फरीद बुखारी (मूर्तजा खान )1605में जहांगीर के गद्दी पर बैठने से लेकर 1616 में अपनी मृत्यू होने तक सबसे शक्तिशाली मुग़ल मनसबदार रहा था. मुग़ल अधिकारीयों में से उसके शेख सरहिन्दी से सबसे निकट सम्बन्ध थे. सरहिंदी द्वारा मनसबदारों में से उसे ही सबसे अधिक पत्र लिखे गए थे. उसे लिखे गए पत्रों में से एक पत्र में वह जो लिखता है उसका हिंदी रूपांतरण इस प्रकार है “इस्लाम और कुफ्र एक दूसरे के विरोधी हैँ. एक को स्थापित करने के लिए दूसरे को समाप्त करना अवश्यक है. इन दोनों का सह अस्तित्व असम्भव है. इस कारण ही अल्लाह ने अपने पैगम्बर मुहम्मद को काफिरों के विरुद्ध जिहाद करने और उनके प्रति कड़ा बर्ताव करने का आदेश दिया है.
इस्लाम के गौरव के लिए कुफ्र और काफिरों का मानमर्दन आवश्यक है…. उन्हें (काफिरों को) कुत्तों की तरह अपने से दूर रखना चाहिए. अल्लाह ने अपने पवित्र शब्दों (क़ुरान में ) फ़रमाया है कि वे उसके (अल्लाह के)और पैगम्बर के शत्रु हैं.( मुस्लिम)शासकों को जजिया बंद करने का क्या अधिकार है? अल्लाह ने स्वयम ने काफिरों को अपमानित करने और उनका मनोबल तोड़ने के लिए उनपर जजिया लगाने का आदेश दिया है. जिस बात की जरूरत है वह है उनको नीचा दिखाना और इस्लाम की इज्जत और ताकत बढ़ाना. गैर मुसलमानों की हत्या में इस्लाम का लाभ है…. एक बुद्धिमान व्यक्ति का कथन है कि जब तक तुम्हारे में दीवानापन नहीं हो तुम मुसलमान नहीं हो सकते. इस दीवानगी का अर्थ है फायदे नुकसान से ऊपर उठ कर सोचना. इस्लाम की बंदगी में जो कुछ मिले वह काफ़ी होना चाहिए.”
-(शेख सरहिंदी के मकतू बात, vol i, पृष्ठ 388 ff )
मौलाना मुहम्मद सईद नक़्शबंदी, देवबन्द द्वारा शेख सरहिन्दी के फरीद बुखारी (मुर्तज़ा खान) को लिखे एक पत्र का हिंदी रूपांतर :
“प्रत्येक व्यक्ति के दिल में एक मुराद होती है. इस फ़क़ीर (शेख सरहिन्दी)की एक ही ख्वाहिश है कि अल्लाह और उसके पैगम्बर के दुश्मनों को दण्डित किया जाना चाहिए. निकृष्ट लोगों का मानमार्दन किया जाना चाहिए और उनके झूठे देवताओं को अपमानित और अपवित्र किया जाना चाहिए. मुझे पता है कि अल्लाह को इससे ज्यादा कोई बात प्रिय नहीं है. इसी कारण में तुम्हे बार-बार इस बात के लिए आग्रह कर रहा हूँ. अब जबकि तुम उस जगह (काँगड़ा ) आगये हो जहाँ तुम्हे यहाँ के मंदिर को अपवित्र करने और यहाँ के लोगों को अपमानित करने के लिए नियुक्त किया गया है, में इस बात के लिए अल्लाह का शुक्रिया अदा करता हूँ. बहुत से लोग इस जगह तीर्थ के लिए आते हैं. अल्लाह ने मेहरबानी करके हमें मौका दिया है कि हम उसे हमेशा के लिए बंद कर सकें. अल्लाह का शुक्रिया अदा करके तुम इस जगह और यहाँ की मूर्तियों को बर्बाद करने में कोई कसर बाक़ी मत रखो…. यह उम्मीद की जाती है तुम इस काम में देरी नहीं करोगे. शारीरिक कमजोरी और तीव्र सर्दी के कारण में स्वयं नहीं आ पा रहा हूँ, वरना में जरूर वहां आता और (मंदिर और मूर्तियों को भृष्ट करने के काम में)तुम्हारी मदद करता. मेरे लिए मूर्तियां तोड़ने के समारोह में भाग लेना आनंद दायक होता. ” शेख सरहिन्दी का पत्र vol. iii p.707.
इस अवसर पर (नवंबर 1620 में )कांगड़ा विजय के बाद जहाँगीर स्वयं पहुंचा और यहाँ गौ हत्या की गई और एक मस्जिद का निर्माण किया गया. अकबर की मृत्यु तथा जहांगीर के गद्दी पर बैठने को लेकर शेख सरहिन्दी एक पत्र में लिखता है “इस्लाम की सत्ता को नकारने वाले (अकबर ) की मृत्यु और बादशाहे आलम (जहांगीर) के गद्दी पर बैठने के शुभ समाचार के बाद इस्लाम के अनुयाई इस बादशाह के प्रति अपना पूरा समर्थन करते हैं और इस्लाम के प्रसार और उसे ताकतवर बनाने के लिए काम करने की शपथ लेते हैं.”
(सरहिंदी के मक्तुबात, vol,i, पत्र संख्या 47).
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद शेख सरहिन्दी की प्रशंसा में इसी बात का जिक्र करते हुए लिखते हैं “अकबर की मृत्यू और जहांगीर के गद्दी पर बैठने के सन्धिकाल में भारत में मुसलमानों में विद्वानों और नेतृत्व करने वालों का नितांत अभाव था. उस युग के नाम की ख्याति का विचार करिये!पर इस समय ऐसा कोई नहीं दिखाई देता जो बुराई से मुकाबला करने का काम हाथ में ले सके.ऐसे समय में मुजद्दिद अल्फ सानी अहमद सरहिन्दी हुआ (may Allah have mercy on him) जिसने समाज को राह दिखाने का काम किया. (Abul Kalam Azad, Tazkira, p.238, Lahore,1981edition ).
(संजय दीक्षित राजस्थान के सेवा निवृत्त आईएएस अधिकारी हैं । आप कई पुस्तकें लिख चुके हैं। जयपुर डॉयलग यू ट्यूब चैनल https://www.youtube.com/@ THEJAIPURDIALOGUES का संचालन करते हैं। इस पर हिंदू विमर्श, इस्लाम से जुड़े मुद्दों तथा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर तथ्यों व तर्कों के साथ विद्वान वक्ताओं से चर्चा होती है)