कोटा। संभागीय आयुक्त कैलाश चन्द मीणा ने कहा कि संभाग में कृषि के क्षेत्र में विकास की विपुल संभावनाऐं हैं वैज्ञाानिक अनुसंधानों की पहुंच खेतों तक समय पर पहुंचाकर हर गांव को एक्सीलेंस सेन्टर के रूप में तैयार करने के लिए कृषि अधिकारी संकल्पबद्ध होकर कार्य करें।
सभागीय आयुक्त बुधवार को सेन्टर फॉर सिट्रस नान्ता में आयोजित दो दिवसीय नीबूवर्गीय फसल उत्पादन तकनीकी के सेमिनार में उपस्थित कृषि अधिकारियों एवं किसानों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोटा संभाग में कृषि एवं बागवानी के क्षेत्र में विकास की विपुल संभावनाऐं हैं, यहां की मृदा, पानी की उपलब्धता एवं मौसम की अनुकूलता का लाभ लेकर कृषि अधिकारी प्रत्येक गांव में प्रगतिशील किसान तैयार कर गांवों को एक्सीलेस सेन्टर के रूप में विकसित करें। उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में किए जा रहे अनुसंधान एवं नवाचारों की जानकारी किसानों के खेत तक पहुंचे। इसके लिए सभी अधिकारी समन्वय से कार्य करते हुए किसानों से निरंतर संवाद बनाये रखे। गांवों में किसानों को कृषि के विविधिकरण के लिए तैयार करते हुए प्रत्येक गांव में प्रगतिशील किसानों को प्रेरित करे। उन्होंने कहा कि किसान स्वयं वैज्ञानिक होता है उसे प्रेरणा देने की आवश्यकता है, कृषि अधिकारी गांवों में जाकर परम्परागत खेती के स्थान पर आधुनिक तरीके से बागवानी की फसल उपजाने के लिए प्रेरित करे। इससे किसानों की आमदनी में वृद्धि होने के साथ-साथ क्षेत्र में अन्य किसान भी बागवानी के तरफ रूजान करेंगे।
संभागीय आयुक्त ने कहा कि नीबू वर्गीय फसलों के लिए यह क्षेत्र अनुकूल है, प्रत्येक जिले में विशेष बागवानी के रूप में ब्लॉकवार किसानों को पौधे लगाने के लिए प्रेरित करे। उन्होंने नवाचार करने वाले किसानों की बदली हुई दिनचर्या तथा उनके जीवन में आये परिवर्तन से अन्य किसानों को जानकारी से अवगत करायें। उन्होंने कृषि अधिकारियों को किसानों की शंकाओं का सामाधान करने, उनसे निरंतर संवाद बनाये रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग स्थानीय जनप्रतिनिधियों का सहयोग लकर संभाग के प्रत्येक जिले में उद्यानिकी का हब बनाने के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य करें।
संयुक्त निदेशक उद्यान विभाग डॉ. रामावतार शर्मा ने बताया कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए परम्परागत खेती के स्थान पर उद्यानिकी की ओर किसानों को प्रेरित करना होगा। उन्होंने किसानों से सीधा संवाद रखते हुए फलोत्पादन बढ़ाने की तकनीकी एवं रोगोपचार की जानकारी समय-समय पर देने तथा नवीन बगीचे स्थापना के लिए प्रेरित करने का आव्हान किया।
उप निदेशक एवं प्रभारी एक्सीलेंस सेंटर शंकर लाल जांगिड़ ने बताया कि इन्डो-इजरायल सहयोग से तैयार यह सेंटर प्रतिवर्ष किसानों को नवीन उद्यानिकी तकनीकी से रूबरू कराते हुए प्रतिवर्ष 60 हजार से अधिक उन्नत किस्म के पौधे किसानों को उपलब्ध करवा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले के प्रत्येक ब्लॉक में एक-एक गांवों को एक्सीलेंस सेंटर के रूप में तैयार किया जा रहा है। इस वर्ष एक लाख पौधे तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। उप निदेशक शस्य कल्पना शर्मा ने झालावाड़ में संतरा की तरह कोटा, बून्दी व बारां में भी किसी एक फसल के आधार पर विशेषता अर्जित करने का सुझाव दिया।
उप निदेशक उद्यानिकी पीके अग्रवाल ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संभाग को उद्यानिकी हब के रूप में तैयार करने के लिए निरंतर प्रयास किए जायेंगे। प्रगतिशील किसान द्वारका लाल पाटीदार ने नीबू वर्गीय पौधों की छंटाई के लिए आधुनिक मशीन की आवश्यकता बताते हुए कलस्टर बनाकर उपलब्ध करवाने को सुझाव दिया। इस अवसर पर उप निदेशक कृषि रामनिवास पालीवाल, उप निदेशक कृषि सीएडी मुकेश त्यागी, आरसी चांडक, कृषि वैज्ञानिक रामराज मीणा, उप निदेशक बनवारी लाल जाट सहित संभाग के सभी कृषि अधिकारी व प्रगतिशील किसान उपस्थित थे।