विश्व विरासत में शामिल कारीगरी में बेमिसाल कलात्मक मंदिरों और पहाड़ों के नैसर्गिक सौंदर्य की पृष्ठभूमि के साथ कर्नाटक राज्य का प्राचीन हम्पी उत्सव आज न केवल भारत वरन दुनिया के ख्यातमाम उत्सवों में शामिल हो गया है। हर साल अक्टूबर या नवंबर में तीन दिन तक मनाए जाने इस उत्सव की शुरुआत विजयनगर सम्राज्य के शासन काल में सम्राज्य स्थापना के विजय उत्सव के रूप में हुई थी।
उत्सव के दौरान सजे धजे हम्पी के स्मारक संगीत और नृत्य की गूंज से गुंजायमान हो उठते हैं। देश – दुनिया के पर्यटक इस महान कला – संगीत उत्सव के साक्षी बनते हैं और कर्नाटक की कला – संस्कृति को नजदीक से देखने और समझने को उनके लिए सुनहरा अवसर होता है।
उत्सव के समय हम्पी के सभी मंदिरों और स्मारकों को आकर्षक रुप से सजाया जाता है। हम्पी के पूरे मार्गों में सजाए गए हाथी, सजे हुए घोड़े और पांच अलग-अलग स्थानों पर कई गायक एवं पारंपरिक नृत्य कलाकार मेहमानों और पर्यटकों का मनोरंजन करते हैं।
विजयनगर साम्राज्य के सैनिकों के रूप में तैयार हाथी और पुरुषों का भव्य जंबू जुलूस आकर्षण का मुख्य केंद्र बनाता है। जनपद कला वाहिनी के लोक गीत और नृत्य के साथ – साथ कठपुतली और नाटकों का प्रदर्शन जेसे सांस्कृतिक कार्यक्रम आने वालों को लुभाते और मनोरंजन करते हैं। फोटोग्राफी, रंगोली, मेंहदी मांडना, ग्रामीण खेलों की प्रतियोगिताएं, साहसिक खेलों रॉक क्लाइंबिंग और वाटर स्पोर्ट्स की प्रतियोगिताएं उत्सव को रोमांचक बनाती हैं।
पत्थर की मूर्तियां, पेंटिंग, किताबें और अन्य प्रदर्शनियां उन विशेषज्ञों को आकर्षित करती हैं जिनकी उत्कृष्ट शिल्प कौशल में गहरी रुचि है। लाइट एंड साउंड शो और हस्तकला के शिल्पियों का समागम उत्सव की रोनक बढ़ाते हैं। आगंतुक विश्व धरोहर स्थल का हेलीकॉप्टर द्वारा हवाई दृश्य का आनंद ले सकते हैं। समापन अवसर पर की जाने वाली भव्य आतिशबाजी का प्रदर्शन का तो कहना ही क्या। यह प्रदर्शन उत्सव का पूरक बनाता है।
विजयनगर कारीगरों के वंशजों द्वारा हस्तनिर्मित ड्रम और पाइपों की धुन के साथ औपनिवेशिक युग के लोगों की भव्य जीवनशैली से जुड़े हम्पी उत्सव में दुनिया के हर कोने से प्रसिद्ध हस्तियों और कलाकार को उनकी प्रतिभा के साथ उत्सव की शोभा बढाने के लिए आमंत्रित किया जाता है। कर्नाटक सरकार द्वारा आयोजित हम्पी उत्सव विजयनगर साम्राज्य के वैभव और गौरव को दर्शाता है। यह उत्सव हम्पी और आसपास के प्राचीन कला वैभव के दर्शन करने का एक बड़ा मौका है।
उत्सव स्थल हम्पी, बेंगलुरु से 350 किमी दूरी पर स्थित है और सड़क, रेल और हवाई मार्ग से पहुँचा जा सकता है। हवाई मार्ग से हम्पी पहुंचने के लिए हुबली निकटतम हवाई अड्डा है। बैंगलोर, हैदराबाद, चेन्नई और मुंबई से नियमित उड़ानें हैं। हवाई अड्डे से टैक्सियाँ आसानी से उपलब्ध हैं। होस्पेट निकटतम रेलवे स्टेशन हम्पी से 15 किमी दूरी पर है। हम्पी कर्नाटक में घूमने के लिए सबसे अधिक मांग वाली जगहों में से एक है और बेंगलुरु से कई बसें उपलब्ध हैं।