Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeमीडिया की दुनिया सेजैन मुनि ने कहा, मत खाओ नान और रुमाली रोटी

जैन मुनि ने कहा, मत खाओ नान और रुमाली रोटी

जैन संत अपने अनुयाइयों को नान, कुल्चा और रूमाली रोटी न खाने की सलाह दे रहे हैं। साधुओं ने आशंका जताई है कि शाकाहारी रेस्तरां में भी इन रोटियों को कोमल बनाने और उनकी अच्छी बनावट के लिए अंडे का इस्तेमाल किया जाता है। 

जैन गुरु अपने समुदाय के लोगों से कह रहे हैं कि अगर वे जैन धर्म के अहिंसा सिद्धांत का गंभीरता से पालन करना चाहते हैं तो वे सिर्फ सादी रोटी खाएं। 43 सालों से जैन संत हेमचंद्र सुरेश्वरजी महाराज का कहना है कि सादी रोटी ही श्रेष्ठ विकल्प है। 

उन्होंने कहा, 'इस पर लंबे समय से बहस हो रही है कि अंडा शाकाहारी है या मांसाहारी। हम अपने धर्म में अंडे को मांसाहारी मानते हैं। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि शाकाहारी रेस्तरां रोटी को मुलायम बनाने के लिए कभी अंडा इस्तेमाल नहीं करेंगे।' 

इसलिए, हेमचंद्र महाराज ने इन रोटियों को न खाने का मेसेज अपने 500 से ज्यादा अनुयाइयों तक पहुंचाया है। इसी तरह से चेन मेसेज और ई-मेल्स दूसरे जैन गुरुओं की ओर से भी भेजे जा रहे हैं। 

नान, कुल्चा और रूमाली रोटी को लेकर जैन समुदाय के बीच करीब दो महीने पहले सवाल ठे थे। इसी समुदाय के एक सदस्य ने दूसरे सदस्यों को मेसेज भेजा था कि शाकाहारी रेस्तरां भी रोटी बनाने को अंडे का इस्तेमाल करते हैं। इस सदस्य का दावा था कि उसे एक शेफ ने इस बारे में बताया है। 

हेमचंद्र महाराज का कहना है, 'इसके बाद मैंने जांच की तो पाया कि उस सदस्य का शक निराधार नही्ं था। इसके बाद मैंने अपने अनुयाइयों को रेस्तरां में जाने से बचने की सलाह दी। अगर ऐसा संभव नहीं है तो उन्हें नान, कुल्चा और रूमाली रोटी ऑर्डर करने से बचना चाहिए।' 

टीवी शेफ सारांश गोइला कहते हैं कि कई कुक रोटी के आटे में अंडा मिलाते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं है। बटरमिल्क और बेकिंग सोडा से भी आपको यही नतीजे मिल सकते हैं। 

पिछले 49 सालों से संत विजयरत्न सुंदर सुरेश्वरजी महाराज का कहना है कि समुदाय के सदस्यों को सावधान रहने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि वे नहीं जानते हैं कि सभी शाकाहरी रेस्तरां अंडे का इस्तेमाल न करने का सख्ती से पालन कर रहे हैं या नहीं, इसलिए वे अपने अनुयाइयों से सावधान रहने को कह रहे हैं।

साभार- मुंबई मिरर से 

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार