Saturday, May 18, 2024
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सावन माह के प्रत्येक सोमवार को अवश्य करना चाहिए शिवलिंग पर जलाभिषेक

प्रतिवर्ष अपने आंचल में रिमझिम की फुहार लिए हुए जब वर्षा रुपी दुल्हन धरती पर उतरती है तो प्रकृति खुश हो जाती है,सृष्टि के सभी जीवधारी प्रसन्न हो जाते हैं।कहते हैं कि वर्षा ऋतु भगवान शिव का महीना होता है जिसमें प्रत्येक सोमवार के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक का विशेष महत्त्व होता है।

इस वर्ष 2023 का सावन आरंभ हो रहा है-04जुलाई से और यह लगभग दो महीने तक चलेगा। कहते हैं कि आज से लगभग 20हजार वर्ष पूर्व वाराह काल में यह धरती हिमयुग की चपेट में आ गई थी। उस समय भगवान शिव ने धरती के केन्द्र कैलाश पर्वत को अपना निवासस्थल बनाया।वहीं पर घोर तप किया।प्रचण्ड और भावविभोर कर देनेवाला नृत्य किया और पुनः तपस्या में लीन हो गये जबकि उनके परम शिष्य बनने की लालसा रखनेवाले जिज्ञासु सप्तऋषिगण भगवान शिव को पाने के लिए लगभग 84 वर्षों तक कठोर तप किये।और उनकी कठोर तपस्या को भगवान शिव ने आषाढ माह की पूर्णिमा को स्वीकार किये और सप्त ऋषियों को अपना शिष्य बना लिया।यद्यपि शिव अजन्मा हैं इसीलिए उनकी आराधना लिंगरुप में होती है।शिवलिंग प्रकृति-पुरुष के मिलन का भी परिचायक है।यही नहीं, भगवान शिव त्याग,सादगी और सरलता के साक्षात स्वरुप हैं जो सावन माह के किसी भी सोमवार के दिन उनको जलाभिषेक से प्रसन्न हो जाते हैं। यह भी कहा गया है कि समुद्र-मंथन सावन मास में ही हुआ था जिसमें भगवान शिव ने समुद्र से निकले हलाहल को पी लिया था जिसे माता पार्वती ने उनके कण्ठ में ही रोक दिया था।

ओडिशा प्रदेश भगवान जगन्नाथ का एक आध्यात्मिक प्रदेश है जहां की राजधानी भुवनेश्वर में महाप्रभु लिंगराज तथा पुरी धाम के भगवान लोकनाथ मंदिर में सावन मास के प्रत्येक सोमवार को जलाभिषेक का विशेष महत्त्व है।इसीलिए भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के उपरांत उनके नीलाद्रि विजय के दिन से ही प्रतिवर्ष बोलबम कांवडियां दलों की जय-जयकार सुनाई देने लगती है।ओडिशा के सभी शिवालयों में भजन-पूजन आरंभ हो चुकी है।ओडिशा के सभी शहरों और बाजारों में बोलबम कांवड सेवा से संबंधित सभी सामग्रियां कोलकाता से मंगाई जा चुकीं हैं।पूरे ओडिशा में बोलबम कांवडसेवा शिविर लगाये जा चुके हैं। सबसे बडी खुशी बात तो कटक-पुरी राजमार्ग पर देखने को मिलता है जहां पर स्थाई रुप से बोलबम कांवड सेवा शिविर बने हैं जहां पर सावन मास में प्रतिदिन महारुद्राभिषेक देखने को मिलता है। पिछले लगभग 40 वर्षों से स्थानीय ओडिया माताएं,बहनें,शिवभक्त युवा आदि भी पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ बोलबम कांवडसेवा में हिस्सा ले रहे हैं।

मारवाडी समाज के अनेक संगठन सावन के प्रत्येक सोमवार के दिन शिवालयों में जलाभिषेक के लिए जानेवाले भक्तों को अपने-अपने सहायता शिविर में विशेष प्रबंधन कर भजन-कीर्तन कर आदरसहित उनका आतिथ्य-सत्कार करते हैं। पुरी लोकनाथ मंदिर तथा भुवनेश्वर लिंगराज मंदिर में प्रतिवर्ष शिवलिंग पर जलाभिषेक करने हेतु जानेवाले भक्तगण बताते हैं कि वे सावन के प्रत्येक सोमवार को दुग्ध,दही,घी,शक्कर,शहद और जल से शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं। उनका यह भी कहना है कि जल से अभिषेक करने से वर्षा होती है। गन्ने से अभिषेक करने से धन की प्राप्ति होती है।शहद और घी से अभिषेक करने से धन की प्राप्ति होती है। दूध से अभिषेक करने से संतान की प्राप्ति होती है।सरसों और तिल चढाने से शत्रु का नाश होता है तथा रोगों से मुक्ति मिलती है।

भगवान भोलेनाथ को ओमनमः शिवाय मंत्रोच्चारण कर बेलपत्र और जल चढाने से मन को शांति मिलती है।पुरी के जगतगुरु शंकराचार्य परमपाद स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाभाग का यह मानना है कि प्रत्येक सनातनी को चंद्रमौलीश्वर भगवान शिव की प्रतिदिन आराधना करनी चाहिए।

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