेज) में कोरोना काल से दो वर्ष पूर्व तक और उसके बाद निरंतर देश की कला संस्कृति और पर्यटन पर लेखन कर प्रचार किया। देश के विभिन्न हिंदी समाचार पोर्टल और समाचार पत्रों में प्रकाशित मेरे करीब तीन हजार से अधिक कला,संस्कृति एवं पर्यटन संबंधित लेख गूगल पर दुनिया के लिए उपलब्ध हैं।

विश्व स्तर तक पुस्तकें
पर्यटन लेखक के रूप में आराध्य तीर्थ, राजस्थान के आस्था स्थल ( धार्मिक पर्यटन), ऐसा देश है मेरा – (भारत भ्रमण), अतुल्य अजमेर – विश्व स्तरीय पहचान , कोटा एक विहंगम दृष्टि ( द्वितीय संस्करण), चंबल तेरी यही कहानी ( भारत में चंबल नदी पर प्रथम किताब), मीडिया संसार ( पत्रकारिता और जन संचार) ये है हमारी रंग बिरंगी बूंदी, अद्भुत राजस्थान, भारत की विश्व विरासत – यूनेस्को की सूची में शामिल, हमारा भारत, हमारी शान, उदयपुर राजस्थान का कश्मीर (अंग्रेजी में), भारत में समुद्र तटीय पर्यटन, विश्व रेगिस्तान का इंद्रधनुष, पर्यटन और भारत के संग्रहालय, पर्वतीय पर्यटन ( विशेष सन्दर्भ अरावली), रोमांचक साहसिक पर्यटन ( एडवेंचर स्पोर्ट्स), मन्दिर संस्कृति ( धार्मिक पर्यटन) , वर्ल्ड हेरिटेज ग्लोबल टू लोकल ( अंग्रेजी में), भारतीय पर्यटन में इस्लामिक आर्किटेक्चर, पर्यटन को सुगम बनाती भारतीय रेल, भारतीय स्थापत्य की अमूल्य निधि जैन मंदिर एवं राजस्थान ; हाड़ोती पुरातत्व एक अध्यन प्रमुख किताबें हैं।

समाज स्वीकारोक्ति
पर्यटन लेखक के रूप में कुछ संस्थाओं द्वारा सम्मानित कर मेरा होंसला अफजाई भी किया गया। * कोटा राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय द्वारा वरिष्ठ नागरिक जन दिवस – 2018 पर प्रशस्ति पत्र एवं मेडल प्रदान कर ” वरिष्ठजन पर्यटक लेखक” सम्मान से सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय हिन्दी समाचार पोर्टल प्रभा साक्षी, नई दिल्ली की 18 वीं वर्षगांठ पर दिल्ली में आयोजित समारोह में 8 नवंबर 2019 को पर्यटन लेखन के क्षेत्र में शॉल ओढ़ाकर प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर ” हिंदी सेवा सम्मान” से सम्मानित किया गया। * पर्यटन के क्षेत्र में कई पुस्तकें लिखने और हाड़ौती क्षेत्र का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार – प्रसार में उत्कृष्ट कार्य करने पर कोटा की संस्था न्यू इंटरनेशनल द्वारा 6 जनवरी 2021 को ” हाड़ौती गौरव सम्मान ” से सम्मानित किया गया।* राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय द्वारा राजस्थान दिवस पर आयोजित ” हमारा रंग बिरंगा राजस्थान” ऑन लाइन राष्ट्रीय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में संयोजक की सफल भूमिका के लिए 23 अप्रैल 2022 को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

श्री राजाराम कर्मयोगी सेवा संस्थान कोटा द्वारा साहित्यकार और लेखक के रूप में राजा राम मोहन राय जयंती पर 22 मई 2022 को कोटा में आयोजित साहित्यकार सम्मान समारोह में ” शान – ए – राजस्थान साहित्य गौरव सम्मान -2022″ से मोतियों का कंठहार पहना कर, शाल ओढाकर एवं सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

ऑल इंडिया पीस मिशन, गुरुग्राम द्वारा विश्व पर्यटन दिवस 27 सितंबर 2022 को कोटा में पर्यटन लेखन से सद्भावना और भाईचारा बढ़ाने में योगदान के लिए “राष्ट्रीय सामाजिक समरसता सम्मान” से सम्मानित किया गया।

हिंदी साहित्य समिति, बूंदी द्वारा 22 अक्टूबर 2022 को पर्यटन लेखक के रूप में साहित्य रत्न और समाज रत्न अलंकरण सम्मान से सम्मानित किया गया।

यह कहते हुए प्रसन्नता अनुभव करता हूं कि जिस प्रकार अपने सेवाकाल में” जनसंपर्क कर्मी” की छवि बना सका उसी प्रकार सेवा निवृत्ति के बाद के समय में “पर्यटन लेखक” की छवि बनाने का प्रयास किया।
प्रतिक्रियाएं
लेखन और इस प्रयास पर राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय के संभागीय अधीक्षक डॉ.दीपक कुमार श्रीवास्तव कहते हैं ” आपकी सेवानिवृत्ति के 9 वर्ष बाद यह दर्शाता है कि कालानुक्रमिक आयु केवल संख्या है लेकिन युवा मन के रूप में आपकी जैविक आयु केवल 22 है …. आपकी लेखन सामग्री अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच रही है, यह हम सभी के लिए गर्व का क्षण है।”वरिष्ठ पत्रकार के. डी. अब्बासी कहते हैं “विश्व स्तर पर पर्यटन के प्रचार के लिए समाज के विभिन्न वर्गो द्वारा सम्मानित करने पर बधाई और शुभकामनाएं।”

साहित्यकार अनुज कुच्छल का कहना है ” एक अच्छा, प्रभावी लेखक होने के लिए एक संवेदना पूर्ण अच्छा इंसान होना पहली जरूरत है। विषयों के प्रति गहरी समझ, विचारों की गहरी प्रगाढ़ता, भाषा की रवानी, स्थितियों, घटनाओ का स्पष्ट एवम सजीव प्रस्तुतिकरन अच्छा लेखक होने की दूसरी शर्त है। यें सारी खूबियां सिंघल साहब के लेखन में मैंने बड़ी बारीकी से महसूस की हैं। लगभग 9 वर्ष पूर्व, इनके सेवाकाल के बाद से लगातार मै इनके लिखे लेख, रिपोर्ट, संस्मरण, पुस्तके पढ़ रहा हूँ। रिपोर्ट में बड़ी बेबाकी, संस्मरण मे सजीव, रोचक चित्रण, लेख मे विषय का सूक्षम व स्पष्ट विश्लेषण देखने को मिला। भारत देश के पर्यटन के विभिन्न पहलुओं को अलग अलग तरीकों से पकड़कर इतना कुछ लिखा है और इतने रोचक शैली में लिखा है कि घूमने के शौकीन लोगों के लिए इनकी पुस्तके काफी उपयोगी और सदैव संग्रहनीय हैं। इतिहास, कला, संस्कृति, पुरातत्व आदि विषयों को भी इन्होंने अपने लेखन मे बड़ी शिद्दत से पकड़ा है। बेहतरीन इंसान, मिलनसार, खुले स्वभाव वाले, आशावादी, बौद्धिक विचारशील व्यक्ति हैं। इनकी स्पष्टवादिता इनके लेखन में साफ दिखती है। परिपक्व और सक्षम लेखनी है । हमे गर्व है कि हाड़ौती में कुल 69 वर्ष आयु की ऐसी “युवा” जिंदा दिल सक्षम बुद्धि जीवी शख्शीयत मौजूद है। नई पीढी को इनसे प्रेरणा मिलती है। आपकी लेखनी यूँ ही ज्ञान का उजाला फैलाती रहे, समाज को लाभांवित करती रहे।”

साहित्यकार डॉ. भैरूलाल गर्ग का कहना है “आपने अपने विभाग की मात्र नौकरी ही नहीं की है बल्कि आपने विभाग की मन, वचन और कर्म से अनुपम सेवा की है। और यह बात ही महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय है। अन्यथा नौकरी तो सब करते हैं। मैं जीवन की सार्थकता इसी में मानता हूँ कि आपने अपनी नौकरी से हट कर देश और समाज के लिए सेवा भाव से कोई उल्लेखनीय कार्य किया है। इस कसौटी पर आपका जीवन खरा उतरा है। आपने इतना कुछ किया है कि दूसरा कोई उदाहरण कठिनाई से ही मिलेगा, नहीं भी मिले तो कोई आश्चर्य नहीं। हार्दिक मंगलकामनाओं सहित!” समाजसेवी विजय माहेश्वरी कहते हैं “सराहनीय और उल्लेखनीय उपलब्धियों पर आपका हार्दिक अभिनंदन। ईश्वर करे आपकी लेखनी इसी प्रकार हीरे मोती और माणक जैसे साहित्य का सृजन करती रहे जिससे हर जिज्ञासु पाठक और पर्यटक लाभान्वित होता रहे।”

कथाकार विजय जोशी कहते हैं “रचनाकार अपने परिवेश और संस्कार के साथ अर्जित अनुभवों से सृजन सन्दर्भों को विकसित ही नहीं करता वरन् उसे संरक्षित भी करता है। यह भाव और स्वभाव ही एक रचनाकार के सामाजिक सरिकारों को परिलक्षित करता है।

आप इन्हीं सन्दर्भों को अपने भीतर जागृत करते हुए अपने रचनाकर्म में सतत् रूप से सक्रिय हैं। आप अपने शोधात्मक और रचनात्मक लेखन से समाज और देश में सांस्कृतिक एवं पर्यटन सन्दर्भों के लेखन से सार्थक पहल कर रहे हैं। आप अपने सतत् लेखन से सांस्कृतिक परिवेश को पल्लवित करते रहें।”