Saturday, November 23, 2024
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दिव्यांग जनों के सशक्तिकरण के लिए सरकार के प्रयास

दिव्यांग व्यक्तियों में दृष्टिबाधित ,श्रवण बाधित ,वाक बाधित ,अस्थि दिव्यांग और मानसिक रूप से दिव्यांग शामिल है। भारत सरकार ने दिव्यांगों के प्रति संवेदनशील पहल की है, इसके मुताबिक अब दिव्यांगों को अपमानित करने, धमकी ,देने पिटाई करने पर 6 माह से लेकर 5 वर्ष तक का कठोर सजा का प्रावधान है राजपत्र में प्रकाशित दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 में सख्त प्रावधान किया गया है। यह भारत सरकार का एक सराहनीय और लोक कल्याणकारी राज्य की उपादेयता में सकारात्मक पहल है।
सरकार का पुनीत राजनीतिक दायित्व है कि प्रत्येक व्यक्ति का भला हो ,प्रत्येक व्यक्ति न्याय( सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक) मिले ।यही सरकार का सबका साथ ,सबका विकास एवं सबका विश्वास के मूल मंत्र हैं ।सबका साथ, सबका विकास इस मंत्र के उपादेयता को लेकर सरकार चली थी; लेकिन 5 साल के अखंड, एकनिष्ठ पुरुषार्थ से जनता – जनार्दन ने उसमें अमृत भर दिया और वह अमृत है- सबका विश्वास । लोकतंत्र में ताकतवर/ शक्तिशाली सरकार के पुनः सत्ता में आना जनता – जनार्दन के आशाओं एवं विश्वासों के अनुरूप कार्य करना है ।लोकतांत्रिक विश्वास के आधार पर सरकार कार्य कर रही है, 130 करोड़ भारतीयों की सुरक्षा करना ,संरक्षा करना एवं उनकी सेवा करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

” चाहे वह वरिष्ठ जन हो, दिव्यांगजन हो ,आदिवासी हो, पीड़ित हो ,दलित हो, शोषित हो एवं वंचित हो – 130 करोड़ भारतीयों के हितों की रक्षा करना, उनकी सेवा करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है ,विशेषकर दिव्यांग जनों की समस्याओं को सरकार ने अपने सर्वोच्च प्राथमिकता में रखी है, उनकी समस्याओं को संवेदनशीलता एवं त्वरित रूप से निदान किया है। ” सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने दिव्यांग जनों की मदद के लिए कैंप आयोजित कर उन्हें सहायक उपकरण वितरित करता है ।2019 के बाद करीब आठ हजार कैंपों का आयोजन हो चुका है, जिससे 12 लाख से ज्यादा दिव्यांग जनों का सबलीकरण हुआ है।

भारत सरकार ने दिव्यांग जनों के कल्याण, उनकी समस्याओं के निदान के लिए ‘ सुगमय भारत अभियान ‘ चलाकर देश भर की बड़ी सरकारी इमारतों को दिव्यांगों के लिए सुगम में बनाने का संकल्प लिया है। विगत 5 वर्षों में देश की सैकड़ों इमारतों /भवनों को दिव्यांग जनों के लिए सुरक्षित बनाया गया है ,700 से अधिक रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट दिव्यांग जनों के लिए सुगम में बनाए जा चुके हैं ।भारत सरकार दिव्यांग जनों की भाषाई समस्याओं को निदान करने के लिए एक कॉमन साइन लैंग्वेज का निर्माण किया है, इसके लिए सरकार ने इंडियन साइन लैंग्वेज रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना किया है।

” बीते 5 वर्षों में देश की सैकड़ों इमारतें, 700 से ज्यादा रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट दिव्यांग जनों के लिए सुगम बनाए जा चुके हैं ।जो इमारतें बची हुई हैं, उन्हें भी सुगम भारत अभियान से जोड़ा जा रहा है।”.

करीब 400 से अधिक सरकारी वेबसाइट और करेंसी हैं ,सिक्के हो या नोट हो उन्हें भी दिव्यांगों के लिए अनुकूल बनाया गया है। इससे दिव्यांग भाई सरलता से इन सिक्कों या नोटों को पहचान सकते हैं ।देश के कई टीवी चैनल दिव्यांग जनों के लिए साइन लैंग्वेज के द्वारा खबरें दिखाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं । मानवीय संवेदना, भावनाओं के साथ सेवा करना ईश्वरीय सेवा है। सरकार ने दिव्यांग जनों के लिए सेवा भाव से काम किया है, लोकतंत्र में सेवा भाव से किया गया कार्य लोकतांत्रिक मूल्यों, आदर्शों एवं नेतृत्व को मजबूती प्रदान करता है।
सरकार की उपादेयता है कि दिव्यांगों की सात(7) अलग-अलग श्रेणियां होती थी, उन्हें बढ़ाकर 21 कर दिया है, अर्थात दिव्यांगता का दायरा बढ़ा दिया गया है, इसके अतिरिक्त दिव्यांगों को किसी भी प्रकार का शोषण (शारीरिक ,मानसिक एवं आर्थिक ),अत्याचार, मजाक एवं परेशान करता है, तो इससे जुड़े नियमों को भी सख्त कर दिया गया है ।दिव्यांग जनों के सशक्तिकरण के लिए सरकार ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण बढ़ाकर 4% कर दिया है।( पहले यह 3% था)। इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले के लिए इनका आरक्षण बढ़ाकर 5%कर दिया गया है।

नए भारत के निर्माण में प्रत्येक दिव्यांग युवा ,दिव्यांग बच्चे की उचित भागीदारी बहुत आवश्यक है। प्रत्येक क्षेत्र (उद्योग, सेवा एवं खेल के क्षेत्र )दिव्यांगों के कौशल को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दिव्यांग खिलाड़ियों ने भारत के नाम को गौरवान्वित किया है, एवं उनका वैश्विक स्तर पर प्रदर्शन सराहनीय रहा है। दिव्यांगों के कौशल के स्तर को बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश में” स्पोर्ट्स सेंटर “बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। संपूर्ण भारत में दिव्यांगों की संख्या 2.5 करोड़ है।

कोई भी लोकतांत्रिक सरकार किसी दल विशेष या समूह विशेष या जाति विशेष या संप्रदाय विशेष की नहीं होती है। इस तरह मानवीय भावनाओं के आधार पर विकलांग जनों को मुख्यधारा में लाकर नए भारत के निर्माण में इनके ऊर्जा ,कौशल एवं प्रतिभा से सहभागी बनाया जा सकता है।

(डॉ. सुधाकर कुमार मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक हैं)

एक निवेदन

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